प्रयागराज: प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहते हैं. तीर्थराज प्रयाग में कई ऐसे मठ- मंदिर हैं जिनका अपना अलग महत्व और मान्यता है. इन्हीं में से एक है पांडेश्वर महादेव मंदिर(Pandeshwar Mahadev Temple). जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी. जिले से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर पड़िला महादेव(Padila Mahadev) के नाम से मशहूर है. पड़िला महादेव को पांडेश्वर नाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता है कि अज्ञातवाश के दौरान पांडव यहां कुछ दिनों के लिए रुके थे और उन्होंने ने ही भगवान कृष्ण के कहने पर यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. जो कालांतर में पांडेश्वरनाथ महादेव (Pandeshwar Mahadev) के नाम से प्रचलित हुआ. द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा स्थापित यह शिवलिंग प्रयाग की पंचकोसी परिक्रमा में भी शामिल होता है और प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा, बगैर पाण्डेश्वरनाथ धाम के अधूरी मानी जाती है. लोगों का मानना है कि मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. इस मंदिर की प्रसिद्धि आस-पास के कई जिलों में है. प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, जौनपुर सहित कई जिलों के लोग इस मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए आते हैं. सावन के महीने में पूरे माह कांवड़िए गंगाजल, ध्वजा-पताका, बेलपत्र, धतूरा आदि लेकर महादेव का दर्शन करने आते हैं और उन्हें जल चढ़ाते हैं.
महाभारत कालीन है प्रयागराज का पड़िला महादेव मंदिर, जानें क्या है मान्यता - significance of padila mahadev temple
प्रयागराज जिले से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थिर है पड़िला महादेव मंदिर(Padila Mahadev). मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के समय की थी. मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.
प्रयागराज: प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहते हैं. तीर्थराज प्रयाग में कई ऐसे मठ- मंदिर हैं जिनका अपना अलग महत्व और मान्यता है. इन्हीं में से एक है पांडेश्वर महादेव मंदिर(Pandeshwar Mahadev Temple). जिसके बारे में मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी. जिले से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर पड़िला महादेव(Padila Mahadev) के नाम से मशहूर है. पड़िला महादेव को पांडेश्वर नाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता है कि अज्ञातवाश के दौरान पांडव यहां कुछ दिनों के लिए रुके थे और उन्होंने ने ही भगवान कृष्ण के कहने पर यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. जो कालांतर में पांडेश्वरनाथ महादेव (Pandeshwar Mahadev) के नाम से प्रचलित हुआ. द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा स्थापित यह शिवलिंग प्रयाग की पंचकोसी परिक्रमा में भी शामिल होता है और प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा, बगैर पाण्डेश्वरनाथ धाम के अधूरी मानी जाती है. लोगों का मानना है कि मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. इस मंदिर की प्रसिद्धि आस-पास के कई जिलों में है. प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, जौनपुर सहित कई जिलों के लोग इस मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए आते हैं. सावन के महीने में पूरे माह कांवड़िए गंगाजल, ध्वजा-पताका, बेलपत्र, धतूरा आदि लेकर महादेव का दर्शन करने आते हैं और उन्हें जल चढ़ाते हैं.