प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने केन्द्र सरकार की अनौपचारिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत कार्यरत अनुदेशकों को अन्य विभागों में समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट के आदेशानुसार राज्य सरकार ने समायोजन की कोई योजना अभी तक तैयार नहीं की है. इसलिए योजना तैयार कर अनुदेशकों के समायोजन पर विचार किया जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने कौशांबी के अंबिका प्रसाद उपाध्याय व 15 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की. अधिवक्ता राघवेंद्र प्रसाद ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि याचियों की नियुक्ति केन्द्र व राज्य की अनौपचारिक शिक्षा योजना के तहत की गयी थी. इन्होंने 1989 से 2001 तक कार्य किया. 1अप्रैल 2001 से यह योजना समाप्त कर सर्व शिक्षा अभियान योजना में समाहित कर लिया गया. योजना बंद होने से समायोजन को लेकर पूरे देश में याचिकाएं दायर की गई. पटना हाईकोर्ट ने 11 अगस्त 2015 को अनुदेशकों के भी समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया. इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जो खारिज हो गई.
बिहार में योजना तैयार कर समायोजित कर लिया गया, प्रदेश के अनुदेशकों ने पैरटी मांगी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्कीम तैयार करने का निर्देश दिया है किंतु अभी तक कोई स्कीम तैयार नहीं की गई है. जब योजना के तहत सुपरवाइजर व अन्य पदों पर नियुक्त लोगों को समायोजित कर लिया गया है. अनुदेशकों के समायोजन की स्कीम तैयार नहीं की गई है. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को स्कीम बनने पर याचियों को समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है.