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जेपी ग्रुप-स्पोर्ट्स सिटी मामले में हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का दिया आदेश

जेपी ग्रुप की ओर से दाखिल की गई एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की. दरअसल, स्पोस्ट्स सिटी का आवंटन रद्द होने के मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई की और मामले को यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है.

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Published : Feb 26, 2020, 6:51 AM IST

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: जेपी ग्रुप को स्पोर्ट्स सिटी का आवंटन रद्द होने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए हैं. हालांकि कोर्ट ने जेपी ग्रुप को पहले 100 करोड़ रुपये जमा करने और उसके बाद आगे सुनवाई करने को कहा है. कोर्ट ने जेपी ग्रुप को 50 करोड़ रुपये जमा करने के लिए छह मार्च और शेष रकम जमा करने के लिए 25 मार्च तक की मोहलत दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने जेपी ग्रुप की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और यमुना एक्सप्रेस वे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, इमरान इब्राहीम व गौरव त्रिपाठी को सुनकर दिया है.

यमुना एक्सपेस वे अथॉरिटी के अधिवक्ता इमरान इब्राहीम ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने लगभग 900 करोड़ रुपये बकाया होने के कारण गौतम बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में स्पोर्ट्स सिटी के लिए जेपी ग्रुप को सेक्टर 25 में 100 एकड़ जमीन का आवंटन गत 12 फरवरी को रद्द कर दिया था. यह आवंटन 2009-10 में किया गया था.

आवंटन के समय कंपनी को 20 प्रतिशत रकम जमा करना था. शेष रकम 20 अर्धवार्षिक किश्तों में देनी थी. योजना के तहत जेपी ग्रुप को 1000 एकड़ में स्पोर्ट्स सिटी के साथ आवास के 10 प्रोजेक्ट भी बनाने थे. इनमें से एक प्रोजेक्ट का लगभग 60 प्रतिशत व दो अन्य का 10 से 20 प्रतिशत तक काम भी हो चुका है, लेकिन किसी को आवास नहीं मिला है.

एडवोकेट इमराम इब्राहीम के अनुसार जेपी पर यह बकाया वर्ष 2013 से है. 2017 में इसे रिशेड्यूल किया गया, लेकिन जेपी ग्रुप ने बकाया रकम किश्तों में भी अदा नहीं की तो अथॉरिटी को आवंटन रद्द करना पड़ा. जेपी ग्रुप ने अथॉरिटी के इस आदेश के विरुद्ध याचिका दाखिल की है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: CAA के विरोध में घंटाघर पर प्रदर्शन, महिलाओं ने डिटेंशन सेंटर बनाकर जताया विरोध

प्रयागराज: जेपी ग्रुप को स्पोर्ट्स सिटी का आवंटन रद्द होने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए हैं. हालांकि कोर्ट ने जेपी ग्रुप को पहले 100 करोड़ रुपये जमा करने और उसके बाद आगे सुनवाई करने को कहा है. कोर्ट ने जेपी ग्रुप को 50 करोड़ रुपये जमा करने के लिए छह मार्च और शेष रकम जमा करने के लिए 25 मार्च तक की मोहलत दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने जेपी ग्रुप की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और यमुना एक्सप्रेस वे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, इमरान इब्राहीम व गौरव त्रिपाठी को सुनकर दिया है.

यमुना एक्सपेस वे अथॉरिटी के अधिवक्ता इमरान इब्राहीम ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने लगभग 900 करोड़ रुपये बकाया होने के कारण गौतम बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में स्पोर्ट्स सिटी के लिए जेपी ग्रुप को सेक्टर 25 में 100 एकड़ जमीन का आवंटन गत 12 फरवरी को रद्द कर दिया था. यह आवंटन 2009-10 में किया गया था.

आवंटन के समय कंपनी को 20 प्रतिशत रकम जमा करना था. शेष रकम 20 अर्धवार्षिक किश्तों में देनी थी. योजना के तहत जेपी ग्रुप को 1000 एकड़ में स्पोर्ट्स सिटी के साथ आवास के 10 प्रोजेक्ट भी बनाने थे. इनमें से एक प्रोजेक्ट का लगभग 60 प्रतिशत व दो अन्य का 10 से 20 प्रतिशत तक काम भी हो चुका है, लेकिन किसी को आवास नहीं मिला है.

एडवोकेट इमराम इब्राहीम के अनुसार जेपी पर यह बकाया वर्ष 2013 से है. 2017 में इसे रिशेड्यूल किया गया, लेकिन जेपी ग्रुप ने बकाया रकम किश्तों में भी अदा नहीं की तो अथॉरिटी को आवंटन रद्द करना पड़ा. जेपी ग्रुप ने अथॉरिटी के इस आदेश के विरुद्ध याचिका दाखिल की है.

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