प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में तैनात आरक्षी को उसके द्वारा भारतीय सेना में दी गई सेवाओं को जोड़ते हुए उसका वेतन निर्धारित करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने आरक्षी विकास कुमार मिश्रा की याचिका पर दिया है. आरक्षी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम ने बहस की. इनका कहना था कि उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन के पैरा 410 तथा सिविल सर्विस रेगुलेशन के प्रस्तर 422 व 526 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि भूतपूर्व सैनिकों द्वारा दी गई सेवाओं की अवधि को वर्तमान सेवा में जोड़ा जाएगा तथा उनका वेतन सेना से रिटायर होने की तिथि को आहरित अंतिम मूल वेतन के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
अधिवक्ताओं का तर्क था कि शासनादेश 6 अगस्त 1977, 26 मार्च 1980, 22 मार्च 1991, 7 नवंबर 2014, 21 जनवरी 2016 एवं 17 जून 2021 में यह व्यवस्था दी गई है कि भूतपूर्व सैनिकों की पूर्व सेवाओं को यूपी पुलिस रेगुलेशन के पैरा 410 तथा सिविल सर्विस रेगुलेशन के प्रस्तर 422 एवं 526 के अंतर्गत जोड़ा जाएगा. कहा गया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हंस नाथ द्विवेदी एवं हरिश्चंद्र के केस में भूतपूर्व सैनिकों की सेवाएं जोड़े जाने की व्यवस्था प्रतिपादित कर रखा है.
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प्रस्तुत मामले में याची विकास कुमार मिश्र उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग में आरक्षी के पद पर 5 जून 2021 को नियुक्त हुआ. उसकी नियुक्ति भूतपूर्व सैनिक कोटे के अंतर्गत की गई. याची भारतीय सेना में वर्ष 2001 से 2017 तक सेवा करने के बाद रिटायर हुआ. तत्पश्चात उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में आरक्षी के पद पर नियुक्त हुआ. याची की भारतीय सेना में की गई सेवा अवधि को वर्तमान में नहीं जोड़ा जा रहा है.
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