ETV Bharat / state

माघ पूर्णिमा 2022 : नदियों में स्नान का है विशेष महत्व, जानिए पूजा विधि और मान्यता - गंगा नदी स्नान

16 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा (Magh Purnima 2022) है. हिंदू धर्म में है माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व. माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा या पवित्र नदी में करना चाहिए स्नान. नारायण जी की पूजा कर भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल-फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि करना चाहिए अर्पित.

ETV Bharat
माघ पूर्णिमा 2022
author img

By

Published : Feb 15, 2022, 12:05 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 8:31 AM IST

प्रयागराजः हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं. माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा नदी में स्नान करते हैं. इस दिन गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में माघ स्नान की बड़ी महिमा बताई गई है.

माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है. इनमें भी माघी पूर्णिमा को विशेष महत्व है. माघ मास की पूर्णिमा तीर्थस्थलों में स्नान दानादि के लिए परम फलदायिनी बताई गई है. संगमस्थल पर एक मास तक कल्पवास करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आज की तिथि विशेष पर्व है.

ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव

यह भी पढ़ें- इन राशियों को आज बड़ी उपलब्धि मिलने की संभावना...पढ़ें अपना राशिफल


माघी पूर्णिमा पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. नदियों में स्नान संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए. इसके बाद ठाकुर, नारायण जी की पूजा करना चाहिए. भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल-फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करना चाहिए.

पूजा के अंत में आरती कर प्रार्थना करने का विधान है. इसके बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए. मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से कल्पवास के बराबर पुण्य मिलता है. माघी पूर्णिमा का स्नान बेहद फलदाई माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव ने बताया कि यह पर्व पूर्णिमा पर अमृत्व का संदेश देता है. इस दिन संगम की रेती पर पौष पूर्णिमा से शुरू होने वाले कल्पवास का समापन होगा. कल्पवासी विधि-विधान से दान-पूजन कर संगम की रेती से विदा होंगे. माघी पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही माह भर गुलजार रहने वाला संगम क्षेत्र फिर से वीरान होने लगेगा.

उन्होंने बताया कि अगली बरस मां गंगा फिर से कल्पवास को बुलाएं इस आस के साथ कल्पवासी अपने घर को विदा होंगे. माह भर कल्पवास के बाद पूर्णिमा का स्नान व भगवान सत्य नारायण की कथा सुन कर कल्पवासियों का डेरा भी उखड़ने लगेगा.

मान्यता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और वास करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराजः हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं. माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा नदी में स्नान करते हैं. इस दिन गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में माघ स्नान की बड़ी महिमा बताई गई है.

माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है. इनमें भी माघी पूर्णिमा को विशेष महत्व है. माघ मास की पूर्णिमा तीर्थस्थलों में स्नान दानादि के लिए परम फलदायिनी बताई गई है. संगमस्थल पर एक मास तक कल्पवास करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आज की तिथि विशेष पर्व है.

ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव

यह भी पढ़ें- इन राशियों को आज बड़ी उपलब्धि मिलने की संभावना...पढ़ें अपना राशिफल


माघी पूर्णिमा पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. नदियों में स्नान संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए. इसके बाद ठाकुर, नारायण जी की पूजा करना चाहिए. भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल-फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करना चाहिए.

पूजा के अंत में आरती कर प्रार्थना करने का विधान है. इसके बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए. मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से कल्पवास के बराबर पुण्य मिलता है. माघी पूर्णिमा का स्नान बेहद फलदाई माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव ने बताया कि यह पर्व पूर्णिमा पर अमृत्व का संदेश देता है. इस दिन संगम की रेती पर पौष पूर्णिमा से शुरू होने वाले कल्पवास का समापन होगा. कल्पवासी विधि-विधान से दान-पूजन कर संगम की रेती से विदा होंगे. माघी पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही माह भर गुलजार रहने वाला संगम क्षेत्र फिर से वीरान होने लगेगा.

उन्होंने बताया कि अगली बरस मां गंगा फिर से कल्पवास को बुलाएं इस आस के साथ कल्पवासी अपने घर को विदा होंगे. माह भर कल्पवास के बाद पूर्णिमा का स्नान व भगवान सत्य नारायण की कथा सुन कर कल्पवासियों का डेरा भी उखड़ने लगेगा.

मान्यता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और वास करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Feb 16, 2022, 8:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.