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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र की मौत के बाद हंगामा, धरना

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र की मौत के बाद छात्रों ने जमकर हंगामा किया. छात्रों और परिजनों ने धरना देकर मांगें रखीं. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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Published : Jul 12, 2023, 3:47 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आज सुबह से ही छात्रों का प्रदर्शन शुरू हो गया. कल छात्रावास में हुई छात्र की मौत के बाद छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गैर जिम्मेदाराना रवैये का आरोप लगाते हुए चक्काजाम कर दिया. इस दौरान पुलिस प्रशासन ने छात्रों को हटाने की कोशिश की. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. छात्रों और परिजनों की मांग है कि मामले की पुलिस एफआईआर दर्ज कर जांच करे. छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया.

छात्रों और परिजनों ने यह मांग उठाई.

जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले आशुतोष कुमार दुबे (22) की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. उसके दोस्तों ने यूनिवर्सिटी के प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. आशुतोष मास कॉम के पांचवें सेमेस्टर का छात्र था.

छात्रों का कहना है कि जिस वक्त विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्र की मदद करनी थी तब न तो एंबुलेंस की व्यवस्था की गई और न ही उसके उपचार का प्रबंध कराया गया. छात्र को ले जाने के लिए ई रिक्शा को भी परिसर के अंदर नहीं आने दिया गया. पुलिस ने छात्र के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. वहीं, छात्रों ने परिसर में हंगामा करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. छात्रों ने धरना देकर पुलिस से इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की.

मृत छात्र के पिता गणेश शंकर दुबे का रो-रो कर बुरा हाल है. उनका कहना है कि अभी तक पुलिस प्रशासन ने एफआईआर नहीं की. उन्होंने कहा कि छात्र घर का एकमात्र सहारा था. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उचित मुआवजा देने की मांग की.

छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय तिवारी ने आरोप लगाया है कि विश्व विद्यालय प्रशासन की तरफ से एम्बुलेंस की व्यवस्था कैम्पस में नहीं की गई है. इस वजह से एम्बुलेंस समय से नहीं पहुंची और ई रिक्शा से बेसुध छात्र को अस्पताल समय से नहीं पहुंचाया जा सका, जिससे उसकी मौत हो गई. छात्र नेता अजय यादव सम्राट ने इस घटना के पीछे विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार बताया.


वहीं, धरने पर बैठे छात्रों ने मांग की कि इस लापरवाही के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के कर्मचारी और चीफ प्रॉक्टर पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए. उनके खिलाफ भी पुलिस एफआईआर दर्ज करे.

ये भी पढ़ेंः मनीष दुबे प्रकरण में शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट, निलंबन व एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश!

प्रयागराजः इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आज सुबह से ही छात्रों का प्रदर्शन शुरू हो गया. कल छात्रावास में हुई छात्र की मौत के बाद छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गैर जिम्मेदाराना रवैये का आरोप लगाते हुए चक्काजाम कर दिया. इस दौरान पुलिस प्रशासन ने छात्रों को हटाने की कोशिश की. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. छात्रों और परिजनों की मांग है कि मामले की पुलिस एफआईआर दर्ज कर जांच करे. छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया.

छात्रों और परिजनों ने यह मांग उठाई.

जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले आशुतोष कुमार दुबे (22) की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. उसके दोस्तों ने यूनिवर्सिटी के प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. आशुतोष मास कॉम के पांचवें सेमेस्टर का छात्र था.

छात्रों का कहना है कि जिस वक्त विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्र की मदद करनी थी तब न तो एंबुलेंस की व्यवस्था की गई और न ही उसके उपचार का प्रबंध कराया गया. छात्र को ले जाने के लिए ई रिक्शा को भी परिसर के अंदर नहीं आने दिया गया. पुलिस ने छात्र के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. वहीं, छात्रों ने परिसर में हंगामा करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. छात्रों ने धरना देकर पुलिस से इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की.

मृत छात्र के पिता गणेश शंकर दुबे का रो-रो कर बुरा हाल है. उनका कहना है कि अभी तक पुलिस प्रशासन ने एफआईआर नहीं की. उन्होंने कहा कि छात्र घर का एकमात्र सहारा था. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उचित मुआवजा देने की मांग की.

छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय तिवारी ने आरोप लगाया है कि विश्व विद्यालय प्रशासन की तरफ से एम्बुलेंस की व्यवस्था कैम्पस में नहीं की गई है. इस वजह से एम्बुलेंस समय से नहीं पहुंची और ई रिक्शा से बेसुध छात्र को अस्पताल समय से नहीं पहुंचाया जा सका, जिससे उसकी मौत हो गई. छात्र नेता अजय यादव सम्राट ने इस घटना के पीछे विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार बताया.


वहीं, धरने पर बैठे छात्रों ने मांग की कि इस लापरवाही के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के कर्मचारी और चीफ प्रॉक्टर पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए. उनके खिलाफ भी पुलिस एफआईआर दर्ज करे.

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