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रजिस्ट्री के न्यायिक अधिकारी भी तकनीकी कार्यवाही के लिए अधिकृत : High court - हाईकोर्ट की ताजी न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में छोटी मोटी तकनीकी कार्यवाही का निस्तारण अब यहां रजिस्ट्री में नियुक्त न्यायिक अधिकारी करेंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 26, 2023, 6:27 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में छोटी मोटी तकनीकी कार्यवाही का निस्तारण अब यहां रजिस्ट्री में नियुक्त न्यायिक अधिकारी करेंगे. हाईकोर्ट रूल्स 1952 के अध्याय दो नियम एक के तहत न्यायिक प्रक्रिया में शिथिलता बरतते हुए रजिस्ट्री में नियुक्त न्यायिक अधिकारियों को कुछ छोटे मामलों में न्यायिक कार्य करने के लिए अधिकृत किया है।

न्यायिक अधिकारियों को अब कोर्ट के निर्देश के मुताबिक पक्षकारों को नोटिस का तामीला, वारंट जारी करने, अपील, याचिका, आपत्ति, पुनरीक्षण आदि की कमी दुरुस्त करने, समझौते का सत्यापन या शपथ पर गवाहों के बयान दर्ज करने के अलावा ऐसी अर्जियों को स्वीकार करने या नोटिस जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है, जिसका विरोध न किया गया हो.

इसके साथ ही आदेश 12 व आदेश 32 के मामले, सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति देने या नोटिस जारी करने, विशेष अपील स्वीकार करने, गवाहों आदि के खर्च का भुगतान, उत्तराधिकार कानून के तहत अध्याय दो नियम 1(9) के मामले, सिक्योरिटी बांड लेने, सत्यापन करने, एक ही मामले में दाखिल कई केसों में आदेश की प्रमाणित प्रति दाखिल करने से छूट देने जैसे छोटे मामले सौंपे गए हैं. इस व्यवस्था से कोर्ट के समय की बचत होगी, जिससे वे केस तय कर सकेंगे.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में छोटी मोटी तकनीकी कार्यवाही का निस्तारण अब यहां रजिस्ट्री में नियुक्त न्यायिक अधिकारी करेंगे. हाईकोर्ट रूल्स 1952 के अध्याय दो नियम एक के तहत न्यायिक प्रक्रिया में शिथिलता बरतते हुए रजिस्ट्री में नियुक्त न्यायिक अधिकारियों को कुछ छोटे मामलों में न्यायिक कार्य करने के लिए अधिकृत किया है।

न्यायिक अधिकारियों को अब कोर्ट के निर्देश के मुताबिक पक्षकारों को नोटिस का तामीला, वारंट जारी करने, अपील, याचिका, आपत्ति, पुनरीक्षण आदि की कमी दुरुस्त करने, समझौते का सत्यापन या शपथ पर गवाहों के बयान दर्ज करने के अलावा ऐसी अर्जियों को स्वीकार करने या नोटिस जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है, जिसका विरोध न किया गया हो.

इसके साथ ही आदेश 12 व आदेश 32 के मामले, सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति देने या नोटिस जारी करने, विशेष अपील स्वीकार करने, गवाहों आदि के खर्च का भुगतान, उत्तराधिकार कानून के तहत अध्याय दो नियम 1(9) के मामले, सिक्योरिटी बांड लेने, सत्यापन करने, एक ही मामले में दाखिल कई केसों में आदेश की प्रमाणित प्रति दाखिल करने से छूट देने जैसे छोटे मामले सौंपे गए हैं. इस व्यवस्था से कोर्ट के समय की बचत होगी, जिससे वे केस तय कर सकेंगे.

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