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हाथरस कांड: न्यायिक जांच के लिए दाखिल दूसरी PIL पर सुनवाई से हाईकोर्ट का इनकार

हाथरस कांड की न्यायिक जांच के लिए दाखिल दूसरी जनहित याचिका पर सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि लखनऊ खंडपीठ पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही है. ऐसे में एक ही मामले को लेकर दूसरी याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता. याची चाहे तो अपनी मांग को लेकर वहीं अर्जी दायर कर सकता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Dec 4, 2020, 10:17 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस कांड की न्यायिक जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ पहले से ही मामले में सुनवाई कर रही है. याची उसी खंडपीठ में अर्जी दाखिल कर सकता है. बबिता उपाध्याय की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायाधीश पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है.

याचिका में मांग की गई थी कि जिला प्रशासन को आदेश जारी हो कि पीड़ित परिवार से जनता व मीडिया को मुलाकात करने से न रोका जाए. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है. ऐसे में एक ही मामले को लेकर दूसरी याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि याची चाहे तो अपनी मांग को लेकर लखनऊ बेंच में अर्जी दायर कर सकता है. मालूम हो कि लखनऊ बेंच में पारित आदेश के बाद सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस कांड की न्यायिक जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ पहले से ही मामले में सुनवाई कर रही है. याची उसी खंडपीठ में अर्जी दाखिल कर सकता है. बबिता उपाध्याय की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायाधीश पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है.

याचिका में मांग की गई थी कि जिला प्रशासन को आदेश जारी हो कि पीड़ित परिवार से जनता व मीडिया को मुलाकात करने से न रोका जाए. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है. ऐसे में एक ही मामले को लेकर दूसरी याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि याची चाहे तो अपनी मांग को लेकर लखनऊ बेंच में अर्जी दायर कर सकता है. मालूम हो कि लखनऊ बेंच में पारित आदेश के बाद सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी है.

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