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नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी की उपासना, जानें पूजा विधि - navratri 2021 katyani mata puja

शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri) के छठे दिन यानि आज मां कात्यायनी(Mata Katyani) की आराधना का दिन है. मान्यता है कि सच्चे मन से मां की आराधना करने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं.

मां कात्यायनी की उपासना
मां कात्यायनी की उपासना
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Published : Oct 11, 2021, 8:55 AM IST

प्रयागराज: शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri) का आज छठा दिन है. आज के दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी(Mata Katyani) की पूजा की जाती है. मान्यता है कि माता कात्यायनी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और वह जीवन में यश-कीर्ति हासिल करता है.

महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था. इसलिए वे कात्यायनी कहलाईं. माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वयं प्राप्त हो जाती हैं और वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. इसके साथ ही साधक के सभी रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं.

जानकारी देतीं ज्योतिषाचार्य, पंडित शिप्रा सचदेव
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ऋषि थे. उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए, उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध कात्य गोत्र से, विश्वप्रसिद्ध ऋषि कात्यायन उत्पन्न हुए. उन्होंने भगवती पराम्बरा की उपासना करते हुए कठिन तपस्या की. उनकी इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें. माता ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली. कुछ समय के पश्चात जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब उसका विनाश करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था.
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है. यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं और इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है.
मां कात्यायनी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


मां कात्यायनी पूजा विधि
सुबह प्रात: काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं. मां को स्नान कराने के बाद पीले रंग के पुष्प अर्पित करें. मां को रोली कुमकुम लगाएं. मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं. मां कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है अत: मां को शहद का भोग अवश्य लगाएं. इसके बाद मां कात्यायनी का मन ही मन ध्यान करें. पूजा के अंत में मां की आरती करें और मंत्रों का जाप करें.

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं. मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है. मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है. साथ ही मां कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ संबंधित समस्याएं भी दूर होती हैं.

इसे भी पढ़ें-सितारों की रामलीला: राम ने सीता को पहनाया वरमाला, भक्तों ने लगाया जयकारा

प्रयागराज: शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri) का आज छठा दिन है. आज के दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी(Mata Katyani) की पूजा की जाती है. मान्यता है कि माता कात्यायनी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और वह जीवन में यश-कीर्ति हासिल करता है.

महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था. इसलिए वे कात्यायनी कहलाईं. माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वयं प्राप्त हो जाती हैं और वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. इसके साथ ही साधक के सभी रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं.

जानकारी देतीं ज्योतिषाचार्य, पंडित शिप्रा सचदेव
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ऋषि थे. उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए, उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध कात्य गोत्र से, विश्वप्रसिद्ध ऋषि कात्यायन उत्पन्न हुए. उन्होंने भगवती पराम्बरा की उपासना करते हुए कठिन तपस्या की. उनकी इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें. माता ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली. कुछ समय के पश्चात जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब उसका विनाश करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था.
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है. यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं और इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है.
मां कात्यायनी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


मां कात्यायनी पूजा विधि
सुबह प्रात: काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं. मां को स्नान कराने के बाद पीले रंग के पुष्प अर्पित करें. मां को रोली कुमकुम लगाएं. मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं. मां कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है अत: मां को शहद का भोग अवश्य लगाएं. इसके बाद मां कात्यायनी का मन ही मन ध्यान करें. पूजा के अंत में मां की आरती करें और मंत्रों का जाप करें.

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं. मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है. मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है. साथ ही मां कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ संबंधित समस्याएं भी दूर होती हैं.

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