प्रयागराज: संगम नगरी के समुद्र कूप से मुंडमाल यात्रा की शुरुआत पूरे विधि-विधान के साथ शुरू हुई. पदयात्रा के जरिए गंगा के किनारे बसे लोगों में गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने की पहल की शुरुआत हो गई है. खास बात यह है कि इस यात्रा में शामिल होने वाले ज्यादातर भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी हैं.
गंगा में गिरने वाले सभी छोटे-बड़े नाले रोके जाएंगे
लगभग 8 महीने तक चलने वाली इस पद यात्रा के दौरान गंगा में गिरने वाले सभी छोटे-बड़े नाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और दूसरे प्रमुख बिंदुओं जिनके जरिए गंगा में गंदगी और प्रदूषण बढ़ रहा है, उन्हें रोकने की कोशिश की जाएगी. साथ ही गंगा के किनारे रहने वाले लोगों और खासकर युवाओं को भी इस पद यात्रा और अभियान से जोड़ने की कोशिश होगी. इसके अलावा पदयात्रा पर निकले लोगों का उद्देश्य होगा कि गंगा प्रभारी बनाए जाएं.
पद यात्रा में सभी पूर्व अधिकारी होंगे शामिल
गंगा पद यात्रा से जुड़े कर्नल मेजर सावरकर ने बताया कि दुर्गम गंगा परिक्रमा यात्रा भारतीय सेना के पूर्व अधिकारियों द्वारा गठित संस्था अतुल्य गंगा की एक अनूठी पहल है. इसमें पूर्व मेजर, पूर्व कर्नल सहित बड़ी संख्या में सेना के पूर्व अधिकारी शामिल हैं. इस गंगा परिक्रमा की शुरुआत शुक्रवार सुबह संगम नोज से पूरे विधि-विधान के साथ शुरू होकर पहले गंगासागर तक पदयात्रा करेंगे. उसके बाद वापस नदी के दूसरे छोर से पदयात्रा करते हुए प्रयागराज होते हुए गोमुख तक जाएंगे. गोमुख से लौटकर 14 अगस्त 2021 को प्रयागराज में ही इसका समापन होगा.
जागरूकता कार्यक्रम भी होंगे आयोजित
उन्होंने बताया कि 5100 किलोमीटर की पदयात्रा लगभग 45 हजार गांव से गुजरेगी. परिक्रमा के दौरान सेना के अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण और गंगा की निर्मलता और स्वच्छता के लिए जगह-जगह जागरूकता के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे. इस यात्रा के इतिहास को देखते हुए भारत सरकार के मंत्री सहित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, नेहरू युवा केंद्र इन इंडिया फाउंडेशन सहित कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी इस अभियान से जुड़ चुकी हैं.
वर्चुअल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई गंगा यात्रा की शुरुआत
गंगा यात्रा की शुरुआत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल वर्चुअल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बीते मंगलवार को ही कर चुके हैं. पूर्व से प्रस्तावित योजना के अनुसार शुक्रवार सुबह संगम नोज से पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद पदयात्रा के लिए सेना के पूर्व अधिकारी निकल गए हैं.