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पेंशन निर्धारण में नियमित कर्मी की दैनिक सेवा अवधि भी जोड़ी जायेगी- HC

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Published : May 8, 2022, 10:48 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि नियमित कर्मचारी के सेवानिवृत्ति परिलाभों के निर्धारण में उसकी दैनिक वेतनभोगी के रूप में की गई सेवा अवधि भी जोड़ी जायेगी. ये आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने दिया है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि नियमित कर्मचारी के सेवानिवृत्ति परिलाभों के निर्धारण में उसकी दैनिक वेतनभोगी के रूप में की गई सेवा अवधि भी जोड़ी जाएगी. कोर्ट ने नगर निगम अलीगढ़ में कार्यरत रहे कर्मचारी मलखान सिंह को दैनिक वेतन भोगी के रूप में की गई 27 साल की सेवा को जोड़ते हुए पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

ये आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अग्रिहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बहस की. याची नगर निगम अलीगढ़ में 1987 में दैनिक वेतनभोगी के रूप में चौकीदार पद पर नियुक्त हुआ और 2010 में उसे विनियमित किया गया. याची 2020 में सेवानिवृत्त हो गया.

इसे भी पढ़ें- 69 हजार शिक्षक भर्ती मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर विज्ञापित पदों की चयन प्रक्रिया रोकी

नगर निगम ने विनियमितीकरण से पूर्व की सेवाओं को पेंशन लाभ में जोड़ने से इनकार कर दिया. जिसे चुनौती दी गयी थी. याची के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम सिंह केस में कहा है कि 30 साल से ज्यादा अनवरत सेवा लेने के बाद एक कल्याणकारी राज्य द्वारा उसकी पूर्व की सेवाओं को पेंशन के लिए नहीं जोड़ना गलत होगा. क्योंकि सरकार स्वयं की गलती का लाभ खुद नहीं ले सकती. कोर्ट ने याची के पूर्व की सेवाओं को सेवानिवृति लाभ में जोड़ने का आदेश दिया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि नियमित कर्मचारी के सेवानिवृत्ति परिलाभों के निर्धारण में उसकी दैनिक वेतनभोगी के रूप में की गई सेवा अवधि भी जोड़ी जाएगी. कोर्ट ने नगर निगम अलीगढ़ में कार्यरत रहे कर्मचारी मलखान सिंह को दैनिक वेतन भोगी के रूप में की गई 27 साल की सेवा को जोड़ते हुए पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

ये आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अग्रिहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बहस की. याची नगर निगम अलीगढ़ में 1987 में दैनिक वेतनभोगी के रूप में चौकीदार पद पर नियुक्त हुआ और 2010 में उसे विनियमित किया गया. याची 2020 में सेवानिवृत्त हो गया.

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नगर निगम ने विनियमितीकरण से पूर्व की सेवाओं को पेंशन लाभ में जोड़ने से इनकार कर दिया. जिसे चुनौती दी गयी थी. याची के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम सिंह केस में कहा है कि 30 साल से ज्यादा अनवरत सेवा लेने के बाद एक कल्याणकारी राज्य द्वारा उसकी पूर्व की सेवाओं को पेंशन के लिए नहीं जोड़ना गलत होगा. क्योंकि सरकार स्वयं की गलती का लाभ खुद नहीं ले सकती. कोर्ट ने याची के पूर्व की सेवाओं को सेवानिवृति लाभ में जोड़ने का आदेश दिया है.

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