प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग द्वारा गलत तरीके से आरक्षण लागू करने के कारण नियुक्ति से वंचित हुए अभ्यर्थी की याचिका स्वीकार करते हुए उसे नियुक्ति प्रदान करने का आदेश दिया है. साथ ही सभी प्रकार के परिणामी लाभ व वरिष्ठता का लाभ देने का भी निर्देश दिया है. अजय कुमार की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने दिया है.
मामले के अनुसार लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2000 में सहायक निबंधक के 14 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसकी चयन सूची 2004 में जारी की गई. आयोग ने 20 प्रतिशत महिलाओं को मिलने वाले क्षैतिज आरक्षण को शामिल करते हुए चयन सूची जारी की. जिसमें सामान्य वर्ग में 2 महिलाओं का चयन किया गया. याची ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी।कहा गया कि आयोग ने आरक्षण गलत तरीके से लागू किया है, क्योंकि विज्ञापन 14 पदों में से सामान्य वर्ग के लिए 7 पद बचते हैं. यदि इन सात पर्दों में 20 प्रतिशत के हिसाब से आरक्षण लागू किया जाए तो 1.4 पद होते हैं. इसको राउंड ऑफ करने पर एक पद महिला के लिए बचता है. लेकिन आयोग ने गलत तरीका अपनाते हुए दो पदों पर महिलाओं की नियुक्ति कर दी. याची जो की प्रतीक्षा सूची में सबसे ऊपर है, यदि यह गलत आरक्षण न लागू होता तो नियुक्ति पा सकता था.
याची की ओर से पक्ष रख रहे हैं वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्टों द्वारा इस संबंध में दिए गए निर्णय पर विचार करने के बाद या निर्धारित किया है कि क्षैतिज आरक्षण वर्ग वार दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याची अभ्यर्थी को नियुक्त की तिथि से वरिष्ठता व अन्य परिणामी लाभ देने का भी निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए याची अजय कुमार को सहायक निबंधक के रिक्त पद पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सेवा संबंधी सभी परिणामी लाभों पर भी कानून के मुताबिक निर्णय लेने के लिए कहा है.