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हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद सचिव से पूछा 'साल में कितने दिन बैठे कार्यालय में '

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद सचिव से अवमानना याचिका पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. वहीं, एक दूसरे मामले में कोर्ट ने कॉलेज प्राचार्य के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय से जवाब मांगा हैं.

हाईकोर्ट
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Published : May 18, 2023, 11:00 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज से पूछा है कि पूरे एक वर्ष के दौरान वह परिषद के प्रयागराज कार्यालय में कितने दिन बैठे हैं. कोर्ट ने सचिव प्रताप सिंह बघेल को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर अदालत को यह जानकारी देने का निर्देश दिया है. उपासना नायक की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दिया.

याची के मामले में सरकारी वकील ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के लिए 15 दिन की मोहलत मांगी थी. जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि यदि 15 दिन के भीतर सरकार आदेश का अनुपालन नहीं करती है, तो सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर हो. इस दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि सचिव ज्यादातर समय लखनऊ में रहते हैं. प्रयागराज कार्यालय में बहुत कम आते हैं जबकि बेसिक शिक्षा परिषद का मुख्यालय प्रयागराज में है. इस पर अदालत ने उनको व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि वह परिषद के प्रयागराज कार्यालय में साल में कितने दिन बैठे हैं.

कॉलेज प्राचार्य के निलंबन आदेश पर रोक, गोरखपुर विश्वविद्यालय से मांगा जवाब: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्ता के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. इसी के साथ गोरखपुर विश्वविद्यालय से इस संबंध में जवाब मांगा है. प्रोफेसर कमलेश कुमार की याचिका पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार सुनवाई कर रहे हैं.

याचिका में कुलपति गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा 3 अक्टूबर 2022 को जारी निलंबन आदेश तथा 22 मार्च 2023 को की गई चार्जशीट को चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि पहले उसे 20 दिसंबर 2021 को निलंबित किया गया था. मगर उसके आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई. कुलपति द्वारा ना तो कोई जांच कराई और ना ही चार्ज शीट दी गई. इसके बाद उस आदेश को वापस ले लिया. 3 अक्टूबर 2022 को उसे फिर से निलंबित कर दिया गया. 22 मार्च 2023 को विद्यालय में उसे चार्जशीट सौंपी. याची का कहना था कि विश्वविद्यालय के परिनियमों के अनुसार यदि निलंबन के 4 सप्ताह के भीतर चार्जशीट नहीं दी जाती है, तो निलंबन आदेश स्वता समाप्त हो जाएगा.

याची के मामले में उसे चार्ज शीट काफी विलंब से दी गई. नियमानुसार विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल जांच कमेटी का गठन करती है. जिसमें कुलपति व दो अन्य सदस्य शामिल होते हैं. याची के मामले में ऐसी कोई कमेटी गठित नहीं की. दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का कहना था की 4 सप्ताह के भीतर चार्जशीट नहीं देने पर निलंबन आदेश सक्रिय नहीं रहता है. मगर जैसे ही चार्जसीट दी जाती है, वह फिर से सक्रिय हो जाता है. कोर्ट ने कहा कि याची के मामले में एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने जांच कमेटी बनाने का आदेश तो पारित किया मगर सदस्यों की नियुक्ति नहीं की. कोर्ट ने प्रकरण को विचारणीय मानते हुए विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया है. अगली सुनवाई तक के लिए चाची के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है.

यह भी पढे़ं: हाईकोर्ट ने प्रदेशभर की ग्राम सभाओं की जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने का दिया आदेश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज से पूछा है कि पूरे एक वर्ष के दौरान वह परिषद के प्रयागराज कार्यालय में कितने दिन बैठे हैं. कोर्ट ने सचिव प्रताप सिंह बघेल को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर अदालत को यह जानकारी देने का निर्देश दिया है. उपासना नायक की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दिया.

याची के मामले में सरकारी वकील ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के लिए 15 दिन की मोहलत मांगी थी. जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि यदि 15 दिन के भीतर सरकार आदेश का अनुपालन नहीं करती है, तो सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर हो. इस दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि सचिव ज्यादातर समय लखनऊ में रहते हैं. प्रयागराज कार्यालय में बहुत कम आते हैं जबकि बेसिक शिक्षा परिषद का मुख्यालय प्रयागराज में है. इस पर अदालत ने उनको व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि वह परिषद के प्रयागराज कार्यालय में साल में कितने दिन बैठे हैं.

कॉलेज प्राचार्य के निलंबन आदेश पर रोक, गोरखपुर विश्वविद्यालय से मांगा जवाब: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्ता के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. इसी के साथ गोरखपुर विश्वविद्यालय से इस संबंध में जवाब मांगा है. प्रोफेसर कमलेश कुमार की याचिका पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार सुनवाई कर रहे हैं.

याचिका में कुलपति गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा 3 अक्टूबर 2022 को जारी निलंबन आदेश तथा 22 मार्च 2023 को की गई चार्जशीट को चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि पहले उसे 20 दिसंबर 2021 को निलंबित किया गया था. मगर उसके आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई. कुलपति द्वारा ना तो कोई जांच कराई और ना ही चार्ज शीट दी गई. इसके बाद उस आदेश को वापस ले लिया. 3 अक्टूबर 2022 को उसे फिर से निलंबित कर दिया गया. 22 मार्च 2023 को विद्यालय में उसे चार्जशीट सौंपी. याची का कहना था कि विश्वविद्यालय के परिनियमों के अनुसार यदि निलंबन के 4 सप्ताह के भीतर चार्जशीट नहीं दी जाती है, तो निलंबन आदेश स्वता समाप्त हो जाएगा.

याची के मामले में उसे चार्ज शीट काफी विलंब से दी गई. नियमानुसार विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल जांच कमेटी का गठन करती है. जिसमें कुलपति व दो अन्य सदस्य शामिल होते हैं. याची के मामले में ऐसी कोई कमेटी गठित नहीं की. दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का कहना था की 4 सप्ताह के भीतर चार्जशीट नहीं देने पर निलंबन आदेश सक्रिय नहीं रहता है. मगर जैसे ही चार्जसीट दी जाती है, वह फिर से सक्रिय हो जाता है. कोर्ट ने कहा कि याची के मामले में एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने जांच कमेटी बनाने का आदेश तो पारित किया मगर सदस्यों की नियुक्ति नहीं की. कोर्ट ने प्रकरण को विचारणीय मानते हुए विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया है. अगली सुनवाई तक के लिए चाची के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है.

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