प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि पति कोर्ट के आदेश के बावजूद पति पत्नी को भरण-पोषण देने में विफल हो तो कोर्ट को पति के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करने का अधिकार नहीं है. लेकिन कोर्ट भरण पोषण की धनराशि न दे सकने पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 421 के तहत लगाए गए जुर्माने की वसूली को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट ऐसे मामलों में कुर्की अथवा चल संपत्ति को जब्ती का आदेश दे सकता है, परंतु गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी नहीं कर सकता. यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत सिंह ने विपिन कुमार द्वारा दाखिल याचिका पर दिया है. पति ने याचिका दाखिल कर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय कासगंज के, पत्नी को भरण-पोषण न दे सकने पर गिरफ्तारी का वारंट जारी करने को चुनौती दी. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 30 नवंबर 2021 को जारी गिरफ्तारी वारंट को रद्द कर दिया.
कोर्ट में चल रहे मामले के अनुसार पत्नी ने अपनी बेटी के साथ कासगंज फैमिली कोर्ट में धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अर्जी दाखिल की थी. कोर्ट ने पत्नी की अर्जी को मंजूर कर लिया और भरण पोषण भक्ता देने का निर्देश दिया था. पति के विकलांग होने के कारण वह आदेश का पालन न कर सका.
इस पर कोर्ट ने याची के खिलाफ 30 जून 2017 से 19 जनवरी 2020 तक का 1 लाख 65 हजार की बकाया वसूली के लिए गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद आरोपी पति को जेल भेज दिया गया. पति का कहना था कि बिना जुर्माना लगाए और बिना धारा 125 (3) दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान का पालन किए उसे 1 माह के लिए जेल भेजने का आदेश देना विधि विरुद्ध है.
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