प्रयागराज: एक लाख रुपये के इनामी बदमाश को मुठभेड़ में ढेर करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर को राष्ट्रपति मेडल की संस्तुति के बाद भी मेडल न दिए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार, डीजीपी यूपी व केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. इंस्पेक्टर शैलेश तोमर की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने यह आदेश दिया है.
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि शैलेश तोमर ने क्राइम ब्रांच गौतम बुद्ध नगर में इंस्पेक्टर रहते हुए दुर्दांत अपराधी धर्मेंद्र उर्फ लाला को 26 सितंबर 2012 को एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया था. धर्मेंद्र पर मेरठ में डिप्टी जेलर नरेंद्र द्विवेदी, नगर पालिका खेखड़ा बागपत के चेयरमैन हरेंद्र सिंह सहित दर्जनों हत्याएं, अपहरण, लूट और फिरौती जैसे मामले दर्ज थे. वह सुशील मुच्छ गैंग का शार्प शूटर और सुपारी किलर था और पुलिस कस्टडी से फरार चल रहा था.
इस बहादुरी के कार्य के लिए शैलेश तोमर को राष्ट्रपति का पुलिस पदक देने के लिए 2017 में संस्तुति की गई. पुलिस अधिकारियों के बीच इसे लेकर दर्जनों बार पत्राचार हुआ. फाइल केंद्र सरकार को भेजने के लिए उत्तर प्रदेश शासन के पास भेज दी गई. सरकारी वकील का कहना था कि शासन विचार कर रहा है और जल्दी ही निर्णय लिया जाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि भारत सरकार ने 10 मार्च 1951 को अधिसूचना जारी कर सेवा के दौरान अदम्य साहस, शौर्य का परिचय देने और अपनी जान जोखिम में डाल कर कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रपति मेडल से पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है.
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याची के खिलाफ एनकाउंटर के बाद मानवािधिकार आयोग और अन्य जांचें पूरी हो चुकी हैं और सभी में एनकाउंटर सही पाया गया है. इसके बाद ही उनको मेडल दिए जाने की संस्तुति की गई. इसके बावजूद 2017 से कोई निर्णय नहीं लिया गया और न ही अवार्ड के तौर पर मिलने वाला एक लाख रुपये का इनाम ही उनको दिया गया है.