प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले अध्यापकों को भी ग्रेच्युटी पाने का हकदार माना है. कोर्ट ने इस मामले में सहायक निदेशक सहारनपुर द्वारा ग्रेच्युटी देने से इनकार करने के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति विकल्प भरने के शासनादेश का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामले में कोई लेना देना नहीं है. यह शासनादेश शैक्षिक सेवानिवृत्ति लेने वाले अध्यापकों पर लागू नहीं होगा.
इंटर कॉलेज से रिटायर प्रधानाध्यापक अशोक कुमार तोमर की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने दिया है. मामले के अनुसार अशोक कुमार तोमर इंटरमीडिएट कॉलेज में लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुए थे. 23 अक्टूबर 2002 को वह प्रिंसिपल नियुक्त हुए 27 वर्ष 9 माह 28 दिन की सेवा पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 2009 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली मगर उनको सेवानिवृत्ति भुगतान नहीं किया गया.
हाईकोर्ट के आदेश पर सहायक निदेशक माध्यमिक शिक्षा सहारनपुर रीजन में पेंशन जारी करने का आदेश दिया मगर ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया. भुगतान यह कहते हुए रोक दिया गया कि याची कर्मचारी की परिभाषा में नहीं आता है. साथ ही 29 अगस्त 91 के शासनादेश के अनुसार 58 वर्ष या 60 वर्ष में सेवानिवृत्त का विकल्प भरने वाले कोही ग्रेच्युटी का भुगतान किया जा सकता है.
याची के अधिवक्ता का कहना था कि उपरोक्त शासनादेश स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामले में लागू नहीं होगा. कोर्ट ने दलील स्वीकार करते हुए सहायक निदेशक का आदेश रद्द कर दिया है तथा याची को 2 माह के भीतर 9 प्रतिशत ब्याज सहित ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया है.
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