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Magh Mela In Prayagraj: कल्पवास से बीमारियों पर कैसे होता है नियंत्रण? शोध कर रहे डॉक्टरों से जानिए - चेस्ट स्पेसिस्ट डॉक्टर डीएन केशरवानी

संगमनगरी के माघ मेले में कल्पवास के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया है. श्रद्धालुओं का कहना है कि संगमनगरी में कल्पवास से उनकी शारीरिक बिमारी दूर हो जाती है. लेकिन कैसे?

Kalpvas In Prayagraj
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Published : Feb 4, 2023, 7:53 PM IST

डॉक्टर डीएन केशरवानी ने बताया कि कल्पवास से कैसे दूर होती है बिमारी

प्रयागराजः संगम नगरी के माघ मेले में हजारों श्रद्धालु एक महीने का कल्पवास करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि कल्पवास के लिए आने वाले अधिकतर बुजुर्गो को गंगा की रेती में कल्पवास से सेहत की चिंता से काफी हद तक राहत मिल जाती है. सालों से कल्पवास करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा की शरण में आने की वजह से उन्हें शारीरिक कष्टों से आराम मिल जाता है. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि कल्पवास में आने के बाद श्रद्धालुओं का जीवन नियमित और संयमित हो जाता है. उनकी दिनचर्या में परिवर्तन होता है. जिससे उन्हें कई तरह की बीमारियों से आराम मिलता है.

Kalpvas In Prayagraj
कल्पवास के लिए सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बच्चे और किशोर भी संगमनगरी पहुंचते हैं

कल्पवास में सेहत में ऐसे होता है सुधारः प्रयागराज के मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के चेस्ट स्पेसिस्ट डॉक्टर डीएन केशरवानी ने बताया कि वो पिछले तीन सालों से मेला शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में कल्पवास के दौरान श्रद्धालुओं की दिनचर्या और खान-पान बदलने से सेहत में सुधार होता है. कल्पवासी सुबह शाम जल्दी उठते हैं. इनमें ज्यादातर कल्पवासी संगम और गंगा में स्नान करने के लिए पैदल जाते हैं. इसके अलावा एक समय भोजन करते हैं. तामसी भोजन का त्याग करके सादा बोजन ग्रहण करते हैं. जिससे कल्पवास के दौरान इनकी सेहत में सुधार होता है.

वहीं, डॉ. सुष्मिता का कहना है कि कल्पवासी तमाम तरह की चिंताओं को छोड़कर संगम की रेती पर एक माह का समय व्यतीत करते हैं. संगम किनारे संतो की वाणी से प्रवचन और ज्ञान के साथ सकारात्मक सोच वाली बातें सुनकर भी कल्पवासियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही शुगर ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों पर भी कंट्रोल होता है. कल्पवास के दौरान अधिकतर कल्पवासियों को कई तरह की बीमारियां नियंत्रित हो जाती हैं.

Kalpvas In Prayagraj
संगमनगरी में कल्पवास कि लिए मांघ मेले में जाते श्रद्धालु

कल्पवास करने आए रवींद्र नाथ शुक्ला ने बताया कि लोग जब वो घर छोड़कर माघ मेले में कल्पवास करने के लिए प्रकृति की गोद में आ जाते हैं तो उनकी बीमारी और तकलीफें मां गंगा हर लेती हैं. मां गंगा की कृपा से संयमित रहते हुए बिना किसी तकलीफ के एक महीने तक का कल्पवास पूरा कर लेते हैं. इस दौरान खान-पान पैदल चलना समय से खाना-पीना. सोना-जागने की एक नियमत दिनचर्या में लाने की वजह से उनके अंदर ऊर्जा बढ़ जाती है. जिस वजह से शरीर में जो बीमारियां रहती हैं उन सब पर नियंत्रण हो जाता है.

ये भी पढ़ेंः Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को इन चीजों का लगाएं भोग, इनके बिना अधूरी है पूजा

डॉक्टर डीएन केशरवानी ने बताया कि कल्पवास से कैसे दूर होती है बिमारी

प्रयागराजः संगम नगरी के माघ मेले में हजारों श्रद्धालु एक महीने का कल्पवास करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि कल्पवास के लिए आने वाले अधिकतर बुजुर्गो को गंगा की रेती में कल्पवास से सेहत की चिंता से काफी हद तक राहत मिल जाती है. सालों से कल्पवास करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा की शरण में आने की वजह से उन्हें शारीरिक कष्टों से आराम मिल जाता है. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि कल्पवास में आने के बाद श्रद्धालुओं का जीवन नियमित और संयमित हो जाता है. उनकी दिनचर्या में परिवर्तन होता है. जिससे उन्हें कई तरह की बीमारियों से आराम मिलता है.

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कल्पवास के लिए सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बच्चे और किशोर भी संगमनगरी पहुंचते हैं

कल्पवास में सेहत में ऐसे होता है सुधारः प्रयागराज के मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के चेस्ट स्पेसिस्ट डॉक्टर डीएन केशरवानी ने बताया कि वो पिछले तीन सालों से मेला शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में कल्पवास के दौरान श्रद्धालुओं की दिनचर्या और खान-पान बदलने से सेहत में सुधार होता है. कल्पवासी सुबह शाम जल्दी उठते हैं. इनमें ज्यादातर कल्पवासी संगम और गंगा में स्नान करने के लिए पैदल जाते हैं. इसके अलावा एक समय भोजन करते हैं. तामसी भोजन का त्याग करके सादा बोजन ग्रहण करते हैं. जिससे कल्पवास के दौरान इनकी सेहत में सुधार होता है.

वहीं, डॉ. सुष्मिता का कहना है कि कल्पवासी तमाम तरह की चिंताओं को छोड़कर संगम की रेती पर एक माह का समय व्यतीत करते हैं. संगम किनारे संतो की वाणी से प्रवचन और ज्ञान के साथ सकारात्मक सोच वाली बातें सुनकर भी कल्पवासियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही शुगर ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों पर भी कंट्रोल होता है. कल्पवास के दौरान अधिकतर कल्पवासियों को कई तरह की बीमारियां नियंत्रित हो जाती हैं.

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संगमनगरी में कल्पवास कि लिए मांघ मेले में जाते श्रद्धालु

कल्पवास करने आए रवींद्र नाथ शुक्ला ने बताया कि लोग जब वो घर छोड़कर माघ मेले में कल्पवास करने के लिए प्रकृति की गोद में आ जाते हैं तो उनकी बीमारी और तकलीफें मां गंगा हर लेती हैं. मां गंगा की कृपा से संयमित रहते हुए बिना किसी तकलीफ के एक महीने तक का कल्पवास पूरा कर लेते हैं. इस दौरान खान-पान पैदल चलना समय से खाना-पीना. सोना-जागने की एक नियमत दिनचर्या में लाने की वजह से उनके अंदर ऊर्जा बढ़ जाती है. जिस वजह से शरीर में जो बीमारियां रहती हैं उन सब पर नियंत्रण हो जाता है.

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