प्रयागराजः पितरों के लिए विधि-विधान पूर्वक तर्पण आदि करना सभी मनुष्यों के लिए जरूरी होता है. इसी क्रम में जिले में पितृपक्ष की शुरुआत होने के साथ संगम में चहल पहल बढ़ गई है. इस समय बाढ़ ने अपना कहर बरपाया है लेकिन लोग अपने पितरों के श्राद्ध के लिए जिले में आने से पीछे नहीं हट रहे हैं. उत्तर प्रदेश हो या कोई अन्य प्रदेश, लोगों का मानना है कि प्रयागराज में प्रथम पिंडदान से ही इनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.
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पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान
शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि काशी गया के पहले प्रयागराज में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. पुरोहितों की मानें तो जो भी व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रयागराज आता है. पिंडदान तर्पण साद करने से वह कितनों की आत्मा की शांति कर लेता है.
इस समय संगम क्षेत्र में बाढ़ का पानी ऊपर तक आ जाने के कारण काफी संख्या में भीड़ इकट्ठा नहीं हो पा रही है, लेकिन इस कर्मकांड को करने में लोग पीछे नहीं हट रहे हैं. श्राद्ध के आस-पड़ोस के जिलों के अतिरिक्त देशभर से श्रद्धालुओं का संगम क्षेत्र में आना जारी है.
संगम पर पिंडदान तर्पण और श्राद्ध के लिए दक्षिण भारतीयों का भी जमावड़ा लगा है. लोगों की माने तो किसी भी परिस्थिति में पहले प्रयागराज आकर अपने पूर्वजों को पिंडदान करने में अपना भाग्य समझते हैं.
पितृपक्ष का चौथा दिन
तीर्थ पुरोहित बिहारी लाल ने बताया की बुधवार को पितृपक्ष का चौथा दिन है. लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान इसलिए करते हैं ताकि उन्हें मोक्ष मिले. सबसे पहले पिंडदान प्रयागराज में किया जाता है, उसके बाद वाराणसी और फिर गया में यह क्रिया की जाती है.