प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट के कई अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हाईब्रिड मोड में सुनवाई व्यवस्था लागू करने की मांग की है. महासचिव के मार्फत मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए खत में न्याय प्रशासन में व्याप्त कुप्रबंध पर सवाल खड़े किये गए हैं और कहा गया है कि न्याय में देरी, न्याय देने से इनकार की कहावत फलीभूत हो रही है.
वकीलों का कहना है कि सुनवाई के दौरान टाले गये नये केस अनिश्चितता के भंवर में उलझ कर रह गये हैं. कोरोना काल में बड़ी मुश्किल से मिल रहे काम की रिपोर्टिंग की लचर स्थित परेशानी बढ़ा रही है. वर्चुअल सुनवाई में वकीलों को ठीक से बहस करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है. जिससे उन्हें अपमानित होना पड़ रहा है.
वकीलों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. ये वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. समय से न्याय न मिल पाने की वजह से वादकारियों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है. इस स्थिति का अनुचित फायदा एजेंसियां उठाने में कामयाब हो रही हैं.
पूर्व संयुक्त सचिव प्रशासन संतोष कुमार मिश्र, ऋतेश श्रीवास्तव सहित कई वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश से न्यायिक कार्य को ट्रैक पर वापस लाने की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा है कि हाईब्रिड मोड में सुनवाई व्यवस्था लागू की जाए. अन्यथा वकीलों के पास आमरण अनशन के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में हस्ताक्षर करने वाले वकीलों में दो वकीलों के अलावा डी के यादव, राजेश कुमार त्रिपाठी, अमित कुमार मिश्र, विनोद मिश्र, शशि भूषण राय, के एन सिंह, जनार्दन यादव कई अधिवक्ता शामिल हैं.
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दूसरी तरफ अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डॉक्टर डी वाई चंद्रचूड़, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा को पत्र लिखकर हाईब्रिड मोड में सुनवाई व्यवस्था लागू करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि वर्चुअल सुनवाई में वादकारियों को न्याय दिलाने में भारी कठिनाई आ रही है.