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31मार्च को कपिल मुनि करवरिया की याचिका की इलाहाबाद हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

कपिल मुनि करवरिया की याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में 31 मार्च को होगी. कोर्ट ने प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Mar 3, 2022, 10:58 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए नियुक्तियों में षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज आपराधिक मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है. राज्य सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है. जिसका याची की तरफ से जवाब दाखिल करने का समय मांगा गया. याचिका की सुनवाई 31मार्च को होगी.

ये आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने कपिल मुनि करवरिया की धारा 482 की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने की मांग में दाखिल याचिका पर दिया है. याची अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी ने कोर्ट से समय की मांग की. याचिका में स्वयं को बेकसूर बताते हुए पुलिस चार्जशीट और केस कार्रवाही को रद्द किये जाने की मांग की गयी है.

आपको बता दें कि 2019 में जिला पंचायत में नियुक्तियों में धांधली की शिकायत की जांच कराई गई. षड्यंत्र और भ्रष्टाचार को लेकर दाखिल रिपोर्ट पर विशेष सचिव उत्तर प्रदेश ने एसपी कौशांबी को एफआईआर दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया. जिसपर मंझनपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई. पुलिस ने वर्ष 2004-5 और 2009 में लिपिक भर्ती में षड्यंत्र और अनियमितता के आरोप में चार्जशीट दाखिल की. आरोप है कि करवरिया उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे. इनकी अध्यक्षता में चयन समिति गठित हुई. जिसमें पंचायत सदस्य मधुपति, सुशीला देवी, श्रीपाल चयन समिति के सदस्य थे. इन लोगों की मिलीभगत से नियुक्तियां की गईं. चार पदों के विरुद्ध 8 लोगों की नियुक्ति की गई. अपने चहेतों को नौकरी पर रख लिया गया. नियुक्ति की सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई.

इसे भी पढ़ें- हाईकोर्ट ने बाहुबली मुख्तार अंसारी की सुरक्षा की मांग को लेकर दाखिल याचिका की खारिज

याची अधिवक्ता का कहना है कि नया जिला बना था. स्टाफ की जरूरत थी. नियमानुसार चयन समिति ने चयन किया और नियुक्ति की गई. ये आरोप निराधार है. आपराधिक कार्रवाई रद्द की जाये.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए नियुक्तियों में षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज आपराधिक मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है. राज्य सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है. जिसका याची की तरफ से जवाब दाखिल करने का समय मांगा गया. याचिका की सुनवाई 31मार्च को होगी.

ये आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने कपिल मुनि करवरिया की धारा 482 की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने की मांग में दाखिल याचिका पर दिया है. याची अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी ने कोर्ट से समय की मांग की. याचिका में स्वयं को बेकसूर बताते हुए पुलिस चार्जशीट और केस कार्रवाही को रद्द किये जाने की मांग की गयी है.

आपको बता दें कि 2019 में जिला पंचायत में नियुक्तियों में धांधली की शिकायत की जांच कराई गई. षड्यंत्र और भ्रष्टाचार को लेकर दाखिल रिपोर्ट पर विशेष सचिव उत्तर प्रदेश ने एसपी कौशांबी को एफआईआर दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया. जिसपर मंझनपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई. पुलिस ने वर्ष 2004-5 और 2009 में लिपिक भर्ती में षड्यंत्र और अनियमितता के आरोप में चार्जशीट दाखिल की. आरोप है कि करवरिया उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे. इनकी अध्यक्षता में चयन समिति गठित हुई. जिसमें पंचायत सदस्य मधुपति, सुशीला देवी, श्रीपाल चयन समिति के सदस्य थे. इन लोगों की मिलीभगत से नियुक्तियां की गईं. चार पदों के विरुद्ध 8 लोगों की नियुक्ति की गई. अपने चहेतों को नौकरी पर रख लिया गया. नियुक्ति की सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई.

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याची अधिवक्ता का कहना है कि नया जिला बना था. स्टाफ की जरूरत थी. नियमानुसार चयन समिति ने चयन किया और नियुक्ति की गई. ये आरोप निराधार है. आपराधिक कार्रवाई रद्द की जाये.

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