ETV Bharat / state

शादी के लिए प्रियंका बनी आलिया, HC ने कहा- यह उसका अधिकार

हाईकोर्ट ने प्रेम विवाह के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दो युवा को अपनी पसंद का पार्टनर चुनने का पूरा हक है. इनके जीवन में हस्तक्षेप पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार का अतिक्रमण है.

author img

By

Published : Nov 24, 2020, 10:48 AM IST

Updated : Nov 24, 2020, 12:30 PM IST

शादी के लिए प्रियंका बनी आलिया
शादी के लिए प्रियंका बनी आलियाशादी के लिए प्रियंका बनी आलिया

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि संविधान सभी को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है. इससे व्यक्तिगत संबंधों में हस्तक्षेप या दो बालिग व्यक्तियों के पसंद की स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हनन होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी तथा न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है.

कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से शादी करने के विरोध में उनके पिता द्वारा दर्ज कराई गई अपहरण और पॉक्सो एक्ट की प्राथमिकी को रद्द कर दिया है. प्राथमिकी कुशीनगर के विष्णुपुरा थाने में दर्ज कराई गई है.

बालिग जोड़े को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार

कोर्ट ने कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग-अलग धर्मों के बावजूद जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हिस्सा है. किसी बालिग जोड़े को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है. पिता की तरफ से कहा गया कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित है. ऐसी शादी कानून की नजर मे वैध नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा कि हम हिन्दू मुस्लिम नहीं देख रहे, बल्कि दो युवा देख रहे हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 अपनी पसंद और इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है. इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि संविधान सभी को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है. इससे व्यक्तिगत संबंधों में हस्तक्षेप या दो बालिग व्यक्तियों के पसंद की स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हनन होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी तथा न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है.

कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से शादी करने के विरोध में उनके पिता द्वारा दर्ज कराई गई अपहरण और पॉक्सो एक्ट की प्राथमिकी को रद्द कर दिया है. प्राथमिकी कुशीनगर के विष्णुपुरा थाने में दर्ज कराई गई है.

बालिग जोड़े को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार

कोर्ट ने कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग-अलग धर्मों के बावजूद जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हिस्सा है. किसी बालिग जोड़े को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है. पिता की तरफ से कहा गया कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित है. ऐसी शादी कानून की नजर मे वैध नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा कि हम हिन्दू मुस्लिम नहीं देख रहे, बल्कि दो युवा देख रहे हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 अपनी पसंद और इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है. इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है.

Last Updated : Nov 24, 2020, 12:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.