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परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करने का डीएम को अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज या संशोधित करने का डीएम को अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने डीएम और ग्राम विकास अधिकारी के आदेशों को अधिकार क्षेत्र से बाहर करार देते हुए रद्द कर दिया है. साथ ही नियमानुसार अर्जी दाखिल होने पर पक्षो को सुनकर छह हफ्ते में एसडीओ को निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

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Published : Apr 1, 2021, 10:44 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कानून अगर किसी कार्य का तरीका तय करता है, तो कार्य भी उसी तरीके से किया जाना चाहिए नहीं तो वह कार्य विधि विरुद्ध माना जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी और न्यायमूर्ति एसके ओझा की खंडपीठ ने दोस्तपुर, मैनपुरी की राम मूर्ति देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया.

डीएम ने 4 मार्च 2020 को तीन विपक्षियों का नाम याची के परिवार रजिस्टर में दर्ज करने का आदेश दिया और याची को संशोधित परिवर्तित जन प्रमाणपत्र जारी कर दिया. इस पर ग्राम विकास अधिकारी ने 18 मार्च 2020 को रजिस्टर में विपक्षियों का नाम शामिल कर लिया. इसे याचिका में चुनौती दी गई. कहा गया कि जिलाधिकारी को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है. क्योंकि परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करने के आदेश के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार एसडीओ को है और उसका फैसला अंतिम होगा.

पढ़ें: आगरा की छोटी मस्जिद में दबी हैं श्रीकृष्‍ण की प्रतिमाएं, कोर्ट में पहुंचा मामला

कोर्ट ने याची के तर्को से सहमत होते हुए कहा कि नियम 6 के तहत सहायक विकास अधिकारी पंचायत को अर्जी दिए जाने पर वह जांच करेगा. उसकी रिपोर्ट और आदेश पर ग्राम सभा सचिव रजिस्टर में नाम दर्ज करेगा. असंतुष्ट होने पर एसडीओ के समक्ष अपील होगी. ऐसे में डीएम को परिवार रजिस्टर में नाम शामिल करने का आदेश देने का वैधानिक अधिकार नहीं है.

गो तस्करी के आरोपी के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भदोही, गोपीगंज निवासी टाटा मैजिक मालिक मनोज के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. साथ ही याची को 30 दिन में कोर्ट में समर्पण कर जमानत अर्जी दाखिल करने और उसे यथाशीघ्र तय करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता ने टाटा मैजिक मालिक मनोज की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया. याची के खिलाफ गो हत्या निरोधक कानून और पशु क्रूरता कानून के तहत आपराधिक केस दर्ज किया गया है,

याची अधिवक्ता प्रशान्त मिश्र का कहना था कि याची वाहन स्वामी है. पशुओं का ट्रांसपोर्टेशन अपराध नहीं है. जब तक कि यह वध के लिए ले जाया न जा रहा हो. हाईकोर्ट ने इस तर्क से सहमति जताई, लेकिन कहा कि पुलिस ने परेशान करने के लिए वाहन जब्त किया है. इस संबंध में याची डिस्चार्ज अर्जी हाईकोर्ट में दाखिल कर सकता है. हाईकोर्ट ने याची के खिलाफ चल रहे मुकद्दमे की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया.

अध्यापक चुनाव ड्यूटी मामला: राज्य सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव ड्यूटी पर लापरवाही बरतने के आरोप में देवरिया के सहायक अध्यापक के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. साथ ही याची के खिलाफ 7 दिसंबर 2020 के आदेश के तहत चल रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है. याची को सेवा में बने रहने,अध्यापन कार्य करने और वेतन भुगतान जारी रखने का भी निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कृष्ण चंद्र सिंह की याचिका पर दिया.

याची अधिवक्ता डीके ओझा का कहना है कि अनिवार्य शिक्षा कानून के उपबंधों और सुनीता शर्मा केस के फैसले के अनुसार अध्यापकों से चुनाव ड्यूटी नहीं ली जा सकती. ऐसा करने से अध्यापन कार्य में बाधा आएगी. ऐसे में जिस चुनाव ड्यूटी में भेजा जा नहीं सकता, उसी में लापरवाही बरतने के आरोप में विभागीय कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कानून अगर किसी कार्य का तरीका तय करता है, तो कार्य भी उसी तरीके से किया जाना चाहिए नहीं तो वह कार्य विधि विरुद्ध माना जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी और न्यायमूर्ति एसके ओझा की खंडपीठ ने दोस्तपुर, मैनपुरी की राम मूर्ति देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया.

डीएम ने 4 मार्च 2020 को तीन विपक्षियों का नाम याची के परिवार रजिस्टर में दर्ज करने का आदेश दिया और याची को संशोधित परिवर्तित जन प्रमाणपत्र जारी कर दिया. इस पर ग्राम विकास अधिकारी ने 18 मार्च 2020 को रजिस्टर में विपक्षियों का नाम शामिल कर लिया. इसे याचिका में चुनौती दी गई. कहा गया कि जिलाधिकारी को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है. क्योंकि परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करने के आदेश के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार एसडीओ को है और उसका फैसला अंतिम होगा.

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कोर्ट ने याची के तर्को से सहमत होते हुए कहा कि नियम 6 के तहत सहायक विकास अधिकारी पंचायत को अर्जी दिए जाने पर वह जांच करेगा. उसकी रिपोर्ट और आदेश पर ग्राम सभा सचिव रजिस्टर में नाम दर्ज करेगा. असंतुष्ट होने पर एसडीओ के समक्ष अपील होगी. ऐसे में डीएम को परिवार रजिस्टर में नाम शामिल करने का आदेश देने का वैधानिक अधिकार नहीं है.

गो तस्करी के आरोपी के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भदोही, गोपीगंज निवासी टाटा मैजिक मालिक मनोज के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. साथ ही याची को 30 दिन में कोर्ट में समर्पण कर जमानत अर्जी दाखिल करने और उसे यथाशीघ्र तय करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता ने टाटा मैजिक मालिक मनोज की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया. याची के खिलाफ गो हत्या निरोधक कानून और पशु क्रूरता कानून के तहत आपराधिक केस दर्ज किया गया है,

याची अधिवक्ता प्रशान्त मिश्र का कहना था कि याची वाहन स्वामी है. पशुओं का ट्रांसपोर्टेशन अपराध नहीं है. जब तक कि यह वध के लिए ले जाया न जा रहा हो. हाईकोर्ट ने इस तर्क से सहमति जताई, लेकिन कहा कि पुलिस ने परेशान करने के लिए वाहन जब्त किया है. इस संबंध में याची डिस्चार्ज अर्जी हाईकोर्ट में दाखिल कर सकता है. हाईकोर्ट ने याची के खिलाफ चल रहे मुकद्दमे की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया.

अध्यापक चुनाव ड्यूटी मामला: राज्य सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव ड्यूटी पर लापरवाही बरतने के आरोप में देवरिया के सहायक अध्यापक के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. साथ ही याची के खिलाफ 7 दिसंबर 2020 के आदेश के तहत चल रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है. याची को सेवा में बने रहने,अध्यापन कार्य करने और वेतन भुगतान जारी रखने का भी निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कृष्ण चंद्र सिंह की याचिका पर दिया.

याची अधिवक्ता डीके ओझा का कहना है कि अनिवार्य शिक्षा कानून के उपबंधों और सुनीता शर्मा केस के फैसले के अनुसार अध्यापकों से चुनाव ड्यूटी नहीं ली जा सकती. ऐसा करने से अध्यापन कार्य में बाधा आएगी. ऐसे में जिस चुनाव ड्यूटी में भेजा जा नहीं सकता, उसी में लापरवाही बरतने के आरोप में विभागीय कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

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