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हाईकोर्ट का आदेश, रेप पीड़िता की कुंडली का परीक्षण कर बताएं, क्या वह मांगलिक है?

लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच ने रेप पीड़िता की कुंडली जांच कर मांगलिक होने या न होने की रिपोर्ट देने का आदेश लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष को दिया है.

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Published : Jun 3, 2023, 8:04 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शनिवार को दुराचार के मामले में जेल में बंद अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष को आदेश दिया है, कि वह मामले की पीड़िता की कुंडली को देखकर रिपेार्ट दें कि वह मांगलिक है अथवा नहीं. न्यायालय ने सभी पक्षों को दस दिनों के भीतर पीड़िता की कुंडली विभागाध्यक्ष को सौंपने का आदेश दिया है. न्यायालय ने विभागाध्यक्ष से 26 जून तक कुंडली की रिपेार्ट सील बंद लिफाफे में तलब की है. मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने दिया. अभियुक्त गोविंद राय उर्फ मोनू ने जमानत याचिका दाखिल की थी. घटना की रिपेार्ट चिनहट थाने पर दर्ज कराई गई थी. जिसमें आरोप लगाया गया है कि अभियुक्त ने पीड़िता को शादी का झांसा देकर बहला-फुसला कर उसके साथ दुराचार किया. लेकिन, बाद में शादी से मुकर गया है. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि पीड़िता मांगलिक है इसी कारण से अभियुक्त का उसके साथ विवाह नहीं हो सकता है.

वहीं, पीड़िता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि वह मांगलिक नहीं है. लगभग छह महीने से विचाराधीन अभियुक्त की जमानत याचिका जब न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ में सुनवाई के लिए पेश हुई, तो यह बात सामने आई कि अभियुक्त पीड़िता के मांगलिक होने की शंका में उस से विवाह नहीं कर रहा है. जबकि पीड़िता की ओर से बार-बार कहा जा रहा था कि वह मांगलिक नहीं है. इस पर न्यायालय लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग की मदद लेने का फैसला लिया. इसी वजह से विभागाध्यक्ष को पीड़िता की कुंडली का अध्यन कर सही स्थिति बताने को कहा है.

यह भी पढ़ें: डेढ़ वर्ष की मासूम के साथ रेप करने वाले दरिंदे को आजीवन कारावास, कोर्ट ने 5 महीने में सुनाई सजा

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शनिवार को दुराचार के मामले में जेल में बंद अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष को आदेश दिया है, कि वह मामले की पीड़िता की कुंडली को देखकर रिपेार्ट दें कि वह मांगलिक है अथवा नहीं. न्यायालय ने सभी पक्षों को दस दिनों के भीतर पीड़िता की कुंडली विभागाध्यक्ष को सौंपने का आदेश दिया है. न्यायालय ने विभागाध्यक्ष से 26 जून तक कुंडली की रिपेार्ट सील बंद लिफाफे में तलब की है. मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने दिया. अभियुक्त गोविंद राय उर्फ मोनू ने जमानत याचिका दाखिल की थी. घटना की रिपेार्ट चिनहट थाने पर दर्ज कराई गई थी. जिसमें आरोप लगाया गया है कि अभियुक्त ने पीड़िता को शादी का झांसा देकर बहला-फुसला कर उसके साथ दुराचार किया. लेकिन, बाद में शादी से मुकर गया है. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि पीड़िता मांगलिक है इसी कारण से अभियुक्त का उसके साथ विवाह नहीं हो सकता है.

वहीं, पीड़िता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि वह मांगलिक नहीं है. लगभग छह महीने से विचाराधीन अभियुक्त की जमानत याचिका जब न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ में सुनवाई के लिए पेश हुई, तो यह बात सामने आई कि अभियुक्त पीड़िता के मांगलिक होने की शंका में उस से विवाह नहीं कर रहा है. जबकि पीड़िता की ओर से बार-बार कहा जा रहा था कि वह मांगलिक नहीं है. इस पर न्यायालय लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग की मदद लेने का फैसला लिया. इसी वजह से विभागाध्यक्ष को पीड़िता की कुंडली का अध्यन कर सही स्थिति बताने को कहा है.

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