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वन विभाग न्यूनतम वेतन मामला: HC ने प्रमुख सचिव वन विभाग से 16 अक्टूबर तक मांगा व्यक्तिगत हलफ़नामा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वन विभाग के दैनिक और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित कर्मियों के न्यूनतम वेतन भुगतान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर सरकार और विभाग को फटकार लगाई है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव वन विभाग से 16 अक्टूबर तक व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है.

इशाक मोहम्मद की याचिका पर हाइकोर्ट ने वन विभाग को फटकारा.
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Published : Sep 27, 2019, 4:22 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वन विभाग के दैनिक और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित कर्मियों के न्यूनतम वेतन भुगतान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. इतना ही नहीं विभाग पर दुर्भावनापूर्ण कार्य करने की सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने राज्य सरकार को वन विभाग के अस्थायी कर्मियों को एक दिसम्बर 2018 से न्यूनतम वेतन देने का निर्देश दिया है. इसके अलावा प्रमुख सचिव वन विभाग से दो सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है. लिहाजा याचिका की सुनवाई अब 16 अक्टूबर को होगी.

इशाक मोहम्मद की याचिका पर हाइकोर्ट ने वन विभाग को फटकारा
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शेख झील पक्षी विहार अलीगढ़ के दैनिक कर्मी इशाक मोहम्मद की याचिका पर दिया है.याचिका पर अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव ने बहस की. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग के सभी अस्थायी, दैनिक संविदा, कैजुअल, तदर्थ जैसे कर्मियों को न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है.

एक दिसम्बर 2018 से मिलने वाले वेतन के लिए राज्य सरकार ने फंड ही नहीं दिया. तो कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से इस सम्बन्ध में जानकारी मांगी थी. जिस पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में जारी आदेश को वापस ले लिया. इसके बाद 13 अगस्त 2019 के इस आदेश को भी संशोधन अर्जी से चुनौती दी गयी.

सरकार की कार्रवाही को कोर्ट ने बताया दुर्भावनापूर्ण
कोर्ट ने कहा कि अपर महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने को बुलाया गया. आदेश का पालन करने के बजाय विचाराधीन मामले में बिना कोर्ट की अनुमति के निर्देशों का पालन करने के आदेश को वापस ले लिया गया. कोर्ट ने सरकार की इस कार्यवाही को प्रथम दृष्टया दुर्भावनापूर्ण करार दिया है. लिहाजा कोर्ट ने राज्य सरकार के 13 अगस्त 2019 के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही प्रमुख सचिव से ऐसा करने पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वन विभाग के दैनिक और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित कर्मियों के न्यूनतम वेतन भुगतान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. इतना ही नहीं विभाग पर दुर्भावनापूर्ण कार्य करने की सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने राज्य सरकार को वन विभाग के अस्थायी कर्मियों को एक दिसम्बर 2018 से न्यूनतम वेतन देने का निर्देश दिया है. इसके अलावा प्रमुख सचिव वन विभाग से दो सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है. लिहाजा याचिका की सुनवाई अब 16 अक्टूबर को होगी.

इशाक मोहम्मद की याचिका पर हाइकोर्ट ने वन विभाग को फटकारा
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शेख झील पक्षी विहार अलीगढ़ के दैनिक कर्मी इशाक मोहम्मद की याचिका पर दिया है.याचिका पर अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव ने बहस की. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग के सभी अस्थायी, दैनिक संविदा, कैजुअल, तदर्थ जैसे कर्मियों को न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है.

एक दिसम्बर 2018 से मिलने वाले वेतन के लिए राज्य सरकार ने फंड ही नहीं दिया. तो कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से इस सम्बन्ध में जानकारी मांगी थी. जिस पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में जारी आदेश को वापस ले लिया. इसके बाद 13 अगस्त 2019 के इस आदेश को भी संशोधन अर्जी से चुनौती दी गयी.

सरकार की कार्रवाही को कोर्ट ने बताया दुर्भावनापूर्ण
कोर्ट ने कहा कि अपर महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने को बुलाया गया. आदेश का पालन करने के बजाय विचाराधीन मामले में बिना कोर्ट की अनुमति के निर्देशों का पालन करने के आदेश को वापस ले लिया गया. कोर्ट ने सरकार की इस कार्यवाही को प्रथम दृष्टया दुर्भावनापूर्ण करार दिया है. लिहाजा कोर्ट ने राज्य सरकार के 13 अगस्त 2019 के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही प्रमुख सचिव से ऐसा करने पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.

वन विभाग के दैनिक कर्मियों को न्यूनतम वेतन देने का मामला

एक दिसम्बर 18 से न्यूनतम वेतन देने का निर्देश

प्रमुख सचिव वन विभाग से 16 अक्टूबर तक माँगा व्यक्तिगत हलफनामा

प्रयाग्रजव27 सितम्बर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वन विभाग के दैनिक व् अस्थायी कर्मचारियो को नियमित कर्मियों के न्यूनतम वेतन भुगतान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है और  विभाग पर  दुर्भावनापूर्ण कार्य करने की सख्त टिप्पणी की है।कोर्ट ने राज्य सरकार को वन विभाग के अस्थायी कर्मियों को 1 दिसम्बर 18 से न्यूनतम वेतन देने का निर्देश दिया है।और प्रमुख सचिव वन विभाग से 2 सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा माँगा है।याचिका की सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शेख झील पक्षी विहार अलीगढ़ के दैनिक कर्मी इशाक मोहम्मद की याचिके पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव ने बहस की।इनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग के सभी अस्थायी,दैनिक संविदा,कैजुअल,तदर्थ जैसे कर्मियों को न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है।1 दिसम्बर 18 से मिलने वाले वेतन के लिए राज्य सरकार ने फंड ही नही दिया।कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से इस सम्बन्ध में जानकारी मांगी थी।सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में जारी आदेश को वापस ले लिया।13 अगस्त 19 के इस आदेश को भी संशोधन अर्जी से चुनौती दी गयी।
कोर्ट ने कहा कि अपर महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने को बुलाया गया।आदेश का पालन करने के बजाय विचाराधीन मामले में बिना कोर्ट की अनुमति के निर्देशों का पालन करने के आदेश को वापस ले लिया गया।कोर्ट ने सरकार की इस कार्यवाही को प्रथम दृष्टया दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।कोर्ट ने राज्य सरकार के 13 अगस्त 19 के आदेश पर रोक लगा दी है और प्रमुख सचिव से ऐसा करने पर व्यक्तिगत हलफनामा माँगा है।याचिका की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।

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