प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में पवन पुत्र बजरंगबली की एक ऐसी विशालकाय मूर्ति तैयार की गई है, जिसमें वह हवा में उड़ते हुए नजर आ रहे हैं. मूर्ति की लम्बाई तकरीबन 35 फिट है. दावा किया जा रहा है कि हवा में उड़ते हुए स्वरुप में बजरंगबली की यह सबसे बड़ी मूर्ति है. इस अनूठी मूर्ति को प्रयागराज के शहर दक्षिणी क्षेत्र के रामबाग इलाके के हनुमान मंदिर की छत पर लगाया जाएगा. श्रद्धालु सामने के ओवर ब्रिज या फिर मंदिर की छत पर जाकर इस अनूठी मूर्ति का दर्शन कर सकेंगे और उसकी पूजा अर्चना कर पवन पुत्र से आरोग्यता का आशीर्वाद ले सकेंगे.
म्यूजियम से जुड़े मूर्तिकार ने तैयार की मूर्ति
35 फिट लम्बी इस मूर्ति को प्रयागराज के झूंसी इलाके में इलाहाबाद म्यूजियम से जुड़े देश के नामी मूर्तिकार डॉ. नगीना राम, सुभाष कुमार और उनकी टीम ने तैयार किया है. मूर्ति को तैयार करने में तकरीबन 4 महीने का वक्त लगा है. करीब 12 कारीगरों और मजदूरों ने 6 महीने तक दिन-रात कड़ी मेहनत कर मूर्ति को पूरी तरह से तैयार किया है. फाइबर और मेटल को मिक्स कर तैयार की गई इस मूर्ति का वजन करीब बारह सौ किलो है. इसमें लोहे के एंगल और सरिया का भी भरपूर इस्तेमाल किया गया है, ताकि इसे मजबूती मिल सके. मूर्ति को अब बड़ी क्रेन के जरिये ट्रेलर पर लादकर मंदिर की छत तक पहुंचाया जाएगा.
हनुमान जयन्ती पर स्थापित होनी थी मूर्ति
मूर्ति को हनुमान जयन्ती पर ही स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा किए जाने का कार्यक्रम था, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से इसमें देरी हो गई है. मंदिर में स्थापित होने से पहले ही हवा में उड़ते विशालकाय हनुमान जी की इस प्रतिमा के दर्शन के लिए रोजाना सैकड़ों की संख्या में बजरंग बली के भक्त झूंसी इलाके में आते हैं. भक्तों को अब मूर्ति की स्थापना का बेसब्री से इंतजार है.
प्रयागराज में कई रूपों में विराजमान हैं बजरंगबली
संगम नगरी प्रयागराज में पवन पुत्र हनुमान जी कई स्वरूपों में विराजमान हैं. कहीं वह बाल रूप में हैं तो कहीं ब्राह्मण रूप में, कहीं वह पंचमुखी स्वरुप में भक्तों को दर्शन देते हैं तो कहीं उन्हें छुआरा चढ़ाए जाने की परंपरा है. श्रृंगवेरपुर में वह खड़े होकर अपना सीना चीरकर प्रभु राम और माता जानकी का दर्शन कराते हैं. संगम किनारे के मंदिर में बजरंगबली आराम की मुद्रा में लेटी हुई अवस्था में पूजे जाते हैं.
चुनौती से कम नहीं था इतनी बड़ी मूर्ति तैयार करना
सुभाष कुमार देश के जाने माने मूर्तिकार हैं. उन्होंने अपने जीवन में सैकड़ों खास किस्म की मूर्तियां तैयार की हैं, लेकिन उनका कहना है कि हवा में उड़ते बजरंग बली की मूर्ति तैयार कर उन्हें जो सुकून मिला है, वह इससे पहले कभी नहीं मिला. इतनी बड़ी मूर्ति तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन समेत जमकर हुई बारिश और जलभराव के बावजूद बजरंग बली की कृपा से ही यह मुमकिन हो सका है. उनके मुताबिक स्थापना के बाद जब नए सिरे से इसका रंग रोगन किया जाएगा तो इसकी भव्यता और भी बढ़ जाएगी.