प्रयागराज: तीर्थराज प्रयाग में कई पौराणिक और ऐतिहासिक देवस्थान हैं, जिनकी अपनी मान्यता और धार्मिक महत्व है. इन्हीं में से एक है प्रयागराज (Prayagraj) के शिवकुटी (Shivkuti) इलाके में स्थापित कोटेश्वर महादेव मंदिर (Koteshwar Mahadev Temple). मान्यता है कि कोटेश्वर महादेव मंदिर में जो शिवलिंह स्थापित है उसकी स्थापना स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने त्रेता युग में की थी. कहा जाता है कि श्री राम ने गंगा किनारे इस शिवलिंग की स्थापना उस वक्त की थी जब वो लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौट रहे थे. मान्यता है कि इस शिवलिंग पर जल चढ़ाने और पूजा करने से एक करोड़ शिवलिंग की पूजा के बराबर पुण्य मिलता है. इसी वजह से इस शिवलिंग को कोटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. शिवरात्रि और सावन के महीने के अलावा आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है.
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण के वध के बाद लंका पर विजय हासिल करके अयोध्या लौटते समय भगवान राम प्रयागराज में भारद्वाज मुनि के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने गए, लेकिन भारद्वाज मुनि ने श्री राम को पैर छूने से रोकते हुए आशीर्वाद देने से मना कर दिया. जब प्रभु राम ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि आपने रावण का वध किया है, इसलिए आपके ऊपर ब्रह्म हत्या का पाप लगा हुआ है. जब तक इस पाप से आपको मुक्ति नहीं मिलती तब तक आपको आशीष नहीं दे सकते.
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सदियों पुराने इस शिवलिंग को ज्यादातर लोगों के द्वारा छूने की वजह से उसके क्षतिग्रस्त होने की शंका बढ़ने लगी जिसके बाद शिवलिंग को सुरक्षित रखने की दृष्टि से मंदिर प्रशासन की तरफ से सालों पहले इस शिवलिंग को तांबे के कवर से ढक दिया गया है. तब से भक्त तांबे के कवच के बाहर से ही शिवलिंग को स्पर्श करके जलाभिषेक करते हुए उसकी पूजा अर्चना करते हैं.
इस मंदिर में कोटेश्वर महादेव के ठीक सामने माता पार्वती की एक मूर्ति भी स्थापित है. शिवलिंग की पूजा के साथ ही भक्त माता पार्वती की भी उपासना करते हैं. शिवलिंग के सामने माता की मूर्ति स्थापित होने की वजह से यहां पर बहुत से नवदम्पति शादी के बाद सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद लेने आते हैं. नयी नवेली दुल्हनें अपने सुहाग की रक्षा के लिए माता पार्वती से आशीर्वाद मांगती हैं.
शिवलिंग पूजा से होती है मनोकामनाएं पूरी
त्रेता युग मे भगवान राम के हाथ से स्थापित किये गए इस शिवलिंग का सच्चे मन से दर्शन और पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उनके जीवन और घर में सुख शांति का वास होता है. एक शिवलिंग की पूजा करके भक्तों को एक करोड़ शिवलिंग की पूजा के बराबर पुण्य मिलता है जिस वजह से आज भी शिवभक्त यहां पर भोले नाथ की पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं.