प्रयागराजः एशिया की सबसे बड़ी अदालत इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन की स्थापना के 150 वर्ष पूरे हो गए हैं. इस मौके पर बार एसोसिएशन की तरफ से दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजन किया गया. शनिवार को कार्यक्रम के समापन समारोह में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ई कोर्ट के थर्ड फेज की घोषणा की.
संविधान के मुताबिक ही देश चलेगाः कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि 'न्यायपालिका और सरकार के बीच कोई लड़ाई नहीं है. दोनों के बीच कोई महाभारत नहीं छिड़ी हुई है. हम सब मिलकर देश के लिए काम कर रहे हैं. देश के मालिक देश के लोग यानी जनता है. संविधान गाइड है और संविधान के मुताबिक ही देश चलेगा. मैं खुद को महान देश के सेवक के रूप में देखता हूं.'
चार करोड़ 90 लाख मुकदमे लंबित: कानून मंत्री ने इस दौरान अधिवक्ताओं से कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को सोच समझकर बोलना चाहिए. अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट में बार की परंपरा को बनाए रखना चाहिए. वहीं, देश की अदालतों में मुकदमों की पेंडेंसी पर कानून मंत्री ने कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में चार करोड़ 90 लाख मुकदमे लंबित हैं. यह पेंडेंसी जल्द कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. लेकिन हम इस पेंडेंसी के रेट को कम कर सकते हैं. इसके लिए समाधान खोजे जा रहे हैं.
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2015 में ई कोर्ट फेज टू की हुई थी शुरुआत: कानून मंत्री ने कहा कि मैन पावर के अलावा टेक्नोलॉजिकल सल्यूशन निकाले जा रहे हैं. अदालतों में 2015 में ई कोर्ट फेज टू की शुरुआत हुई थी. भारत के इतिहास में यह बहुत बड़ा कदम है. कोविड-19 के दौरान भी मुकदमों की सुनवाई में इसका लाभ मिला. 2015 में 1670 करोड़ का बजट ई कोर्टों के लिए आवंटित हुआ था. पेंडमिक के दौरान अदालतें खुली और लोगों को न्याय मिला और इसका वैश्विक स्तर पर संदेश गया है. जिस तरह से कोविड-19 के दौरान अदालतों में काम हुआ यह विदेशों की कल्पना से बाहर है. कानून मंत्री ने कार्यक्रम में ई कोर्ट के थर्ड फेज की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका को ई कोर्ट के थर्ड फेज में ले जाएंगे. इसके लिए बजट में 7000 करोड़ का प्रावधान किया गया है. विक्टिम को ट्रांसपोर्ट की वजह से तकलीफ हो रही है. मुकदमों का बोझ किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए अच्छा नहीं है. केंद्रीय कानून मंत्री ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को ई कोर्ट के थर्ड फेज में लीड रोल लेने का भी आह्वान किया.
50 करोड़ से ज्यादा लोग बोलते हैं हिंदीः इसके अलावा केंद्रीय कानून मंत्री ने न्यायपालिका में अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अंग्रेजी भाषा बोलना अच्छी बात है यह ग्लोबल लैंग्वेज है. लेकिन भाषा बोलने से पहले सोच महत्वपूर्ण है. कानून मंत्री ने कहा देश में 50 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं. चीन के बाद हिंदी बोली जाने वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा है. उन्होंने अपेक्षा की है कि रीजनल और हिंदी लैंग्वेज में हाईकोर्ट में फैसले हों. अधिवक्ता अदालतों में मातृभाषा में बात करें ताकि जज और अधिवक्ता के बीच के क्या बातचीत हो रही है, ये वादी भी समझ सकें.
दुनिया का सबसे बड़ा हाईकोर्ट बार एसोसिएशनः केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि रीजनल लैंग्वेज में लोअर कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में फैसले होने चाहिए. कानून मंत्री ने कहा कि इसके लिए शब्दकोश तैयार किया जा रहा है. हाईकोर्ट बार के स्थापना दिवस पर बार ने लाइब्रेरी का जो मुद्दा उठाया है उसे आगे बढ़ाएंगे. कानून मंत्री ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन दुनिया का सबसे बड़ा बार एसोसिएशन है. इसलिए हमारी तुलना विश्व में कहीं नहीं है. समापन कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस कृष्ण मुरारी, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर भी मंच पर मौजूद रहे.
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