प्रयागराज: संगम तट पर चल रहे धार्मिक पर्व माघ मेले में कई साधु-संत अपने अनोखे हाव-भाव, अंदाज और खास गेटअप की वजह से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं. इसी अलग गेटअप की वजह से शिव योगी मौनी महाराज को रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से जाना जाता हैं. बाबा अपने शरीर पर जब 11 हजार से ज्यादा रुद्राक्ष की माला पहनकर मेले में निकलते हैं तो देखने वालों की भीड़ लग जाती है.
श्रद्धालुओं को कर रहे आकर्षित
गंगा यमुना आदर्श सरस्वती, इन पतित-पावनी त्रिवेणी नदियों के संगम तट पर चल रहा आस्था का ऐसा पर्व, जहां लोग देश दुनिया से खींचे चले आते हैं. इस बार माघ मेले में कोरोना संक्रमण के चलते ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ तो नहीं जुट रही है, लेकिन मेले के फीके रंग को अजब-गजब बाबा रंगीन बना रहे हैं. रुद्राक्ष वाले बाबा यानी मौनी बाबा श्रद्धालुओं को अपनी ओर खूब आकर्षित कर रहे हैं.
मौनी बाबा का खास गेटअप
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के रहने वाले मौनी बाबा परमहंस आश्रम के महंत भी हैं. माघ मेला के सेक्टर 2 में सरस्वती मार्ग पर मीरा सत्संग मंडल है, जिसमें मौनी बाबा निवास करते हैं. मौनी बाबा का खास गेटअप श्रद्धालुओं को खास रास आ रहा है. मौनी बाबा ने अपने शरीर पर 11 हजार से अधिक मालाओं को धारण कर रखा है. यह सभी रुद्राक्ष की माला 101, 11 और 51 रुद्राक्षों से गूथी हुई है. रुद्राक्ष वाले बाबा के सिर, पांव, हाथ, कमर, गले पर रुद्राक्ष ही रुद्राक्ष नजर आता है. इसके साथ ही मौनी बाबा के सिर पर चंद्रमा उन्हें एक अलग दिव्य स्वरूप प्रदान करता है.
संकल्पों से जुड़ी हैं ये मालाएं
बाबा के सिर पर 101 से अधिक रुद्राक्ष की माला है. खास बात यह है कि हर एक रुद्राक्ष की माला बाबा के संकल्पों से जुड़ी हुई है, जो राष्ट्र हित, समाज हित जैसे कई संकल्पों से जुड़ी है. मौनी बाबा उर्फ रुद्राक्ष वाले बाबा ने आज तक शरीर पर धारण करने के लिए एक भी रुद्राक्ष की माला को खरीदा नहीं है, बल्कि साधु-संतों और महात्माओं ने उन्हें उपहार स्वरूप दिया है. बाबा को नेपाल के नरेश ने भी एक माला उपहार स्वरूप प्रदान किया है.
40 किलो से अधिक हैं रुद्राक्ष की मालाएं
मौनी बाबा की खासियत यह है कि जिन 40 किलो से अधिक मालाओं को उठा पाना मुश्किल है, उसे यह पूरे शरीर पर धारण किए हुए हैं. बाबा को स्नान करने के बाद सभी मालाओं को पहनने में तकरीबन आधे घंटे का समय लगता है. मालाओं को पहनने के लिए बाबा को जितना समय लगता है, उतना ही समय मालाओं को उतारने के लिए लगता है.
प्राण-प्रतिष्ठा करके पहनना चाहिए रुद्राक्ष की माला
पुराणों में भी रुद्राक्ष का वर्णन किया गया है. रुद्राक्ष की माला को जब भी धारण करें तो प्राण-प्रतिष्ठा और सवा लाख मंत्रों से प्रतिष्ठित करने के बाद ही धारण करना चाहिए. मान्यता है कि इसके बाद ही रुद्राक्ष की माला फलदायक होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.