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बिना जांच गबन की वसूली आदेश अदालत पर बोझ, अधिशासी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बलिया तलब - अधिशासी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बलिया तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बलिया को तलब कर लिया है. कोर्ट ने उनसे सफाई मांगी है कि किस कानून के तहत उन्होंने याची के खिलाफ वसूली उसके वेतन से 188 समान किश्तों में किये जाने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Dec 9, 2021, 10:55 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बलिया को 13 दिसंबर को तलब किया है. कोर्ट ने उनसे सफाई मांगी है कि किस कानून के तहत 31 जनवरी 2020 को याची के खिलाफ 73, 61, 101 की वसूली उसके वेतन से 188 समान किश्तों में किये जाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या कानून की दृष्टि से यह आदेश वैध है.

कोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी के प्रबंध निदेशक को भी अपने मातहत अधिकारी की कारगुज़ारी से भिज्ञ होने के लिए हाजिर होने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकारी मुकदमेबाजी बढ़ा कर कोर्ट पर बोझ डाल रहे हैं.

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने रघुवीर प्रसाद की याचिका पर दिया. याचिका में कारण बताओ नोटिस के जवाब से संतुष्ट होने के बावजूद बिना विभागीय जांच कार्रवाई किये अधिशासी अभियंता द्वारा वसूली आदेश को चुनौती दी गई है. याची को गबन के आरोप में निलंबित किया गया, चार्जशीट दी गई. याची ने नोटिस का जवाब दिया. जवाब से संतुष्ट होने पर निलंबन वापस लेकर बहाल कर दिया गया.

इसके बाद अधिशासी अभियंता ने गबन राशि जमा करने का सबूत न देने के आधार पर वसूली का आदेश दिया. कोर्ट ने जानना चाहा कि कैसे पता चला कि याची ने गबन की जवाबदेही स्वीकार की है. जो आरोप पत्र दिया गया है, उससे भी गबन नहीं है. कारण बताओ नोटिस नहीं दिया न ही सुनवाई का मौका दिया. बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाये वसूली आदेश जारी कर दिया. स्पष्ट है कि अभियंता ने दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से कार्य किया है.

कोर्ट ने कहा कि कोर्ट आदेश में अपनी खाल बचाने के लिए अधिकारी ऐसे मनमाने आदेश देकर कोर्ट पर बोझ बढ़ा रहे हैं.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बलिया को 13 दिसंबर को तलब किया है. कोर्ट ने उनसे सफाई मांगी है कि किस कानून के तहत 31 जनवरी 2020 को याची के खिलाफ 73, 61, 101 की वसूली उसके वेतन से 188 समान किश्तों में किये जाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या कानून की दृष्टि से यह आदेश वैध है.

कोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी के प्रबंध निदेशक को भी अपने मातहत अधिकारी की कारगुज़ारी से भिज्ञ होने के लिए हाजिर होने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकारी मुकदमेबाजी बढ़ा कर कोर्ट पर बोझ डाल रहे हैं.

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने रघुवीर प्रसाद की याचिका पर दिया. याचिका में कारण बताओ नोटिस के जवाब से संतुष्ट होने के बावजूद बिना विभागीय जांच कार्रवाई किये अधिशासी अभियंता द्वारा वसूली आदेश को चुनौती दी गई है. याची को गबन के आरोप में निलंबित किया गया, चार्जशीट दी गई. याची ने नोटिस का जवाब दिया. जवाब से संतुष्ट होने पर निलंबन वापस लेकर बहाल कर दिया गया.

इसके बाद अधिशासी अभियंता ने गबन राशि जमा करने का सबूत न देने के आधार पर वसूली का आदेश दिया. कोर्ट ने जानना चाहा कि कैसे पता चला कि याची ने गबन की जवाबदेही स्वीकार की है. जो आरोप पत्र दिया गया है, उससे भी गबन नहीं है. कारण बताओ नोटिस नहीं दिया न ही सुनवाई का मौका दिया. बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाये वसूली आदेश जारी कर दिया. स्पष्ट है कि अभियंता ने दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से कार्य किया है.

कोर्ट ने कहा कि कोर्ट आदेश में अपनी खाल बचाने के लिए अधिकारी ऐसे मनमाने आदेश देकर कोर्ट पर बोझ बढ़ा रहे हैं.

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