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प्रयागराज के इस मंदिर में पालने की होती है पूजा, जानें क्या है महत्व - alop shankari shakti peeth

प्रयागराज में मां अलोप शंकरी (Alop Shankari) के दरबार में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर भक्तों का तांता लगा है. 51 शिद्धपीठों में से एक मां अलोप शंकरी (Alop Shankari) के दरबार में सुबह से ही भक्त पहुंच रहे हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.

अलोप शंकरी मंदिर में भक्तों की भीड़
अलोप शंकरी मंदिर में भक्तों की भीड़
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Published : Oct 12, 2021, 12:22 PM IST

प्रयागराज: शारदीय नवरात्रि (Navratri) के पावन पर्व पर देश भर के प्रसिद्ध देवी मंदिरों व शक्तिपीठों में आस्था का सैलाब उमड़ा दिखाई दे रहा है. नवरात्रि के दिनों में दूर-दूर से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आ रहे हैं. जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां अलोप शंकरी (Alop Shankari) मंदिर में भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा है.

मां के दर्शन-पूजन के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं और मां की पूजा-पाठ कर कृपा प्राप्त कर रहे हैं. यह देवी स्थल इसलिए भी सबसे खास है, क्योंकि यहां कोई मूर्ति नहीं है. बल्कि मंदिर में एक चबूतरा बना हुआ है और उसके उपर एक पालना है जिसके दर्शन पूजन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता यह भी है कि यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता. मां की चौखट पर आने वाले सभी भक्तों की मुराद मां अलोप शंकरी पूरी करती हैं. अलोपी नामकरण के पीछे यह मान्यता है कि यहां शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरा था और अदृश्य या अलोप हो गया था, इसी वजह से इस शक्ति पीठ को अलोप शंकरी नाम दिया गया.

अलोप शंकरी मंदिर में भक्तों की भीड़
मां का होता है सोलह श्रृंगार

मान्यता के अनुसार हर दिन यहां मां का सोलह श्रृंगार किया जाता है. इस अद्भुत मंदिर के प्रमुख गर्भगृह में भले ही कोई मूर्ति स्थापित न हो, लेकिन गर्भगृह के बाहर मां के नौ स्वरूपों के दर्शन होते हैं. जिनके दर्शन भक्त पालने के दर्शन-पूजन के बाद करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं.

गर्भगृह में है कुंड

मंदिर के मुख्य गर्भगृह में एक चबूतरा है. जिसके मध्य भाग में एक कुंड है. इसमें मां को चढ़ाए जाने वाले नारियल का जल अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि यहां मां के कुंड का जल ग्रहण करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं.

आरती एवं पाठ

नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन सुबह शाम मां अलोपशंकरी की भव्य आरती के साथ-साथ मां का पाठ भी पंडितों के द्वारा किया जाता है. यहां दर्शन पूजन के लिए हमेशा ही भीड़ लगी रहती है. दूर-दराज से भक्त यहां शादी, मुंडन, छेदन, संस्कार के साथ-साथ नवविवाहित जोड़े को अलोपशंकरी देवी मां का दर्शन पूजन भी कराने आते हैं.

प्रयागराज: शारदीय नवरात्रि (Navratri) के पावन पर्व पर देश भर के प्रसिद्ध देवी मंदिरों व शक्तिपीठों में आस्था का सैलाब उमड़ा दिखाई दे रहा है. नवरात्रि के दिनों में दूर-दूर से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आ रहे हैं. जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां अलोप शंकरी (Alop Shankari) मंदिर में भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा है.

मां के दर्शन-पूजन के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं और मां की पूजा-पाठ कर कृपा प्राप्त कर रहे हैं. यह देवी स्थल इसलिए भी सबसे खास है, क्योंकि यहां कोई मूर्ति नहीं है. बल्कि मंदिर में एक चबूतरा बना हुआ है और उसके उपर एक पालना है जिसके दर्शन पूजन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता यह भी है कि यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता. मां की चौखट पर आने वाले सभी भक्तों की मुराद मां अलोप शंकरी पूरी करती हैं. अलोपी नामकरण के पीछे यह मान्यता है कि यहां शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरा था और अदृश्य या अलोप हो गया था, इसी वजह से इस शक्ति पीठ को अलोप शंकरी नाम दिया गया.

अलोप शंकरी मंदिर में भक्तों की भीड़
मां का होता है सोलह श्रृंगार

मान्यता के अनुसार हर दिन यहां मां का सोलह श्रृंगार किया जाता है. इस अद्भुत मंदिर के प्रमुख गर्भगृह में भले ही कोई मूर्ति स्थापित न हो, लेकिन गर्भगृह के बाहर मां के नौ स्वरूपों के दर्शन होते हैं. जिनके दर्शन भक्त पालने के दर्शन-पूजन के बाद करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं.

गर्भगृह में है कुंड

मंदिर के मुख्य गर्भगृह में एक चबूतरा है. जिसके मध्य भाग में एक कुंड है. इसमें मां को चढ़ाए जाने वाले नारियल का जल अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि यहां मां के कुंड का जल ग्रहण करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं.

आरती एवं पाठ

नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन सुबह शाम मां अलोपशंकरी की भव्य आरती के साथ-साथ मां का पाठ भी पंडितों के द्वारा किया जाता है. यहां दर्शन पूजन के लिए हमेशा ही भीड़ लगी रहती है. दूर-दराज से भक्त यहां शादी, मुंडन, छेदन, संस्कार के साथ-साथ नवविवाहित जोड़े को अलोपशंकरी देवी मां का दर्शन पूजन भी कराने आते हैं.

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