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महाभारत कालीन है प्रयागराज का पड़िला महादेव मंदिर, जानें क्या है मान्यता - significance of padila mahadev temple

प्रयागराज जिले से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थिर है पड़िला महादेव मंदिर(Padila Mahadev). मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के समय की थी. मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Aug 15, 2021, 7:14 AM IST

प्रयागराज: प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहते हैं. तीर्थराज प्रयाग में कई ऐसे मठ- मंदिर हैं जिनका अपना अलग महत्व और मान्यता है. इन्हीं में से एक है पांडेश्वर महादेव मंदिर(Pandeshwar Mahadev Temple). जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी. जिले से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर पड़िला महादेव(Padila Mahadev) के नाम से मशहूर है. पड़िला महादेव को पांडेश्वर नाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है.

मान्यता है कि अज्ञातवाश के दौरान पांडव यहां कुछ दिनों के लिए रुके थे और उन्होंने ने ही भगवान कृष्ण के कहने पर यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. जो कालांतर में पांडेश्वरनाथ महादेव (Pandeshwar Mahadev) के नाम से प्रचलित हुआ. द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा स्थापित यह शिवलिंग प्रयाग की पंचकोसी परिक्रमा में भी शामिल होता है और प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा, बगैर पाण्डेश्वरनाथ धाम के अधूरी मानी जाती है. लोगों का मानना है कि मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. इस मंदिर की प्रसिद्धि आस-पास के कई जिलों में है. प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, जौनपुर सहित कई जिलों के लोग इस मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए आते हैं. सावन के महीने में पूरे माह कांवड़िए गंगाजल, ध्वजा-पताका, बेलपत्र, धतूरा आदि लेकर महादेव का दर्शन करने आते हैं और उन्हें जल चढ़ाते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट
इसे भी पढ़ें-तिलभर बढ़ता है तिलभांडेश्वर शिवलिंग, जानिए क्या है मान्यतासावन माह, शिवरात्रि और मलमास के महीने में पड़िला महादेव में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. यही वजह है कि महाशिवरात्रि और सावन के समय में यहां भक्तों की काफी संख्या में भीर उमड़ती है और मुरादें पूरी होने पर भक्त यहां निशान भी चढ़ाते हैं. मंदिर के पुजारी अखिलेश गिरि बताते हैं कि यहां आने वालों की झोली कभी खाली नहीं रहती है. उनकी मुरादें पड़िला महादेव जरूर पूरी करते हैं. इस मंदिर के समीप राधाकृष्ण, बैजू बाबा, पार्वती जी, काल भैरव, बजरंग बली, कालीदास का मंदिर भी स्थित है. जहां पर भी भक्तों की भारी भीड़ लगती है. वहीं मंदिर के नजदीक एक ऐतिहासिक तालाब भी है. जहां स्नान के बाद ही लोग पांडेश्वर नाथ के दर्शन के लिए जाते हैं.

प्रयागराज: प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहते हैं. तीर्थराज प्रयाग में कई ऐसे मठ- मंदिर हैं जिनका अपना अलग महत्व और मान्यता है. इन्हीं में से एक है पांडेश्वर महादेव मंदिर(Pandeshwar Mahadev Temple). जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी. जिले से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर पड़िला महादेव(Padila Mahadev) के नाम से मशहूर है. पड़िला महादेव को पांडेश्वर नाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है.

मान्यता है कि अज्ञातवाश के दौरान पांडव यहां कुछ दिनों के लिए रुके थे और उन्होंने ने ही भगवान कृष्ण के कहने पर यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. जो कालांतर में पांडेश्वरनाथ महादेव (Pandeshwar Mahadev) के नाम से प्रचलित हुआ. द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा स्थापित यह शिवलिंग प्रयाग की पंचकोसी परिक्रमा में भी शामिल होता है और प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा, बगैर पाण्डेश्वरनाथ धाम के अधूरी मानी जाती है. लोगों का मानना है कि मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. इस मंदिर की प्रसिद्धि आस-पास के कई जिलों में है. प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, जौनपुर सहित कई जिलों के लोग इस मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए आते हैं. सावन के महीने में पूरे माह कांवड़िए गंगाजल, ध्वजा-पताका, बेलपत्र, धतूरा आदि लेकर महादेव का दर्शन करने आते हैं और उन्हें जल चढ़ाते हैं.

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