प्रयागराजः दिन 12 जून मौका था पंचायत उप चुनाव का, जहां मृतक शिक्षक की चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई. हद तो तब हो गई जब 11 जून को चुनाव ड्यूटी पर कोई नहीं पहुंचा तो उनके मोबाइल पर कॉल कर फौरन पहुंचने के लिए लिए कहा गया. जिसके बाद मृतक शिक्षक की विधवा पत्नी ने फोन करने वाले को पूरी बात बतायी तो उधर से अफसोस जताते हुए कॉल काट दिया गया. वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इसे चूक बताते हुए कैमरे पर बात करने से मना कर दिया.
शिक्षक नंदलाल राम अप्रैल महीने में पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना से संक्रमित हो गए थे. 15 अप्रैल को मतदान ड्यूटी करने के बाद उनकी ड्यूटी कोविड कंट्रोल रूम में लगा दी गई. इसी बीच बुखार आने के बाद शिक्षक कोरोना के शिकार हो चुके थे. लेकिन कोविड कंट्रोल रूम में ड्यूटी की वजह से उन्हें छुट्टी नहीं दी गयी. जिसके बाद हालात बिगड़ने पर शिक्षक ने सीटी स्कैन करवाया तो उन्हें कोविड का गंभीर संक्रमण होने की जानकारी मिली.
नंदलाल के कोरोना संक्रमित होने के बाद जब घर पर इलाज से उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो घरवालों ने सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती करवाने का प्रयास किया. लेकिन सरकारी और प्राइवेट किसी भी अस्पताल में उन्हें बेड नसीब नहीं हुआ. जिसके बाद 25 हजार में एम्बुलेंस बुक करके शिक्षक को कानपुर ले जाया गया. जहां उनके रिश्तेदार की मदद से सरकारी अस्पताल में इलाज शुरू हुआ. लेकिन इलाज शुरू करने वाले डॉक्टरों ने उनकी हालत बेहद खराब और जिंदा बचने की उम्मीद कम जता दी थी. जिसके बाद कई दिनों तक कोरोना से जंग लड़ने के बाद 10 मई को नंदलाल की सांसे थम गयी.
मृतक शिक्षक नंदलाल राम की पत्नी आशा का कहना है कि उनके पति के मौत के बाद विभाग के किसी अधिकारी और कर्मचारी ने सामने आकर किसी तरह की कोई मदद नहीं की. इलाज के दौरान उनकी पत्नी दो लाख से ज्यादा रुपये के कर्ज में डूब गयी है. पति की मौत के गम के साथ ही उन्हें अब इस बात की चिंता सता रही है कि दो मासूम बच्चों का पालन पोषण और घर की किश्त अकेले कैसे भर पाएंगी.
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कोरोना संक्रमित होने के बाद नंदलाल ने ड्यूटी पर जाना बंद कर दिया. इस बीच बीएसए ने कोविड कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया था. जिस समय नंदलाल संक्रमित होने की वजह से ड्यूटी पर नहीं मिले तो बीएसए ने उनका वेतन रोक दिया था. जिसके बाद शिक्षक नेताओं की पहल के बाद मृतक शिक्षक का ड्यूटी के दौरान का वेतन जारी करने का आदेश दिया गया.
नंदलाल राम की मौत 10 मई को हो चुकी है. लेकिन सरकारी सिस्टम की लापरवाही का नतीजा ही है कि मृतक शिक्षक की मौत के महीने भर बाद भी उनकी चुनाव ड्यूटी लगा दी गयी. सिर्फ चुनाव ड्यूटी ही नहीं लगायी गयी बल्कि 11 जून को पोलिंग पार्टियों के रवानगी के समय तक न पहुंचने पर नंदलाल राम के मोबाइल पर कॉल किया गया. कॉल करने वाले अफसर ने नंद लाल की पत्नी के फोन रिसीव करते ही कहाकि अभी तक घर में सो रहे हैं. उनको तत्काल भेजिए चुनाव ड्यूटी में जाने के लिए वरना नौकरी चली जायेगी. अफसर की बात पूरी होने के बाद नंद लाल की पत्नी ने बताया कि 10 मई को उनकी मौत पिछले बार की चुनाव ड्यूटी की वजह से हो चुकी है, तो अब कहां से ड्यूटी पर भेजें. मृतक शिक्षक की पत्नी का जवाब सुनकर कॉल करने वाले अफसर ने अफसोस जताते हुए फोन काट दिया.
मृतक शिक्षक की पत्नी का आरोप है कि उनके पति की तनख्वाह 21 अप्रैल तक का ही दिया गया. लेकिन ड्यूटी लगाने वाले लापरवाह लोगों ने मौत के बाद भी ड्यूटी लगा दी. हालांकि प्रेम शंकर की पत्नी का ये भी कहना है कि उनके पति की मौत के बावजूद अभी तक उन्हें किसी तरह की कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.
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पंचायत चुनाव के दौरान जान गवाने वाले शिक्षकों के परिवार वालों को अभी तक किसी तरह की कोई सरकारी मदद नही मिल सकी है. वहीं शिक्षक नेताओं का दावा है कि वो मृतक शिक्षकों के परिवार वालों की हर तरह से मदद कर उन्हें उनका हक दिलवाएंगे. लेकिन मृतक शिक्षकों के परिजनों की मानें तो शिक्षकों के हक की लड़ाई का दावा करने वाले शिक्षक नेता भी सरकार की तरह ही अभी तक मदद करने का सिर्फ दावा ही कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला अमरोहा से भी आया था. जिसकी शिकायत के बाद डीएम ने लापरवाही मानते हुए दूसरे शिक्षक की ड्यूटी लगाई थी.