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गो हत्याओं पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा- पुलिस की लापरवाही से बढ़ रहे मामले - इलाहाबाद हाईकोर्ट

High Court News : गो हत्या एक मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पहले तो सचिव गृह को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के आदेश जारी कर दिए. लेकिन, फिर कुछ ही देर बाद इस आदेश को निरस्त कर दिया. आईए जानते हैं ऐसा क्यों किया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 30, 2023, 7:40 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के पालन में पुलिस कमिश्नर प्रयागराज रमित शर्मा को कोर्ट पहुंचने में हुई देरी से गुरुवार को मामला बिगड़ते बिगड़ते बच गया. आदेश के बावजूद कमिश्नर के समय पर अदालत में ना हाजिर होने पर कोर्ट ने सचिव गृह को तलब करने का आदेश जारी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि गृह सचिव वर्ष 2019 से अब तक प्रदेश में दर्ज को हत्या के मामलों तथा उनमें विवेचना की स्थिति कोर्ट में प्रस्तुत करें. हालांकि, बाद में कमिश्नर के हाजिर हो जाने पर कोर्ट ने सचिव गृह को तलब करने का आदेश वापस ले लिया.

प्रकरण गो हत्या के अभियुक्त सैफ अली खान की अग्रिम जमानत की सुनवाई का है. इस मामले में 17 नवंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर प्रदेश में वर्ष 2019 से अब तक हुए गो हत्या के मामलों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था. गुरुवार को जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तब तक कमिश्नर अदालत नहीं पहुंचे थे, ना ही उनकी ओर से कोई शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था.

इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 12 दिसंबर को गृह सचिव पूरे प्रदेश में हुई गो हत्या और उनकी विवेचना की स्थिति का डाटा के साथ अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर हों. यह आदेश पारित होने के कुछ ही देर बाद कमिश्नर रमित शर्मा और शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार सड अदालत में हाजिर हो गए. कमिश्नर की ओर से कोर्ट में शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया तथा शासकीय अधिवक्ता ने अदालत को प्रार्थना पत्र देकर अपना आदेश वापस लेने का अनुरोध किया, जिस पर कोर्ट ने दो दिसंबर की तारीख नियत करते हुए सचिव गृह को अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से माफी दे दी.

जबकि कोर्ट ने इसके पूर्व 17 नवंबर के आदेश में ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि कमिश्नर प्रयागराज अदालत में उपस्थित नहीं होंगे तो यह अदालत गृह सचिव को तलब करेगी. 17 नवंबर के आदेश में मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि याची सैफ अली खान के खिलाफ मामला वर्ष 2019 में दर्ज हुआ था. मगर, आज तक उसकी विवेचना पूरी नहीं हो सकी है.

कोर्ट ने कहा कि यह खेद का विषय है कि आए दिन इस प्रकार के प्रकरण सामने आते हैं जबकि यूपी में गौ हत्या प्रतिबंध है. इसके बावजूद गो हत्या की घटनाएं हो रही हैं और इसकी जो भी प्राथमिक दर्ज होती है. इसकी विवेचना में पुलिस की ओर से लचीला व्यवहार किया जाता है. विवेचना समय पर पूरी नहीं की जाती, इसलिए गो हत्या के अपराध लगातार बढ़ रहे हैं.

कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस गो हत्या के मामलों को लेकर गंभीर नहीं है. इसलिए यह अपराध बढ़ रहा है. इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को वर्ष 2019 से अब तक दर्ज गो हत्या के सभी मामलों और उनकी विवेचना की स्थिति के साथ रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था. अब अदालत इस पर दो दिसंबर को सुनवाई करेगी.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में अभियुक्त सैफ अली खान से पुलिस ने पांच बोरी में डेढ़ कुंटल मांस बरामद किया था. फॉरेंसिक जांच में यह गो मांस पाया गया था. इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए सैफ अली ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की है.

ये भी पढ़ेंः साहब! दो दिन से पेट में नहीं गया एक दाना, मां भी भूखी-प्यासी तड़प रही है, यह कहते चौकी प्रभारी से लिपट गया सुदामा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के पालन में पुलिस कमिश्नर प्रयागराज रमित शर्मा को कोर्ट पहुंचने में हुई देरी से गुरुवार को मामला बिगड़ते बिगड़ते बच गया. आदेश के बावजूद कमिश्नर के समय पर अदालत में ना हाजिर होने पर कोर्ट ने सचिव गृह को तलब करने का आदेश जारी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि गृह सचिव वर्ष 2019 से अब तक प्रदेश में दर्ज को हत्या के मामलों तथा उनमें विवेचना की स्थिति कोर्ट में प्रस्तुत करें. हालांकि, बाद में कमिश्नर के हाजिर हो जाने पर कोर्ट ने सचिव गृह को तलब करने का आदेश वापस ले लिया.

प्रकरण गो हत्या के अभियुक्त सैफ अली खान की अग्रिम जमानत की सुनवाई का है. इस मामले में 17 नवंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर प्रदेश में वर्ष 2019 से अब तक हुए गो हत्या के मामलों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था. गुरुवार को जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तब तक कमिश्नर अदालत नहीं पहुंचे थे, ना ही उनकी ओर से कोई शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था.

इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 12 दिसंबर को गृह सचिव पूरे प्रदेश में हुई गो हत्या और उनकी विवेचना की स्थिति का डाटा के साथ अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर हों. यह आदेश पारित होने के कुछ ही देर बाद कमिश्नर रमित शर्मा और शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार सड अदालत में हाजिर हो गए. कमिश्नर की ओर से कोर्ट में शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया तथा शासकीय अधिवक्ता ने अदालत को प्रार्थना पत्र देकर अपना आदेश वापस लेने का अनुरोध किया, जिस पर कोर्ट ने दो दिसंबर की तारीख नियत करते हुए सचिव गृह को अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से माफी दे दी.

जबकि कोर्ट ने इसके पूर्व 17 नवंबर के आदेश में ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि कमिश्नर प्रयागराज अदालत में उपस्थित नहीं होंगे तो यह अदालत गृह सचिव को तलब करेगी. 17 नवंबर के आदेश में मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि याची सैफ अली खान के खिलाफ मामला वर्ष 2019 में दर्ज हुआ था. मगर, आज तक उसकी विवेचना पूरी नहीं हो सकी है.

कोर्ट ने कहा कि यह खेद का विषय है कि आए दिन इस प्रकार के प्रकरण सामने आते हैं जबकि यूपी में गौ हत्या प्रतिबंध है. इसके बावजूद गो हत्या की घटनाएं हो रही हैं और इसकी जो भी प्राथमिक दर्ज होती है. इसकी विवेचना में पुलिस की ओर से लचीला व्यवहार किया जाता है. विवेचना समय पर पूरी नहीं की जाती, इसलिए गो हत्या के अपराध लगातार बढ़ रहे हैं.

कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस गो हत्या के मामलों को लेकर गंभीर नहीं है. इसलिए यह अपराध बढ़ रहा है. इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को वर्ष 2019 से अब तक दर्ज गो हत्या के सभी मामलों और उनकी विवेचना की स्थिति के साथ रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था. अब अदालत इस पर दो दिसंबर को सुनवाई करेगी.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में अभियुक्त सैफ अली खान से पुलिस ने पांच बोरी में डेढ़ कुंटल मांस बरामद किया था. फॉरेंसिक जांच में यह गो मांस पाया गया था. इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए सैफ अली ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की है.

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