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कांस्टेबल भर्ती 2009: 856 अभ्यर्थियों के समायोजन पर फंसा पेंच, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

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Published : Jul 15, 2021, 10:21 PM IST

यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2009 में गलत ढंग से चयनित 856 ओबीसी म‌हिला अभ्यर्थियों को 2014 की भर्ती में समायोजित करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा है.

allahabad high court
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प्रयागराज: यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2009 में गलत ढंग से चयनित 856 ओबीसी म‌हिला अभ्यर्थियों को 2014 की भर्ती में समायोजित करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मुकेश गोस्वामी व नौ अन्य की विशेष अपील पर दिया है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से पूछा है कि 856 चयनित महिला अभ्यर्थियों को किस वर्ष की रिक्तियों में शामिल किया गया है. कोर्ट ने बोर्ड को 10 दिन में यह बताने के लिए कहा है कि, क्या 2009 की भर्ती में अतिरिक्त चयनित अभ्यर्थियों को बाद में बिना भर्ती नियमों का पालन किए नियुक्तियां दी गई हैं.

याचीगण का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि 2009 की भर्ती में बोर्ड ने ओबीसी कटेगरी की 856 महिला अभ्यर्थियों को सामान्य कोटे में नियुक्ति दे दी. इसके खिलाफ याचिका हुई. हाईकोर्ट ने माना कि चयन गलत हुआ है और घोषित पदों के सापेक्ष अतिरिक्त चयन किया गया है. एकल पीठ के फैसले के खिलाफ भर्ती बोर्ड की स्पेशल अपील और सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुमति याचिका खारिज हो गई. इसके बाद प्रदेश सरकार ने 2014 में शासनादेश जारी कर भविष्य में होने वाली रिक्तियों के सापेक्ष इन चयनित अभ्यर्थियों को समायोजित कर दिया.

याची के अधिवक्ता की दलील थी कि बिना पदों को बढ़ाए अतिक्ति चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा सकती है और यदि पद बढ़ाए जाते हैं तो उसमें आरक्षण लागू करना अनिवार्य होगा. ऐसा किए बिना भर्ती बोर्ड नियुक्तियां नहीं कर सकता है. कोर्ट ने जानना चाहा है कि अतिरिक्त चयनित अभ्यर्थियों को किन रिक्तियों के सापेक्ष नियुक्ति दी गई है.

प्रयागराज: यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2009 में गलत ढंग से चयनित 856 ओबीसी म‌हिला अभ्यर्थियों को 2014 की भर्ती में समायोजित करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मुकेश गोस्वामी व नौ अन्य की विशेष अपील पर दिया है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से पूछा है कि 856 चयनित महिला अभ्यर्थियों को किस वर्ष की रिक्तियों में शामिल किया गया है. कोर्ट ने बोर्ड को 10 दिन में यह बताने के लिए कहा है कि, क्या 2009 की भर्ती में अतिरिक्त चयनित अभ्यर्थियों को बाद में बिना भर्ती नियमों का पालन किए नियुक्तियां दी गई हैं.

याचीगण का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि 2009 की भर्ती में बोर्ड ने ओबीसी कटेगरी की 856 महिला अभ्यर्थियों को सामान्य कोटे में नियुक्ति दे दी. इसके खिलाफ याचिका हुई. हाईकोर्ट ने माना कि चयन गलत हुआ है और घोषित पदों के सापेक्ष अतिरिक्त चयन किया गया है. एकल पीठ के फैसले के खिलाफ भर्ती बोर्ड की स्पेशल अपील और सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुमति याचिका खारिज हो गई. इसके बाद प्रदेश सरकार ने 2014 में शासनादेश जारी कर भविष्य में होने वाली रिक्तियों के सापेक्ष इन चयनित अभ्यर्थियों को समायोजित कर दिया.

याची के अधिवक्ता की दलील थी कि बिना पदों को बढ़ाए अतिक्ति चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा सकती है और यदि पद बढ़ाए जाते हैं तो उसमें आरक्षण लागू करना अनिवार्य होगा. ऐसा किए बिना भर्ती बोर्ड नियुक्तियां नहीं कर सकता है. कोर्ट ने जानना चाहा है कि अतिरिक्त चयनित अभ्यर्थियों को किन रिक्तियों के सापेक्ष नियुक्ति दी गई है.

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