ETV Bharat / state

हाथरस केस को लेकर दंगा भड़काने के आरोपी पीएफआई सदस्य अतीकुर्रहमान की सुनवाई 11 मार्च को

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस केस में दंगा भड़काने और देशद्रोह के आरोपी पीएफआई सदस्य अतीकुर्रहमान के सारे केसों की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की. कोर्ट ने चार्जशीट को संज्ञान में लेते हुए वारंट जारी किया है.

etv bharat
इलाहाबाद हाईकोर्ट
author img

By

Published : Mar 3, 2022, 7:49 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस केस में दंगा भड़काने और देशद्रोह के आरोपी पीएफआई सदस्य अतीकुर्रहमान के सारे केसों की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की. जिस पर याची अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए समय मांगते हुए कहा कि यह विधि प्रश्न पहली बार उठाया गया है. कोर्ट ने याची को समय देते हुए 11 मार्च को सुनवाई की तारिख तय की है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने अतीकुर्हमान की याचिका पर दिया है.

याची ने जमानत अर्जी और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सहित अन्य याचिकाएं दायर की है. सभी मामलों की एक साथ सुनवाई हो रही है. अपर महाधिवक्ता ने कहा कि सह अभियुक्त सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत अर्जी दे या नियमानुसार अन्य उपलब्ध अशुतोष प्राप्त करें. याची को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने रिमांड मंजूर किया था. पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दिया है. कोर्ट ने चार्जशीट को संज्ञान में लेते हुए वारंट जारी किया है.

इसे भी पढ़ेंः बालाजी हाईटेक कांस्ट्रक्शन के डायरेक्टर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत

कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाए गए किन्तु आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी नहीं दाखिल की गई. ऐसे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है. इस आपत्ति का जवाब देने के लिए याची अधिवक्ता ने समय मांगा है. मालूम हो कि, हाथरस जाते समय याची सहित उसके साथियों को मथुरा के मांट टोल पर पुलिस ने पकड़ा. इस समय वह मथुरा जेल में बंद हैं. इन पर दिसंबर 19 में मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने का आरोप है. साथ में रामपुर के आलम, केरल के सिद्दीक, बहराइच के मसूद को भी गिरफ्तार किया गया है. ये सभी पीएफआई सदस्य है और हाथरस की घटना को लेकर दंगा भड़काने की कोशिश करते हुए पकड़े गए हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस केस में दंगा भड़काने और देशद्रोह के आरोपी पीएफआई सदस्य अतीकुर्रहमान के सारे केसों की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की. जिस पर याची अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए समय मांगते हुए कहा कि यह विधि प्रश्न पहली बार उठाया गया है. कोर्ट ने याची को समय देते हुए 11 मार्च को सुनवाई की तारिख तय की है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने अतीकुर्हमान की याचिका पर दिया है.

याची ने जमानत अर्जी और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सहित अन्य याचिकाएं दायर की है. सभी मामलों की एक साथ सुनवाई हो रही है. अपर महाधिवक्ता ने कहा कि सह अभियुक्त सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत अर्जी दे या नियमानुसार अन्य उपलब्ध अशुतोष प्राप्त करें. याची को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने रिमांड मंजूर किया था. पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दिया है. कोर्ट ने चार्जशीट को संज्ञान में लेते हुए वारंट जारी किया है.

इसे भी पढ़ेंः बालाजी हाईटेक कांस्ट्रक्शन के डायरेक्टर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत

कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाए गए किन्तु आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी नहीं दाखिल की गई. ऐसे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है. इस आपत्ति का जवाब देने के लिए याची अधिवक्ता ने समय मांगा है. मालूम हो कि, हाथरस जाते समय याची सहित उसके साथियों को मथुरा के मांट टोल पर पुलिस ने पकड़ा. इस समय वह मथुरा जेल में बंद हैं. इन पर दिसंबर 19 में मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने का आरोप है. साथ में रामपुर के आलम, केरल के सिद्दीक, बहराइच के मसूद को भी गिरफ्तार किया गया है. ये सभी पीएफआई सदस्य है और हाथरस की घटना को लेकर दंगा भड़काने की कोशिश करते हुए पकड़े गए हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.