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प्रयागराज में भोर में लगता है अनोखा मेला, झांकियों को देखने के लिए लगती है लोगों की भीड़

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सुबह-भोर का अनोखा मेला देखने को मिलता है. वहीं इस मेले में भी लोगों की भीड़ काफी देखने को मिलती है. मेला की शुरुआत सुबह 3:00 बजे से होती है.

एक अनोखा मेला.
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Published : Oct 5, 2019, 8:48 PM IST

प्रयागराज: दशहरे के दिनों में आपने कई मेले देखे होंगे, लेकिन जिले में एक ऐसा मेला होता है जब लोग गहरी नींद में रहते हैं. हालांकि इस मेले को देखने के लिए भी भारी मात्रा में भीड़ जमा होती है. इस मेले में कलात्मक झांकियों को देखने के लिए यहां नौ दिनों तक श्रद्धालु भोर के 3:00 बजे से ही मेले का आनंद उठाते दिखते हैं.

देखें वीडियो.

सड़कों पर कलात्मक झांकियों के साथ दिख रही भीड़ और एक के बाद एक कलात्मक झांकियां शाम की या दिन की नहीं बल्कि सुबह तड़के की हैं. 300 वर्ष पुरानी यह परंपरा अभी तक जीवित है. यहां पर कलात्मक झांकियां लोगों का मन मोह लेती हैं. पूरे देश में जहां एक ओर दिन या फिर रात्रि में मेले का आयोजन होता है, वहीं प्रयागराज ऐसा शहर है जहां भोर में दिन जैसा नजारा देखने को मिलता है. देखने में लगता है कि जैसे अभी दिन जैसा माहौल है और फिर देखते-देखते सुबह हो जाती है, लेकिन झांकियों के निकलने का सिलसिला कम नहीं होता है. वहीं इतनी सुबह भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई देती है.

कार्यकर्ताओं की माने तो यहां पर दो कमेटियां हैं. महंत राम हाथीराम पजावा रामलीला कमेटी और पत्थर चट्टी रामलीला कमेटी जो रात्रिकालीन झांकियां निकालने में अपना सहयोग करती हैं. आगे-आगे हनुमान जी और फिर राम, लक्ष्मण या अन्य कतार में दिखाई देते हैं, जिससे वहां उपस्थित देखने वालों का इस जगह से हटने को मन नहीं करता.

प्रयागराज: दशहरे के दिनों में आपने कई मेले देखे होंगे, लेकिन जिले में एक ऐसा मेला होता है जब लोग गहरी नींद में रहते हैं. हालांकि इस मेले को देखने के लिए भी भारी मात्रा में भीड़ जमा होती है. इस मेले में कलात्मक झांकियों को देखने के लिए यहां नौ दिनों तक श्रद्धालु भोर के 3:00 बजे से ही मेले का आनंद उठाते दिखते हैं.

देखें वीडियो.

सड़कों पर कलात्मक झांकियों के साथ दिख रही भीड़ और एक के बाद एक कलात्मक झांकियां शाम की या दिन की नहीं बल्कि सुबह तड़के की हैं. 300 वर्ष पुरानी यह परंपरा अभी तक जीवित है. यहां पर कलात्मक झांकियां लोगों का मन मोह लेती हैं. पूरे देश में जहां एक ओर दिन या फिर रात्रि में मेले का आयोजन होता है, वहीं प्रयागराज ऐसा शहर है जहां भोर में दिन जैसा नजारा देखने को मिलता है. देखने में लगता है कि जैसे अभी दिन जैसा माहौल है और फिर देखते-देखते सुबह हो जाती है, लेकिन झांकियों के निकलने का सिलसिला कम नहीं होता है. वहीं इतनी सुबह भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई देती है.

कार्यकर्ताओं की माने तो यहां पर दो कमेटियां हैं. महंत राम हाथीराम पजावा रामलीला कमेटी और पत्थर चट्टी रामलीला कमेटी जो रात्रिकालीन झांकियां निकालने में अपना सहयोग करती हैं. आगे-आगे हनुमान जी और फिर राम, लक्ष्मण या अन्य कतार में दिखाई देते हैं, जिससे वहां उपस्थित देखने वालों का इस जगह से हटने को मन नहीं करता.

Intro:पूरे भारत में केवल प्रयागराज में ही लगता है सुबह भोर का मेला सुबह 3:00 बजे से होती है मेले की शुरुआत!
ritesh singh
7007861412

नवरात्रों दशहरे के दिनों में आपने तो दिन का मेला बहुत देखा होगा रात्रि का भी मिला देखा होगा लेकिन प्रयागराज पूरे देश में ऐसा शहर है जहां जब लोग गहरी नींद में सोए रहते हैं तब प्रयागराज के लोग यहां मेला देखने के लिए भीड़ में खड़े रहते हैं! तरह-तरह की कलात्मक झांकियों को देखने के लिए यहां 9 दिनों तक श्रद्धालु भोर के 3:00 बजे से ही मेले का आनंद उठाते है!


Body: सड़कों पर कलात्मक झांकियों के साथ दिख रही भीड़ और एक के बाद एक कलात्मक झांकियां शाम को या दिन की नहीं बल्कि सुबह तड़के की है! 300 वर्ष पुरानी यह परंपरा अभी तक जीवित है !यहां पर लो भोर के 3:00 बजे से ही भीड़ में खड़े दिखाई देते हैं !और फिर शुरू होता है कलात्मक झांकियों का सिलसिला! एक के बाद एक कलात्मक झांकियां लोगों का मन मोह लेती हैं! पूरे देश मेंजहां एक ओर दिन या फिर रात्रि में मेले का आयोजन हो रहा है लेकिन प्रयागराज ऐसा शहर है जहां भोर में दिन जैसा नजारा देखने को मिलता है! देखने में लगता है कि जैसे अभी दिन जैसा माहौल है और फिर देखते देखते सुबह हो जाती है लेकिन झांकियों के निकलने का सिलसिला कम नहीं होता है !इतनी सुबह भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई देती है! कार्यकर्ताओं की माने यहां पर दो कमेटियां हैं महंत राम हाथीराम पजावा रामलीला कमेटी और पत्थर चट्टी रामलीला कमेटी जो रात्रिकालीन झांकियां निकालने में अपना सहयोग करती हैं !आगे आगे हनुमान जी और फिर राम लक्ष्मण या अन्य कतार में दिखाई देते हैं जिससे वहां उपस्थित देखने वालों का इस जगह से हटने को मन नहीं करता!

बाइट -----श्याम बिहारी (कार्यक्रम मंत्री)


Conclusion:पूरे 9 दिन तक सुबह-शाम और रात्रि में जलने वाले इस तरह के आयोजन लोगों को बांधे रहते हैं !लेकिन जैसे ही विजयदशमी बीतने के बाद लोग कुछ दिन तक इस माहौल को भूल नहीं पाते हैं और आगामी वर्ष का इंतजार करने लगते हैं!
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