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माघ मेले की तैयारियां शुरू, इस बार कम आएंगे श्रद्धालु

यूपी के प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. सरकार की ओर से गाइडलाइन आने के बाद प्रशासन ने कमर कस ली है. हालांकि इस बार मेला गत वर्ष के मुताबिक कम भव्य होगा.

माघ मेले की तैयारियां शुरू
माघ मेले की तैयारियां शुरू
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Published : Dec 8, 2020, 10:26 PM IST

प्रयागराज: प्रयागराज में प्रतिवर्ष लगने वाले सबसे बड़े धार्मिक मेले माघ मेले की तैयारी मेला प्रशासन ने युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है. मेला शुरू होने में अभी एक महीने शेष है. इस कारण तैयारी का विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते मेला की तैयारियों में पहले ही मेला प्रशासन लेट कर चुका है. हालांकि गाइडलाइन मिलते ही सभी विभागों ने अपना काम करना शुरू कर दिया है. इस बार माघ मेले के सेक्टरों और क्षेत्रफल में कमी आई है. जिस कारण से श्रद्धालुओं के कम आने की उम्मीद है.

पांच सेक्टरों में विभक्त किया जाएगा मेला.

मेले की तैयारियां शुरू
प्रयागराज में लगने वाले सबसे बड़े धार्मिक मेले की शुरुआत भले ही देर से हुई हो लेकिन सरकार की ओर से गाइडलाइन आने के बाद तैयारियां शुरू कर दी गई है. कोरोना महामारी के चलते पहले ही कार्य में देरी हो चुकी है. इस बार मेला क्षेत्र में जमीन समतलीकरण का कार्य जोरों पर है. ताकि समय पर मेला बसाया जा सके.

मेले के लिए प्रशासन ने समतल की जमीन.
मेले के लिए प्रशासन ने समतल की जमीन.

650 हेक्टेयर में फैलेगा मेला
इस बार मेला घटकर 5 सेक्टरों में विभक्त किया जा रहा है. जिसमें दो सेक्टर गंगा के इस पार रहेंगे और 3 सेक्टर झूसी की तरफ बसाये जाएंगे. इस बार पार्टून पुलों की संख्या घटाकर पांच कर दी गई है. वहीं कुल मेले को 650 हेक्टेयर के आसपास स्थापित किया जा रहा है.

कोविड टेस्ट के बाद ही होगी एंट्री
विशेष बात यह है कि इस बार कल्पवासी अपना कोरोना टेस्ट करा कर ही मेले में प्रवेश कर सकेंगे. अगर वह कोरोना टेस्ट नहीं करा पाए हैं तो प्रशासन को सूचना देंगे. प्रशासन बाहर ही इनका कोरोना टेस्ट करा कराने के बाद ही तंबुओं की नगरी में प्रवेश देगी. कोविड-19 को देखते हुए अरेल घाट पर श्रद्धालुओं के स्नान पर ज्यादा बल दिया जा रहा है ताकि बाहर से बाहर ही श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर अपने गंतव्य स्थान को लौट जाएं.

मेले में होंगी सभी तरह की व्यवस्थाएं
माघ मेले में एक तरह से एक नया शहर बसाया जाता है, जिसमें चकर्ड प्लेट की सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य विभाग स्थापित किया जाता है. यही नहीं लोगों की जरूरत के हर विभाग मेला में स्थापित किए जाते हैं. ताकि जरूरत पड़ने पर किसी को भी तंबू नगरी में ही सारी चीज उपलब्ध हो जाएं और बाहर न जाना पड़े. पानी की सप्लाई के लिए अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछा दी गई है बिजली के खंभे भी समय रहते ही लगा दिए गए हैं.

मेले में नहीं लगेगा झूला
इस बार मेले में न तो बाजार लगेगा और न ही झूला लगेगा. इस बार मेला केवल कल्पवासियों के लिए ही लगेगा. उसमें कई स्तर पर कटौती भी की जा रही है. पिछले मेले में करीब 35 धार्मिक संस्थाओं को जमीन आवंटित की गई थी. इस बार इन संस्थाओं में से उन्हीं को जमीन दी जा रही है जो कल्पवास करते हैं. इसके अलावा अन्य संस्थाओं को जमीन आवंटित नहीं की जाएगी. साथ ही मेले वाले दिन भीड़ कम हो इसके भी प्रयास किया जा रहा है. भीड़ अधिक होने से कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा.

प्रशासन के लिए चुनौती
वर्तमान में कोरोना महामारी ने एक बार फिर से अपना भयावय रूप लेना शुरू कर दिया है. ऐसे में इतने बड़े धार्मिक मेले को करवा पाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि एक बीमार भी अगर मेले में पहुंच गया तो लोगों के स्वास्थ्य से एक बड़ा खिलवाड़ होगा.

प्रयागराज: प्रयागराज में प्रतिवर्ष लगने वाले सबसे बड़े धार्मिक मेले माघ मेले की तैयारी मेला प्रशासन ने युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है. मेला शुरू होने में अभी एक महीने शेष है. इस कारण तैयारी का विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते मेला की तैयारियों में पहले ही मेला प्रशासन लेट कर चुका है. हालांकि गाइडलाइन मिलते ही सभी विभागों ने अपना काम करना शुरू कर दिया है. इस बार माघ मेले के सेक्टरों और क्षेत्रफल में कमी आई है. जिस कारण से श्रद्धालुओं के कम आने की उम्मीद है.

पांच सेक्टरों में विभक्त किया जाएगा मेला.

मेले की तैयारियां शुरू
प्रयागराज में लगने वाले सबसे बड़े धार्मिक मेले की शुरुआत भले ही देर से हुई हो लेकिन सरकार की ओर से गाइडलाइन आने के बाद तैयारियां शुरू कर दी गई है. कोरोना महामारी के चलते पहले ही कार्य में देरी हो चुकी है. इस बार मेला क्षेत्र में जमीन समतलीकरण का कार्य जोरों पर है. ताकि समय पर मेला बसाया जा सके.

मेले के लिए प्रशासन ने समतल की जमीन.
मेले के लिए प्रशासन ने समतल की जमीन.

650 हेक्टेयर में फैलेगा मेला
इस बार मेला घटकर 5 सेक्टरों में विभक्त किया जा रहा है. जिसमें दो सेक्टर गंगा के इस पार रहेंगे और 3 सेक्टर झूसी की तरफ बसाये जाएंगे. इस बार पार्टून पुलों की संख्या घटाकर पांच कर दी गई है. वहीं कुल मेले को 650 हेक्टेयर के आसपास स्थापित किया जा रहा है.

कोविड टेस्ट के बाद ही होगी एंट्री
विशेष बात यह है कि इस बार कल्पवासी अपना कोरोना टेस्ट करा कर ही मेले में प्रवेश कर सकेंगे. अगर वह कोरोना टेस्ट नहीं करा पाए हैं तो प्रशासन को सूचना देंगे. प्रशासन बाहर ही इनका कोरोना टेस्ट करा कराने के बाद ही तंबुओं की नगरी में प्रवेश देगी. कोविड-19 को देखते हुए अरेल घाट पर श्रद्धालुओं के स्नान पर ज्यादा बल दिया जा रहा है ताकि बाहर से बाहर ही श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर अपने गंतव्य स्थान को लौट जाएं.

मेले में होंगी सभी तरह की व्यवस्थाएं
माघ मेले में एक तरह से एक नया शहर बसाया जाता है, जिसमें चकर्ड प्लेट की सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य विभाग स्थापित किया जाता है. यही नहीं लोगों की जरूरत के हर विभाग मेला में स्थापित किए जाते हैं. ताकि जरूरत पड़ने पर किसी को भी तंबू नगरी में ही सारी चीज उपलब्ध हो जाएं और बाहर न जाना पड़े. पानी की सप्लाई के लिए अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछा दी गई है बिजली के खंभे भी समय रहते ही लगा दिए गए हैं.

मेले में नहीं लगेगा झूला
इस बार मेले में न तो बाजार लगेगा और न ही झूला लगेगा. इस बार मेला केवल कल्पवासियों के लिए ही लगेगा. उसमें कई स्तर पर कटौती भी की जा रही है. पिछले मेले में करीब 35 धार्मिक संस्थाओं को जमीन आवंटित की गई थी. इस बार इन संस्थाओं में से उन्हीं को जमीन दी जा रही है जो कल्पवास करते हैं. इसके अलावा अन्य संस्थाओं को जमीन आवंटित नहीं की जाएगी. साथ ही मेले वाले दिन भीड़ कम हो इसके भी प्रयास किया जा रहा है. भीड़ अधिक होने से कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा.

प्रशासन के लिए चुनौती
वर्तमान में कोरोना महामारी ने एक बार फिर से अपना भयावय रूप लेना शुरू कर दिया है. ऐसे में इतने बड़े धार्मिक मेले को करवा पाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि एक बीमार भी अगर मेले में पहुंच गया तो लोगों के स्वास्थ्य से एक बड़ा खिलवाड़ होगा.

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