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ज्ञानवापी मामले में इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई 29 नवंबर को

इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी व अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर बुधवार को सुनवाई टल गई.

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ज्ञानवापी मामले में इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई 29 नवंबर को
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Published : Nov 23, 2022, 8:39 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में ज्ञानवापी (gyanvapi case) परिसर स्थित श्रृंगार गौरी व अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर बुधवार को सुनवाई टल गई. कोर्ट ने सुनवाई के लिए अब 29 नवंबर की तारीख दी है. याचिका पर बुधवार को बहस होनी थी लेकिन कोर्ट ने बिना सुनवाई करे आगे की तारीख लगा दी.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर सुनवाई कर रहे हैं. मंगलवार को याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की थी. वरिष्ठ अधिवक्ता नकवी का कहना है कि वाद का कारण 1990, 1993 व 21 अप्रैल 2021 को उत्पन्न होना बताया गया है, जो स्वयं में स्पष्ट नहीं है. दीवानी मुकदमा पूजा के अधिकार को लेकर दाखिल किया गया है.

किसी लिखित आदेश नहीं बल्कि मौखिक आदेश से सरकार द्वारा पूजा के अधिकार से वंचित करने को लेकर वाद किया गया है. उनका कहना है कि काल्पनिक मंदिर में पूजा की इजाजत मांगी गई है. ऐसी मूर्ति की पूजा की मांग की गई है जो अदृश्य है. यदि यह मांग मान ली गई तो धार्मिक स्थल का स्वरूप बदल जायेगा. परोक्ष रूप से यह 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के विपरीत होगा.

कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद ढांचे की दीवार पर श्रृंगार गौरी की पूजा का जिक्र किया है. 1990 में पूजा को लेकर कोई नहीं बोला. 18 केस दाखिल हुए हैं. दीवानी मुकदमे की मांग बिना दूसरे को हटाए पूरी नहीं की जा सकती. सवाल उठा कि मंदिर व मस्जिद का विवाद है जो बिना साक्ष्य के तय नहीं किया जा सकता.

ये भी पढ़ेंः मैनपुरी में अखिलेश यादव बोले, पिछले चुनाव में बेईमानी न हुई होती तो नतीजे कुछ और होते...देखिए VIDEO

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में ज्ञानवापी (gyanvapi case) परिसर स्थित श्रृंगार गौरी व अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर बुधवार को सुनवाई टल गई. कोर्ट ने सुनवाई के लिए अब 29 नवंबर की तारीख दी है. याचिका पर बुधवार को बहस होनी थी लेकिन कोर्ट ने बिना सुनवाई करे आगे की तारीख लगा दी.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर सुनवाई कर रहे हैं. मंगलवार को याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की थी. वरिष्ठ अधिवक्ता नकवी का कहना है कि वाद का कारण 1990, 1993 व 21 अप्रैल 2021 को उत्पन्न होना बताया गया है, जो स्वयं में स्पष्ट नहीं है. दीवानी मुकदमा पूजा के अधिकार को लेकर दाखिल किया गया है.

किसी लिखित आदेश नहीं बल्कि मौखिक आदेश से सरकार द्वारा पूजा के अधिकार से वंचित करने को लेकर वाद किया गया है. उनका कहना है कि काल्पनिक मंदिर में पूजा की इजाजत मांगी गई है. ऐसी मूर्ति की पूजा की मांग की गई है जो अदृश्य है. यदि यह मांग मान ली गई तो धार्मिक स्थल का स्वरूप बदल जायेगा. परोक्ष रूप से यह 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के विपरीत होगा.

कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद ढांचे की दीवार पर श्रृंगार गौरी की पूजा का जिक्र किया है. 1990 में पूजा को लेकर कोई नहीं बोला. 18 केस दाखिल हुए हैं. दीवानी मुकदमे की मांग बिना दूसरे को हटाए पूरी नहीं की जा सकती. सवाल उठा कि मंदिर व मस्जिद का विवाद है जो बिना साक्ष्य के तय नहीं किया जा सकता.

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