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हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की भूमि का बहीखाता दो माह में दुरुस्त करने का दिया निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित बांके बिहारी मंदिर की भूमि पहले कब्रिस्तान फिर पुरानी आबादी दर्ज करने का आदेश रद्द कर दिया है. इसके साथ 2 महीने में बहीखाता दुरुस्त करने का आदेश दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 7:57 PM IST

Updated : Sep 16, 2023, 10:54 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव स्थित बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन का राजस्व अभिलेखों इंदराज (बही खाता) बदलने के आदेशों को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही तहसीलदार को दो माह में मंदिर की जमीन बांके बिहारी मंदिर के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इससे पहले स्थिति स्पष्ट करने के लिए इससे जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए थे. कोर्ट में उपस्थित एसडीएम, तहसीलदार व लेखपाल ने गलती मानी थी. आवेदन मिलने पर इंदराज बदलने की जानकारी दी थी. कोर्ट ने गलती दुरुस्त करने का आदेश दिया है.

इसे भी पढ़ें-बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन की स्थिति बदलने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी, तहसीलदार छाता तलब

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की याचिका पर दिया है. याची के अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र का कहना था कि विधिक प्रक्रिया अपनाए बगैर शाहपुर स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर की भूमि पर पहले कब्रिस्तान फिर पुरानी आबादी दर्ज कर दिया गया. राजस्व अभिलेखों में पहले यह जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम दर्ज थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसडीएम व तहसीलदार छाता से पूछा कि शाहपुर गांव के भूखंड संख्या 1081 की स्थिति समय-समय पर क्यों बदली गई. कोर्ट ने इसके लिए आधार वर्ष की खतौनी मांगी लेकिन वह खतौनी किसी पक्ष के पास नहीं थी. इस पर कोर्ट ने समय-समय हुए इंदराज से जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए.

याचिका के अनुसार प्राचीन काल से ही मथुरा के शाहपुर गांव स्थित गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था. भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से 2004 में उस भूमि को कब्रिस्तान दर्ज करा लिया. जानकारी होने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की. प्रकरण वक्फ बोर्ड तक गया और आठ सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि कब्रिस्तान गलत दर्ज किया गया है. इसके बावजूद जमीन पर बिहारी जी का नाम नहीं दर्ज किया गया. बल्कि पुरानी आबादी दर्ज कर दिया गया। इस पर यह याचिका की गई थी.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की भूमि का बही खाता बदलने के सभी रिकॉर्ड किए तलब

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव स्थित बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन का राजस्व अभिलेखों इंदराज (बही खाता) बदलने के आदेशों को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही तहसीलदार को दो माह में मंदिर की जमीन बांके बिहारी मंदिर के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इससे पहले स्थिति स्पष्ट करने के लिए इससे जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए थे. कोर्ट में उपस्थित एसडीएम, तहसीलदार व लेखपाल ने गलती मानी थी. आवेदन मिलने पर इंदराज बदलने की जानकारी दी थी. कोर्ट ने गलती दुरुस्त करने का आदेश दिया है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की याचिका पर दिया है. याची के अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र का कहना था कि विधिक प्रक्रिया अपनाए बगैर शाहपुर स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर की भूमि पर पहले कब्रिस्तान फिर पुरानी आबादी दर्ज कर दिया गया. राजस्व अभिलेखों में पहले यह जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम दर्ज थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसडीएम व तहसीलदार छाता से पूछा कि शाहपुर गांव के भूखंड संख्या 1081 की स्थिति समय-समय पर क्यों बदली गई. कोर्ट ने इसके लिए आधार वर्ष की खतौनी मांगी लेकिन वह खतौनी किसी पक्ष के पास नहीं थी. इस पर कोर्ट ने समय-समय हुए इंदराज से जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए.

याचिका के अनुसार प्राचीन काल से ही मथुरा के शाहपुर गांव स्थित गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था. भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से 2004 में उस भूमि को कब्रिस्तान दर्ज करा लिया. जानकारी होने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की. प्रकरण वक्फ बोर्ड तक गया और आठ सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि कब्रिस्तान गलत दर्ज किया गया है. इसके बावजूद जमीन पर बिहारी जी का नाम नहीं दर्ज किया गया. बल्कि पुरानी आबादी दर्ज कर दिया गया। इस पर यह याचिका की गई थी.

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Last Updated : Sep 16, 2023, 10:54 PM IST
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