प्रयागराज : देश-दुनिया में रविवार को मदर्स डे अपने-अपने तरीके से धूम-धाम से मनाया जा रहा है. इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया है. भरी अदालत में एक मां ने अपने दो मासूम बच्चों से नाता तोड़ दिया. हाईकोर्ट में मां ने कहा कि वह दोनों बच्चों से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती और न ही उनसे मिलने की अनुमति मांगेगी.
दो बच्चों में एक विकलांग है. यह बात उसने तब कही जब याची अधिवक्ता ने कहा कि वह नौकरी कर रही है. बच्चों का गुजारा भत्ता दिलाया जाय. कोर्ट ने पूछा कि मां हो, बच्चों की चिंता नहीं है. इस जवाब में मां ने कहा कि वह बच्चों से रिश्ता नहीं रखना चाहती. उसने किसी पुरुष के साथ लिव इन रिलेशन के आरोप से भी इंकार किया. कहा कि वह सहेली के साथ दिल्ली में रह रही है.
याची अधिवक्ता ने इसे नकारते हुए कहा कि वह झूठ बोल रही है. वह गर्भ से है. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप को कैसे पता चला और बच्चों को गुजारा भत्ता, अवैध संबंध के मुद्दे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में तय नहीं हो सकते. इसके लिए अलग कानून और फोरम है, वहां जाइये. कोर्ट ने फतेहपुर के दो बच्चों के पिता ने अपनी पत्नी को अवैध निरुद्धि से मुक्त कराने की हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी. कोर्ट ने महिला के बयान के बाद याचिका खारिज कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी (Justice Rahul Chaturvedi) ने प्रमोद कुमार और अन्य की याचिका पर दिया है.
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पति प्रमोद कुमार ने अपनी पत्नी क्रांति देवी पर अंकुर की ओर से निरूद्ध बताते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी. कोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने महिला को कोर्ट पेश किया था. कोर्ट ने महिला से कई सवाल किए. कोर्ट ने पूछा कि क्या उसे किसी ने बंदी बनाया है तो युवती ने कहा कि उसे किसी ने बंदी नहीं बनाया है. वह दिल्ली में रहकर जॉब कर रही है. उसे अपने पति प्रमोद कुमार से कोई लेना-देना नहीं है. पति उसे परेशान करता है. सुनवाई के दौरान पति और उसके दोनों बच्चे भी मौजूद थे.
कोर्ट ने उस महिला से पूछा कि अपने बच्चों को साथ रहोगी तो युवती ने कहा वह बच्चों को नहीं रखना चाहती. इस पर कोर्ट ने कहा कि उसे बच्चों से मिलने नहीं दिया जाएगा तो महिला ने जवाब दिया ठीक है. इस पर कोर्ट ने बच्चों को उसके पिता के पास ही रहने दिया.
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