ETV Bharat / state

मुख्तार अंसारी को थोड़ी राहत : तय सजा से अधिक समय से जेल में रहने के आधार पर की गई है रिहाई की मांग

author img

By

Published : Jan 11, 2022, 10:24 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी को थोड़ी राहत दी है. मुख्तार अंसारी की अर्जी पर जेल अधीक्षक की रिपोर्ट पर विशेष अदालत को उचित आदेश देने का दिया निर्देश. तय सजा से अधिक समय से जेल में रहने के आधार पर रिहाई की गई है मांग.

मुख्तार अंसारी को थोड़ी राहत
मुख्तार अंसारी को थोड़ी राहत

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले 12 साल से जेल में कैद मऊ से बसपा विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी की गिरोहबंद कानून में रिमांड आदेश जारी करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राहत दी है. कोर्ट ने एमपी, एमएलए विशेष अदालत प्रयागराज को निर्देश दिया है कि वह जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर उचित आदेश पारित करें.

याची का कहना है कि गिरोहबंद कानून में अधिकतम सजा 10 साल की कैद है. याची इससे अधिक समय से जेल में बंद है. तय सजा जेल में बिताने के बाद गिरोहबंद कानून में नजरबंदी अवैध है. उसे स्वतंत्र होने का अधिकार है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की. इनका कहना है कि 2007 में उसके खिलाफ जेल में रहने के बावजूद गिरोहबंद कानून के तहत गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. विशेष अदालत वाराणसी ने 22 जुलाई 2009 को रिमांड स्वीकृत की. वह 22 अक्टूबर 2005 से जेल में बंद हैं. अब प्रयागराज की विशेष अदालत में केस चल रहा है.

इसे भी पढ़ें- मेरे पिता अभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं : स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी

गौतम नौलखा केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तय सजा से अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता. ऐसे में उसे गिरोहबंद कानून के तहत निरूद्ध रखना गैर कानूनी है. विचारण न्यायालय वारंट जारी करने जा रही है. कोर्ट ने याची को विशेष अदालत में दो हफ्ते में अर्जी देने और उसपर जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले 12 साल से जेल में कैद मऊ से बसपा विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी की गिरोहबंद कानून में रिमांड आदेश जारी करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राहत दी है. कोर्ट ने एमपी, एमएलए विशेष अदालत प्रयागराज को निर्देश दिया है कि वह जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर उचित आदेश पारित करें.

याची का कहना है कि गिरोहबंद कानून में अधिकतम सजा 10 साल की कैद है. याची इससे अधिक समय से जेल में बंद है. तय सजा जेल में बिताने के बाद गिरोहबंद कानून में नजरबंदी अवैध है. उसे स्वतंत्र होने का अधिकार है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की. इनका कहना है कि 2007 में उसके खिलाफ जेल में रहने के बावजूद गिरोहबंद कानून के तहत गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. विशेष अदालत वाराणसी ने 22 जुलाई 2009 को रिमांड स्वीकृत की. वह 22 अक्टूबर 2005 से जेल में बंद हैं. अब प्रयागराज की विशेष अदालत में केस चल रहा है.

इसे भी पढ़ें- मेरे पिता अभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं : स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी

गौतम नौलखा केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तय सजा से अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता. ऐसे में उसे गिरोहबंद कानून के तहत निरूद्ध रखना गैर कानूनी है. विचारण न्यायालय वारंट जारी करने जा रही है. कोर्ट ने याची को विशेष अदालत में दो हफ्ते में अर्जी देने और उसपर जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.