प्रयागराज: जिले के मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय में इलाज के दौरान किडनी निकालने का मामला सामने आया है. मरीज के परिजनों ने किडनी निकालने के आरोप में डॉक्टर प्रेम मोहन गुप्ता पर शाहगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं परिजनों कहना है कि डॉक्टर ने इलाज के दौरान हुए ऑपरेशन में किडनी निकाल ली. मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस जांच में जुटी है.
डॉक्टर ने दी आपरेशन की सलाह
हरिजन बस्ती अटाला के रहने वाले हरकेश पुत्र मथुरा प्रसाद को पेट के दर्द में शिकायत थी, जिसके लिए वह प्रयागराज के काल्विन हॉस्पिटल में 16 अक्टूबर को इलाज के लिए ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने आए थे. ओपीडी के डॉक्टर प्रेम मोहन गुप्ता ने हरकेश का चिकित्सीय परीक्षण किया. उसके बादआ की पथरी गुर्दे का जांच कराने पर पता चला कि हरकेश की किडनी में आठ एमएम की पथरी है. इस पर डॉक्टर ने सलाह दी गई कि इसको ऑपरेशन करके निकालना पड़ेगा.
16 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती हुआ था हरकेश
डॉक्टर की सलाह पर हरकेश के परिजनों ने मोतीलाल नेहरु चिकित्सालय में 16 को ही शाम में एडमिट करा दिया गया और 17 तारीख को सर्जन डॉक्टर प्रेम मोहन गुप्ता ने हरकेश का ऑपरेशन किया गया. इसके बाद लगभग 10 दिनों तक हॉस्पिटल में हरकेश का इलाज पूर्ण होने के बाद 25 अक्टूबर को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया, लेकिन कुछ दिन के बाद ही ऑपरेशन के स्थान पर दर्द की समस्या आने लगी.
जांच में किडनी गायब होने का पता चला
तकलीफ बढ़ने पर हरकेश के परिजनों ने चिकित्सक से पुनः संपर्क किया तो उन्हें प्रेम मोहन गुप्ता ने शहर के स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में रेफर कर दिया, जहां पर चिकित्सकों ने युवक का अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच कराई. जांच के बाद पता चला कि हरकेश की किडनी गायब है.
जानकारी होने पर हरकेश के माता-पिता के होश उड़ गए और आज वह पुनः काल्विन हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ बीके गुप्ता के पास शिकायत करने पहुंचे. सुनवाई नहीं होने पर हरकेश और उनके परिजनों ने शाहगंज थाने में डॉक्टर प्रेम मोहन गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है.
इसे भी पढ़ें- नोएडा: विश्व दिव्यांग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जमकर थिरके दिव्यांग बच्चे
मरीज आरोप लगा रहे थे कि अस्पताल में उनकी किडनी निकाली गई, यह बेबुनियाद है. मरीज हरकेश किडनी की समस्या पर 16 अक्टूबर अस्पताल में भर्ती हुआ था. उसके बाद 25 अक्टूबर को डिस्चार्ज किया गया था. किडनी निकालने जैसी घटना सरकारी अस्पताल में संभव नहीं है.
-डॉ. वीके गुप्ता, अधीक्षक, काल्विन हॉस्पिटल