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33 साल चले भैंस की सुपुर्दगी मुकदमे को हाईकोर्ट ने बताया अर्थहीन, मामला खारिज - 33 साल चला भैंस केस खारिज

33 साल चला भैंस की सुपुर्दगी का मुकदमे को हाईकोर्ट ने अर्थहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है. बता दें कि, यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी ने दिया.

हाईकोर्ट
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Published : Sep 30, 2022, 10:50 PM IST

प्रयागराज: पुलिस द्वारा पकड़ी गई भैंस को उसके मालिक को सुपुर्द करने का मुकदमा अदालतों में 33 साल तक चलता रहा. हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस मुकदमे को अर्थहीन करार देते हुए खारिज करके इसका निस्तारण कर दिया. मैनपुरी के अमृत सिंह की क्रिमिनल रिवीजन पर यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी ने दिया. क्रिमिनल रिवीजन में अपर मुंसिफ मजिस्ट्रेट के 20 अक्टूबर 1989 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि बरामद की गई भैंस और उसका बच्चा उसके मूल स्वामी को लौटा दिया जाए. अमृत सिंह ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. वर्ष 1990 में इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया गया.

यह केस तब से लगातार हाई कोर्ट में लंबित चला रहा है. गुरुवार को मुकदमा जस्टिस ओम प्रकाश त्रिपाठी की अदालत में सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुआ. कोर्ट ने कहा कि यह प्रकरण लगभग 33 वर्ष पुराना है और अर्थहीन हो चुका है. यदि किसी प्रकार की शिकायत है तो वह सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय में जा सकता है. इस निष्कर्ष ने के साथ कोर्ट ने अर्थहीन हो चुके इस मुकदमे को खारिज कर दिया है.

प्रयागराज: पुलिस द्वारा पकड़ी गई भैंस को उसके मालिक को सुपुर्द करने का मुकदमा अदालतों में 33 साल तक चलता रहा. हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस मुकदमे को अर्थहीन करार देते हुए खारिज करके इसका निस्तारण कर दिया. मैनपुरी के अमृत सिंह की क्रिमिनल रिवीजन पर यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी ने दिया. क्रिमिनल रिवीजन में अपर मुंसिफ मजिस्ट्रेट के 20 अक्टूबर 1989 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि बरामद की गई भैंस और उसका बच्चा उसके मूल स्वामी को लौटा दिया जाए. अमृत सिंह ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. वर्ष 1990 में इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया गया.

यह केस तब से लगातार हाई कोर्ट में लंबित चला रहा है. गुरुवार को मुकदमा जस्टिस ओम प्रकाश त्रिपाठी की अदालत में सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुआ. कोर्ट ने कहा कि यह प्रकरण लगभग 33 वर्ष पुराना है और अर्थहीन हो चुका है. यदि किसी प्रकार की शिकायत है तो वह सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय में जा सकता है. इस निष्कर्ष ने के साथ कोर्ट ने अर्थहीन हो चुके इस मुकदमे को खारिज कर दिया है.

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