प्रयागराज: अपनी ही मां की कुल्हाड़ी से पीट-पीटकर हत्या करने और बहन को गंभीर रूप से घायल करने के आरोपी को मिली उम्रकैद की सजा हाईकोर्ट ने कम कर दी है. कोर्ट ने माना कि यह मामला हत्या का नहीं, बल्कि सदोष मानव वध का है. इसलिए अभियुक्त को आईपीसी की धारा 304ए के तहत सजा सुनाना उचित होगा. कोर्ट ने सेशन कोर्ट भदोही द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को संशोधित करने के साथ ही अभियुक्त को हत्या के प्रयास के आरोप से भी मुक्त कर दिया है.
भदोही के रमेश यादव की आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति उमेश चंद शर्मा की पीठ ने दिया. रमेश यादव के खिलाफ 16 फरवरी 2016 को उसके पिता बनारसी ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. दर्ज रिपोर्ट में बताया गया था कि रमेश ने अपनी मां सुखरामी देवी को कुल्हाड़ी से मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया है. उसने अपनी बहन बिंदु देवी पर भी कुल्हाड़ी से वार किया. जिसकी वजह से बिंदु देवी गंभीर रूप से घायल हो गई है. घटना के 16 दिन बाद इलाज के दौरान सुखरामी देवी की मौत हो गई.
चश्मदीद गवाहों के अनुसार, घटना के दिन रमेश की मां कुंए पर कपड़े धो रही थी. उसी वक्त रमेश ने अपनी मां से अपने कपड़े धोने के लिए कहा था. इस पर रमेश की मां ने कहा कि उसके कपड़े वह अगले दिन धोएगी. इसी बात से नाराज रमेश ने अपनी मां के ऊपर कुल्हाड़ी से कई वार किए. मारपीट में बचाव करने आई रमेश की बहन बिंदु देवी कुल्हाड़ी की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गई.
हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि रमेश का कृत्य हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि इससे पूर्व उसने कभी अपने माता-पिता से झगड़ा नहीं किया था. मां पर उसने प्रहार कुल्हाड़ी के धारदार वाले हिस्से से नहीं किया, बल्कि पिछले हिस्से से मारा था. इसका अर्थ यह है कि उसका इरादा हत्या करने का नहीं था, बल्कि तत्कालिक आवेश में उसने यह कृत्य किया. इसलिए रमेश अपराध आईपीसी की धारा 304ए के तहत सदोष मानव वध की श्रेणी में आता है.