प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ केवल महिलाएं होने और पुरुषों का अनुबंध न बढ़ाने के शासनादेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर राज्य परियोजना निदेशक से जवाब मांगा है. कोर्ट ने इस मामले में कोई अंतरिम आदेश न करते हुए मामले में अगली सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख तय की है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है.
केंद्र सरकार ने 20 अक्तूबर 2022 को आदेश जारी किया था कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में अब किसी पुरुष का अनुबंध नवीनीकरण नहीं किया जाएगा. इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने 20 अप्रैल 2023 को और राज्य परियोजना निदेशक ने 25 अप्रैल 2023 को आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि सभी टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ अब महिलाएं होंगी. किसी पुरुष का किसी भी पद पर नवीनीकरण नहीं किया जाएगा.
फारूक अहमद ने इस आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 36 अकाउंटेंट के पक्ष में स्थगनादेश पारित कर दिया. उसके बाद लगभग डेढ़ दर्जन और याचिकाएं दाखिल हुईं. कहा गया कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सभी पदों पर पुरुषों का चयन डाइक्रिमिनेटरी है. राज्य परियोजना निदेशक की ओर से कहा गया कि यह केंद्र व राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है, जिसमें न्यायालय को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. यह भी कहा गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 का उद्देश्य छात्राओं की सुरक्षा व उनकी शिक्षा का अपग्रेडेशन करना है.
उसी के परिप्रेक्ष्य में शासन ने उक्त आदेश जारी किया है. राज्य परियोजना निदेशक के अधिवक्ता अतुल कुमार शाही ने यह भी कहा कि कस्तूरबा गांधी विद्यालय में सभी वर्ग की छात्राएं पढ़ाई करती हैं और रहती हैं. उनकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए पुरुषों को वहां नहीं होना चाहिए. साथ ही संविधान में भी यह प्रावधान है कि ऐसा आरक्षण अनुच्छेद 15 से बाधित नहीं होता.
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