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Banke Bihari Corridor: सरकार ने कहा, कोर्ट आदेश दे तो काम शुरू करने को तैयार - PIL in Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया है कि यदि आदेश मिले तो मथुरा वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाने कार्य शुरू करने के लिए तैयार हैं.

Banke Bihari Corridor
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Published : Feb 14, 2023, 9:08 PM IST

प्रयागराज: मथुरा वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने कहा कि यदि कोर्ट आदेश दे तो काम शुरू करने के लिए तैयार हैं. प्रदेश सरकार ने मथुरा वृंदावन में यमुना के घाटों पर अतिक्रमण के मामले में भी काम शुरू करने की इच्छा जताई है. फिलहाल मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तिथि नियत की है. 28 फरवरी को कोर्ट ने विपक्षी बांके बिहारी के सेवादारों को भी पक्ष रखने के लिए कहा है.

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कहा कि कॉरिडोर निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए बजट स्वीकृत हो गया है. कोर्ट यदि अनुमति देगी तो सरकार काम शुरू करने के लिए तैयार है. वहीं, 2016 से यमुना के घाटों पर अतिक्रमण को लेकर दाखिल पीआईएल पर भी सुनवाई हुई. जिस पर सरकार की ओर से कहा गया कि यदि कोर्ट आदेश करती है तो अतिक्रमण हटाने का कार्य भी शुरू किया जाएगा.

दूसरी ओर सेवा दारों की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने कहा कि सेवादारों की अंतर हस्तक्षेप अर्ज़ी और संशोधन अर्जी अभी लंबित है, इस पर कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं दिया है. कोर्ट की ओर से यह सवाल उठाया गया कि जब बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन सिविल कोर्ट द्वारा देखा जा रहा है तो फिर जनहित याचिका में सिविल कोर्ट के आदेश को किस प्रकार से चुनौती दी जा सकती है. अधिवक्ता संजय गोस्वामी का कहना था कि सरकार मंदिर के कामकाज व बजट में दखलअंदाजी करना चाहती है. उन्होंने जो प्रस्ताव बनाकर के दिया है, उससे यह जाहिर होता है कि सरकार का इरादा मंदिर के कार्य में हस्तक्षेप करने का है. जबकि मंदिर एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है तथा इसकी आय-व्यय का कार्य सिविल कोर्ट के आदेश से होता है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 28 फरवरी की अगली तिथि नियत की है.

गौरतलब है कि गत वर्ष जन्माष्टमी के मौके पर श्री बांके बिहारी मंदिर में भगदड़ हो जाने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा कई लोग घायल हो गए थे. इसे लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है. भीड़ को नियंत्रित करने का कोई इंतजाम नहीं है. गलियां काफी पतली है और श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए इसके चारों ओर कॉरिडोर बनाए जाने की जरूरत है. प्रदेश देश सरकार ने भी इस पर सहमति जताते हुए कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव कोर्ट में प्रस्तुत किया है.

इसे भी पढ़ें-Banke Bihari Corridor Case में ठाकुर जी ने हाईकोर्ट में कहा, हमें भी सुना जाए, जज बोले- आप कौन हैं

प्रयागराज: मथुरा वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने कहा कि यदि कोर्ट आदेश दे तो काम शुरू करने के लिए तैयार हैं. प्रदेश सरकार ने मथुरा वृंदावन में यमुना के घाटों पर अतिक्रमण के मामले में भी काम शुरू करने की इच्छा जताई है. फिलहाल मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तिथि नियत की है. 28 फरवरी को कोर्ट ने विपक्षी बांके बिहारी के सेवादारों को भी पक्ष रखने के लिए कहा है.

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कहा कि कॉरिडोर निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए बजट स्वीकृत हो गया है. कोर्ट यदि अनुमति देगी तो सरकार काम शुरू करने के लिए तैयार है. वहीं, 2016 से यमुना के घाटों पर अतिक्रमण को लेकर दाखिल पीआईएल पर भी सुनवाई हुई. जिस पर सरकार की ओर से कहा गया कि यदि कोर्ट आदेश करती है तो अतिक्रमण हटाने का कार्य भी शुरू किया जाएगा.

दूसरी ओर सेवा दारों की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने कहा कि सेवादारों की अंतर हस्तक्षेप अर्ज़ी और संशोधन अर्जी अभी लंबित है, इस पर कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं दिया है. कोर्ट की ओर से यह सवाल उठाया गया कि जब बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन सिविल कोर्ट द्वारा देखा जा रहा है तो फिर जनहित याचिका में सिविल कोर्ट के आदेश को किस प्रकार से चुनौती दी जा सकती है. अधिवक्ता संजय गोस्वामी का कहना था कि सरकार मंदिर के कामकाज व बजट में दखलअंदाजी करना चाहती है. उन्होंने जो प्रस्ताव बनाकर के दिया है, उससे यह जाहिर होता है कि सरकार का इरादा मंदिर के कार्य में हस्तक्षेप करने का है. जबकि मंदिर एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है तथा इसकी आय-व्यय का कार्य सिविल कोर्ट के आदेश से होता है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 28 फरवरी की अगली तिथि नियत की है.

गौरतलब है कि गत वर्ष जन्माष्टमी के मौके पर श्री बांके बिहारी मंदिर में भगदड़ हो जाने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा कई लोग घायल हो गए थे. इसे लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है. भीड़ को नियंत्रित करने का कोई इंतजाम नहीं है. गलियां काफी पतली है और श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए इसके चारों ओर कॉरिडोर बनाए जाने की जरूरत है. प्रदेश देश सरकार ने भी इस पर सहमति जताते हुए कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव कोर्ट में प्रस्तुत किया है.

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