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पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित को नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ग्राम पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों के लिए आरक्षण देने का कोई प्राविधान नहीं है. ऐसे में आश्रित को आरक्षण का लाभ देने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. अलीगढ़ के अजय पाल सिंह की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 28, 2021, 9:57 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ग्राम पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों के लिए सीट आरक्षण का प्राविधान नहीं है. ऐसे में आश्रित को आरक्षण का लाभ देने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. यह आदेश न्यायाधीश एसपी केसरवानी और न्यायाधीश डॉ. वाईके श्रीवास्तव की पीठ ने अलीगढ़ के अजय पाल सिंह की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि ग्राम पंचायत चुनाव में गनगिरी जिला पंचायत अलीगढ़ को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित हेतु आरक्षित किया जाए. याची ने इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधिकारी को प्रत्यावेदन दिया था. जब इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो याची द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

कोर्ट ने कहा कि याची के दावे को संविधान के अनुच्छेद-243 (डी) के परिपेक्ष्य में देखे जाने की आवश्यकता है. ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि हाशिये पर रह रहे लोगों को स्थानीय निकायों की सरकार में उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके और वे लोकतंत्र की विकेंद्रीकरण प्रक्रिया में भाग ले सकें. संविधान के 9वें भाग में वार्णित अनुच्छेद-243 (डी) में सेनानी आश्रितों के लिए आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में याची के दावे का कोई वैधानिक आधार नहीं है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ग्राम पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों के लिए सीट आरक्षण का प्राविधान नहीं है. ऐसे में आश्रित को आरक्षण का लाभ देने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. यह आदेश न्यायाधीश एसपी केसरवानी और न्यायाधीश डॉ. वाईके श्रीवास्तव की पीठ ने अलीगढ़ के अजय पाल सिंह की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि ग्राम पंचायत चुनाव में गनगिरी जिला पंचायत अलीगढ़ को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित हेतु आरक्षित किया जाए. याची ने इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधिकारी को प्रत्यावेदन दिया था. जब इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो याची द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

कोर्ट ने कहा कि याची के दावे को संविधान के अनुच्छेद-243 (डी) के परिपेक्ष्य में देखे जाने की आवश्यकता है. ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि हाशिये पर रह रहे लोगों को स्थानीय निकायों की सरकार में उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके और वे लोकतंत्र की विकेंद्रीकरण प्रक्रिया में भाग ले सकें. संविधान के 9वें भाग में वार्णित अनुच्छेद-243 (डी) में सेनानी आश्रितों के लिए आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में याची के दावे का कोई वैधानिक आधार नहीं है.

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