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पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया की याचिका पर सुनवाई तीन मार्च को

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए नियुक्तियों में षड्यंत्र व भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज आपराधिक मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का तीन हफ्ते का समय दिया है. याचिका की सुनवाई तीन मार्च को होगी.

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पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कपिल मुनि करवरिया की याचिका की सुनवाई 3मार्च को
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Published : Feb 7, 2022, 10:15 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए नियुक्तियों में षड्यंत्र व भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज आपराधिक मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का तीन हफ्ते का समय दिया है. राज्य सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है. याचिका की सुनवाई तीन मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने दिया है. याचिका पर अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी ने बहस की.

याचिका में स्वयं को बेकसूर बताते हुए पुलिस चार्जशीट व केस कार्यवाही को रद्द किए जाने की मांग की गई है. मालूम हो कि 2019 में जिला पंचायत में नियुक्तियों में धांधली की शिकायत की जांच कराई गई. षड्यंत्र व भ्रष्टाचार को लेकर दाखिल रिपोर्ट पर विशेष सचिव उप्र ने एसपी कौशांबी को एफआईआर दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया, जिस पर मंझनपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई.

ये भी पढ़ेंः यूपी पहुंचीं ममता दीदी का अखिलेश यादव ने किया स्वागत, बंगाल मॉडल से बढ़ाएंगीं बीजेपी की मुश्किलें...

पुलिस ने वर्ष 2004-2005 व 2009 में लिपिक भर्ती में षड्यंत्र व अनियमितता के आरोप में चार्जशीट दाखिल की. आरोप है कि करवरिया उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे. इनकी अध्यक्षता में चयन समिति गठित हुई, जिसमें पंचायत सदस्य मधुपति, सुशीला देवी, श्रीपाल चयन समिति के सदस्य थे. इन लोगों की मिलीभगत से नियुक्तियां की गई. चार पदों के विरुद्ध 8 लोगो की नियुक्ति की गई. अपने चहेतों को नौकरी पर रख लिया गया. नियुक्ति की सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई.

याची अधिवक्ता का कहना है कि नया जिला बना था. स्टाफ की जरूरत थी. नियमानुसार चयन समिति ने चयन किया और नियुक्ति की गई. आरोप निराधार है. याचिका की अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए नियुक्तियों में षड्यंत्र व भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज आपराधिक मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का तीन हफ्ते का समय दिया है. राज्य सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है. याचिका की सुनवाई तीन मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने दिया है. याचिका पर अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी ने बहस की.

याचिका में स्वयं को बेकसूर बताते हुए पुलिस चार्जशीट व केस कार्यवाही को रद्द किए जाने की मांग की गई है. मालूम हो कि 2019 में जिला पंचायत में नियुक्तियों में धांधली की शिकायत की जांच कराई गई. षड्यंत्र व भ्रष्टाचार को लेकर दाखिल रिपोर्ट पर विशेष सचिव उप्र ने एसपी कौशांबी को एफआईआर दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया, जिस पर मंझनपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई.

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पुलिस ने वर्ष 2004-2005 व 2009 में लिपिक भर्ती में षड्यंत्र व अनियमितता के आरोप में चार्जशीट दाखिल की. आरोप है कि करवरिया उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे. इनकी अध्यक्षता में चयन समिति गठित हुई, जिसमें पंचायत सदस्य मधुपति, सुशीला देवी, श्रीपाल चयन समिति के सदस्य थे. इन लोगों की मिलीभगत से नियुक्तियां की गई. चार पदों के विरुद्ध 8 लोगो की नियुक्ति की गई. अपने चहेतों को नौकरी पर रख लिया गया. नियुक्ति की सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई.

याची अधिवक्ता का कहना है कि नया जिला बना था. स्टाफ की जरूरत थी. नियमानुसार चयन समिति ने चयन किया और नियुक्ति की गई. आरोप निराधार है. याचिका की अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी.

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