प्रयागराज: एक महीने से लगे लॉकडाउन की वजह से रोज कमाने खाने वाले मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कमाई न होने की वजह से दूसरों से कर्ज लेकर घर परिवार चला रहे थे, लेकिन अब कर्ज न चुका पाने से परेशान हैं. कुछ ऐसा ही हाल ट्रक ड्राइवर और छोटी लोडर गाड़ियां चलाने वालों का भी है. इसके साथ ही लोन लेकर छोटी लोडर गाड़ियां खरीदने वाले मालिक भी किस्त न जमा कर पाने से परेशान हैं. कई ड्राइवरों को भी काम नहीं मिल पा रहा है तो वहीं कुछ लोग गाड़ी की किस्त जमा करने के लिए परेशान हैं.
दरअसल, प्रयागराज में अलग-अलग जिले से आकर बहुत से लोग मजदूरी करके अपना परिवार चलाते रहे हैं. ऐसे में महीने भर के लॉकडाउन लगे होने की वजह से इन लोगों को काम मिलना बंद हो गया है, जिस वजह से बड़ी संख्या में मजदूर अपने घर वापस चले गए हैं, लेकिन बहुत से ऐसे भी दिहाड़ी मजदूर हैं जो किराये के कमरों में रहकर अपने बच्चों को पढ़ाते लिखाते हैं. ऐसे लोग अभी भी काम मिलने की आस से रोज शहर के लेबर चौराहे पर आकर बैठते हैं. शहर के कई इलाकों में मजदूरों के बैठने वाले चौराहे चिन्हित हैं, जहां पर बैठकर मजदूर काम मिलने का इंतजार करते हैं.
कर्ज में डूबे हैं कई मजदूरदिन भर मजदूरी करके अपना घर चलाने वाले इन मजदूरों में से कई ने कोरोना की पहली लहर के दौरान ब्याज पर रुपये उधार लिए थे. पिछले बार की उधार ली गई रकम की पूरी वापसी मजदूर कर भी नहीं पाए थे कि अभी लगाए गए लॉकडाउन की वजह से उन्हें दूसरी बार भी कर्ज लेना पड़ गया है. उनका कहना है कि घर परिवार चलाने के लिए मजबूरी में पैसे उधार लेने पड़ रहे हैं क्योंकि सरकार की तरफ से उन्हें मुफ्त में अनाज तो मिल जाएगा, लेकिन किराया, पढ़ाई-दवाई और खाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती ही है जिसके लिए उन्हें ब्याज पर लोगों से कर्ज लेना पड़ा है. इस कर्ज की भरपाई के लिए उन्हें अभी से परेशान किया जाने लगा है.
कम मजदूरी लेकर भी कर रहे हैं काम रामबाग लेबर चौराहे पर मौजूद मजदूरों ने बताया कि पहले उन्हें चार से साढ़े चार सौ रुपये तक मजदूरी मिलती थी, लेकिन अब काम न होने की वजह से वो लोग कम मजदूरी मिलने पर भी काम कर रहे हैं. जहां पर एक मजदूर की जरूरत होती है, वहां पर दो से तीन लोग जाकर काम करते हैं और उतनी ही मजदूरी को वो आपस में बांट लेते हैं. इस तरह से काम करके एक आदमी की मजदूरी में दो-तीन मजदूरों को कुछ न कुछ रकम जरूर मिल जाती है. कर्ज लेकर चला रहे आजीविका. इसे भी पढ़ें: हे भगवान : त्रिवेणी के तट पर दफन लाशों से नोच ले गए कफन !
गाड़ियों में सामान लादने वाले मजदूर भी हैं बेहाल
ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रकों व दूसरी छोटी-बड़ी गाड़ियों में सामान लादने और उतारने वाले मजदूरों का भी कुछ ऐसा ही हाल है. उन्हें भी रोज काम नहीं मिल रहा है, जिससे उनके घरों में दो वक्त की रोटी बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन मजदूरों का कहना है कि जबसे आंशिक कोरोना कर्फ्यू लगा है, बहुत से सामानों की आवाजाही कम हो गई है, जिस वजह से उनकी कमाई भी बंद हो गई है. लोडिंग-अनलोडिंग करने वाले जो पल्लेदार रोजाना 500 से ज्यादा कमाते थे अब उन्हें रोज काम ही नहीं मिल रहा है.
वाहन चालकों के सामने किस्त भरने की समस्या. इसे भी पढ़ें: आनंद गिरि ने अपने गुरु महंत नरेन्द्र गिरी के पैर पकड़कर मांगी माफी, विवाद खत्म
ड्राइवर और गाड़ी मालिक भी परेशान
ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रक व दूसरी छोटी गाड़ियों के ड्राइवर जहां भाड़ा न मिलने से परेशान हैं, वहीं कई गाड़ियों के मालिक महीने भर से गाड़ी के खड़ी होने की वजह से परेशान हैं. उनका कहना है कि भाड़ा न मिलने से कमाई बंद हैं, लेकिन गाड़ी की किस्त बैंक व प्राइवेट फाइनेंस कंपनी में जमा करनी पड़ेगी. प्राइवेट फाइनेंस कंपनी किस्त जमा करने में कोई राहत नहीं देती हैं, जिससे उनके सामने किस्त जमा करने की समस्या खड़ी हो गई है.