प्रयागराज: दशहरे के दिनों में आपने कई मेले देखे होंगे, लेकिन जिले में एक ऐसा मेला होता है जब लोग गहरी नींद में रहते हैं. हालांकि इस मेले को देखने के लिए भी भारी मात्रा में भीड़ जमा होती है. इस मेले में कलात्मक झांकियों को देखने के लिए यहां नौ दिनों तक श्रद्धालु भोर के 3:00 बजे से ही मेले का आनंद उठाते दिखते हैं.
सड़कों पर कलात्मक झांकियों के साथ दिख रही भीड़ और एक के बाद एक कलात्मक झांकियां शाम की या दिन की नहीं बल्कि सुबह तड़के की हैं. 300 वर्ष पुरानी यह परंपरा अभी तक जीवित है. यहां पर कलात्मक झांकियां लोगों का मन मोह लेती हैं. पूरे देश में जहां एक ओर दिन या फिर रात्रि में मेले का आयोजन होता है, वहीं प्रयागराज ऐसा शहर है जहां भोर में दिन जैसा नजारा देखने को मिलता है. देखने में लगता है कि जैसे अभी दिन जैसा माहौल है और फिर देखते-देखते सुबह हो जाती है, लेकिन झांकियों के निकलने का सिलसिला कम नहीं होता है. वहीं इतनी सुबह भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई देती है.
कार्यकर्ताओं की माने तो यहां पर दो कमेटियां हैं. महंत राम हाथीराम पजावा रामलीला कमेटी और पत्थर चट्टी रामलीला कमेटी जो रात्रिकालीन झांकियां निकालने में अपना सहयोग करती हैं. आगे-आगे हनुमान जी और फिर राम, लक्ष्मण या अन्य कतार में दिखाई देते हैं, जिससे वहां उपस्थित देखने वालों का इस जगह से हटने को मन नहीं करता.