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कोराना की वजह से प्रयागराज में नहीं लगा कार्तिक मेला, दुकानदार मायूस

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Published : Nov 7, 2020, 1:24 PM IST

प्रयागराज में कोरोना की गाइडलाइन को देखते हुए इस बार कार्तिक स्नान तो श्रद्धालु बलुआ घाट पर कर रहे हैं लेकिन यहां ऐतिहासिक कार्तिक मेला नहीं लगेगा. हर साल साल कार्तिक महीने की शुरुआत से ही दूर-दराज के श्रद्धालु प्रयागराज में स्नान करने पहुंचते थे लेकिन कोरोना काल में संख्या बहुत कम हो गई है.

बलुआ घाट, प्रयागराज.
बलुआ घाट, प्रयागराज.

प्रयागराजः कोराना की वजह से हर क्षेत्र पर असर पड़ा है. कोरोना काल में धार्मिक आयोजनों और मेलों पर ग्रहण लग गया है. इसकी वजह से श्रद्धालु और दुकानदारों में मायूसी है. इसी कड़ी में प्रयागराज में भी इस बार कार्तिक मेला नहीं लग रहा है. वहीं बहुत कम संख्या में श्रद्धालु घाटों पर स्नान करने पहुंच रहे हैं.

कोरोना की गाइडलाइन को देखते हुए इस बार कार्तिक स्नान तो श्रद्धालु बलुआ घाट पर करेंगे लेकिन बरसों पुराना ऐतिहासिक कार्तिक मेला नहीं लगेगा. मान्यता है कि यहां स्नान करने से अकाल मृत्यु को भी मोक्ष मिल जाता है, लेकिन इस बार सन्नाटा दिख रहा है. वहीं घटिया और बेरोजगारों को 1 महीने तक रोजगार मिलने का अवसर भी इस बार नहीं मिला.

प्रयागराज में सूने पड़े घाट.

बहुत कम श्रद्धालु लगा रहे डुबकी
महीने भर गंगा-यमुना के घाटों पर सुबह-शाम स्नान दीपदान और कीर्तनों के साथ भगवान विष्णु के जगाया जाता है. मान्यता के अनुसार इन्हीं अनुष्ठानों के साथ देवोत्थान एकादशी को भगवान लोकहित के लिए जागते हैं और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाता है. यमुना तट पर इस बार कोरोना महामारी की वजह से कार्तिक मेला नहीं लगाया जा रहा है. लेकिन आस्था और भक्ति के कारण लोग स्नान-ध्यान के लिए आ जाते हैं. कार्तिक मास प्रारंभ होने के साथ ही थोड़ी-थोड़ी संख्या में लोग भोर में यमुना में डुबकी लगा रहे हैं.


दुकानदारों में छायी मायूसी
बलुआ घाट के अलावा संगम, गऊघाट, ककरा घाट और कीडगंज घाट पर भी लोग हमेशा डुबकी लगाते थे. लेकिन इस बार कोरोना काल की काली छाया इस घाट पर पड़ गई है. बता दें कि हर साल कार्तिक मेले के शुरू होते ही आसपास के क्षेत्र गुलजार हो जाते थे और घरेलू उपयोग में आने वाली और बच्चों के खिलौने आदि के दुकानें सज जाी थीं. जबकि इस बार कोरोना महामारी के गाइडलाइन के चलते मेले पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिससे हर वर्ष रोजगार की आस लगाने वालों पर भी मायूसी छा गई है.

प्रयागराजः कोराना की वजह से हर क्षेत्र पर असर पड़ा है. कोरोना काल में धार्मिक आयोजनों और मेलों पर ग्रहण लग गया है. इसकी वजह से श्रद्धालु और दुकानदारों में मायूसी है. इसी कड़ी में प्रयागराज में भी इस बार कार्तिक मेला नहीं लग रहा है. वहीं बहुत कम संख्या में श्रद्धालु घाटों पर स्नान करने पहुंच रहे हैं.

कोरोना की गाइडलाइन को देखते हुए इस बार कार्तिक स्नान तो श्रद्धालु बलुआ घाट पर करेंगे लेकिन बरसों पुराना ऐतिहासिक कार्तिक मेला नहीं लगेगा. मान्यता है कि यहां स्नान करने से अकाल मृत्यु को भी मोक्ष मिल जाता है, लेकिन इस बार सन्नाटा दिख रहा है. वहीं घटिया और बेरोजगारों को 1 महीने तक रोजगार मिलने का अवसर भी इस बार नहीं मिला.

प्रयागराज में सूने पड़े घाट.

बहुत कम श्रद्धालु लगा रहे डुबकी
महीने भर गंगा-यमुना के घाटों पर सुबह-शाम स्नान दीपदान और कीर्तनों के साथ भगवान विष्णु के जगाया जाता है. मान्यता के अनुसार इन्हीं अनुष्ठानों के साथ देवोत्थान एकादशी को भगवान लोकहित के लिए जागते हैं और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाता है. यमुना तट पर इस बार कोरोना महामारी की वजह से कार्तिक मेला नहीं लगाया जा रहा है. लेकिन आस्था और भक्ति के कारण लोग स्नान-ध्यान के लिए आ जाते हैं. कार्तिक मास प्रारंभ होने के साथ ही थोड़ी-थोड़ी संख्या में लोग भोर में यमुना में डुबकी लगा रहे हैं.


दुकानदारों में छायी मायूसी
बलुआ घाट के अलावा संगम, गऊघाट, ककरा घाट और कीडगंज घाट पर भी लोग हमेशा डुबकी लगाते थे. लेकिन इस बार कोरोना काल की काली छाया इस घाट पर पड़ गई है. बता दें कि हर साल कार्तिक मेले के शुरू होते ही आसपास के क्षेत्र गुलजार हो जाते थे और घरेलू उपयोग में आने वाली और बच्चों के खिलौने आदि के दुकानें सज जाी थीं. जबकि इस बार कोरोना महामारी के गाइडलाइन के चलते मेले पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिससे हर वर्ष रोजगार की आस लगाने वालों पर भी मायूसी छा गई है.

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