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माघ मेला में ज्योतिषपीठ की जमीन सुविधाओं को लेकर हो सकता है घमासान - माघ मेला कार्यालय

प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में ज्योतिषपीठ के नाम पर मिलने वाली जमीन और सुविधाओं की मांग स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती की तरफ से माघ मेला कार्यालय में आवेदन किया गया है. उनका कहना है कि जो जमीन सुविधाएं सालों से उन्हें नहीं दिया गया है. अब उसे उन्हें दिया जाए.

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शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती
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Published : Nov 25, 2022, 9:07 PM IST

प्रयागराज: संगम नगरी में जनवरी से शुरू होने वाले माघ मेला में ज्योतिष पीठ बद्रिकाश्रम के नाम से मिलने वाली जमीन और सुविधाओं को लेकर इस बार विवाद तूल पकड़ सकता है. बीते कई सालों से ज्योतिषपीठ और द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती थे. वो अकेले ही शारदापीठ और ज्योतिषपीठके शंकराचार्य माने जाते थे. जबकि ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के पद पर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने दशकों पहले अपनी दावेदारी की थी. इसी पीठ को लेकर वासुदेवानंद सरस्वती और स्वरूपानंद सरस्वती के बीच सुप्रीम कोर्ट तक में मुकदमा लड़ा गया और सुनवाई अभी भी जारी है.

जानकारी देते हुए स्वामी श्रीधराचार्य,स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नंद

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए अभी तक माघ मेले में भी दोनों पीठ के नाम से जमीन और सुविधाएं पाते रहे हैं. बीते सितम्बर महीने में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरवस्ती के ब्रह्मलीन होने के बाद माघ मेले में इस बार जमीन आवंटन को लेकर दोनों पक्ष एक बार फिर आमने सामने हो सकते हैं. स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधकारी के तौर पर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ भी माघ मेले की जमीन और सुविधाओं को पहले की तरह ही दिए जाने के लिए आवेदन कर दिया है.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नंद ने गद्दी संभाली है. लेकिन उनके पट्टाभिषेक को लेकर स्वामी वासुदेवानाद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर रोक लगवा दी थी. जबकि अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से कहा गया कि उनका पट्टाभिषेक पहले ही हो चुका है. अब उनके अनुयायी उनका आशीर्वाद लेने के लिए अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम कर रहे हैं. प्रयागराज में स्वरूपानंद स्वरवती और अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रतिनिधि के श्रीधरानंद का कहना है कि उनकी तरफ से हर साल की माघ मेले में मिलने वाली जमीन और सुविधाओं के लिए आवेदन किया जा चुका है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि हर साल की तरह इस साल भी उन्हें जमीन और सारी सुविधाएं पहले की तरह ही मिलती रहेंगी. इसके साथ ही उनका कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत माघ मेले की जमीन सुविधाएं मिलती रही है जो आगे भी उसी तरह से मिलनी चाहिए. पहले जो सुविधाएं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को मिलती थी वो अब उनके उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नाम पर मिलेगी.

प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में ज्योतिषपीठ के नाम पर मिलने वाली जमीन और सुविधाओं की मांग स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती की तरफ से माघ मेला कार्यालय में आवेदन किया गया है. उनका कहना है कि जो जमीन सुविधाएं सालों से उन्हें नहीं दिया गया है. अब उसे उन्हें दिया जाए. स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती के प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने कहा कि उनकी तरफ से इस बार भी ज्योतिषपीठ के नाम पर सुविधाएं दिए जाने की मांग की गई है. लेकिन इस बार पहले की तरह अन्याय नहीं सहेंगे. इसके अलावा चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार ज्योतिषपीठ की जमीन सुविधाएं स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती को नहीं दी तो मेले में उग्र आंदोलन करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पक्ष को जल्द ही कोर्ट से भी इंसाफ मिलेगा और ज्योतिषपीठ का फैसला भी उन्होंने अपने पक्ष में आने का दावा किया है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद ज्योतिष्पीठ पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ ही वासुदेवानंद सरस्वती भी दावा कर रहे हैं.

स्वामी वासुदेवानन्द की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से कहा गया कि पट्टाभिषेक पहले ही हो चुका है. यही वजह है कि जनवरी 2023 में शुरू होने वाला माघ मेला ज्योतिष पीठ पर दावे की वजह से दो संतो के बीच का अखाड़ा न बन सकता है. माघ मेला क्षेत्र में शिविर लगाने के लिए लंबे समय से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को ज्योतिष्पीठ की जमीन और सुविधाएं मिलती रही है, जो अब उनके ब्रह्मलीन होने के बाद उनके उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मांग रहे हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने पर ज्योतिषपीठ का पीठाधीश्वर घोषित किया गया है. लेकिन उनके पट्टाभिषेक की तैयारी के बीच ही स्वामी वासुदेवानन्द ने कोर्ट में अर्जी देकर पट्टाभिषेक होने से पहले ही उस पर कोर्ट से रोक लगवा दी थी. ऐसे हालात में अब माघ मेला में दोनों संतो के बीच ये विवाद खुलकर सामने आ सकता है और इस वजह से माघ मेला दो बड़े संतो के बीच जंग का अखाड़ा भी बन सकता है.

अब देखना ये होगा कि इस मामले पर मेला प्रशासन क्या फैसला लेता है. फिलहाल इस मसले पर बात करने के लिए मेला कार्यालय से जुड़े अफसर अभी बच रहे हैं. वर्तमान में मेला के कार्यकारी अधिकारी से फोन पर भी संपर्क नहीं हो सका है. आपको बता दें कि ज्योतिषपीठ की माघ मेले की जमीन और सुविधा को लेकर पहले भी स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के बीच विवाद होता रहा है. लेकिन अब शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद माघ मेले में एक बार फिर से इस विवाद के बढ़ने की संभावना तेज होती दिख रही है.

बता दें कि, गुरुवार को प्रयागराज पहुंचे सीएम योगी ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण की बैठक में साफ कहा है कि माघ मेला हो या कुम्भ मेला जमीन आवंटन में किसी तरह की गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसके बाद दो संतो के बीच अगर ये मामला बड़े विवाद के रूप में सामने आता है तो मेला प्रशासन के इसका समाधान निकालना आसान नहीं होगा.

यह भी पढे़ं- कैबिनेट के फैसले, गाजियाबाद-प्रयागराज और आगरा में भी लागू होगी कमिश्नरी व्यवस्था

प्रयागराज: संगम नगरी में जनवरी से शुरू होने वाले माघ मेला में ज्योतिष पीठ बद्रिकाश्रम के नाम से मिलने वाली जमीन और सुविधाओं को लेकर इस बार विवाद तूल पकड़ सकता है. बीते कई सालों से ज्योतिषपीठ और द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती थे. वो अकेले ही शारदापीठ और ज्योतिषपीठके शंकराचार्य माने जाते थे. जबकि ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के पद पर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने दशकों पहले अपनी दावेदारी की थी. इसी पीठ को लेकर वासुदेवानंद सरस्वती और स्वरूपानंद सरस्वती के बीच सुप्रीम कोर्ट तक में मुकदमा लड़ा गया और सुनवाई अभी भी जारी है.

जानकारी देते हुए स्वामी श्रीधराचार्य,स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नंद

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए अभी तक माघ मेले में भी दोनों पीठ के नाम से जमीन और सुविधाएं पाते रहे हैं. बीते सितम्बर महीने में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरवस्ती के ब्रह्मलीन होने के बाद माघ मेले में इस बार जमीन आवंटन को लेकर दोनों पक्ष एक बार फिर आमने सामने हो सकते हैं. स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधकारी के तौर पर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ भी माघ मेले की जमीन और सुविधाओं को पहले की तरह ही दिए जाने के लिए आवेदन कर दिया है.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नंद ने गद्दी संभाली है. लेकिन उनके पट्टाभिषेक को लेकर स्वामी वासुदेवानाद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर रोक लगवा दी थी. जबकि अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से कहा गया कि उनका पट्टाभिषेक पहले ही हो चुका है. अब उनके अनुयायी उनका आशीर्वाद लेने के लिए अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम कर रहे हैं. प्रयागराज में स्वरूपानंद स्वरवती और अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रतिनिधि के श्रीधरानंद का कहना है कि उनकी तरफ से हर साल की माघ मेले में मिलने वाली जमीन और सुविधाओं के लिए आवेदन किया जा चुका है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि हर साल की तरह इस साल भी उन्हें जमीन और सारी सुविधाएं पहले की तरह ही मिलती रहेंगी. इसके साथ ही उनका कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत माघ मेले की जमीन सुविधाएं मिलती रही है जो आगे भी उसी तरह से मिलनी चाहिए. पहले जो सुविधाएं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को मिलती थी वो अब उनके उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नाम पर मिलेगी.

प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में ज्योतिषपीठ के नाम पर मिलने वाली जमीन और सुविधाओं की मांग स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती की तरफ से माघ मेला कार्यालय में आवेदन किया गया है. उनका कहना है कि जो जमीन सुविधाएं सालों से उन्हें नहीं दिया गया है. अब उसे उन्हें दिया जाए. स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती के प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने कहा कि उनकी तरफ से इस बार भी ज्योतिषपीठ के नाम पर सुविधाएं दिए जाने की मांग की गई है. लेकिन इस बार पहले की तरह अन्याय नहीं सहेंगे. इसके अलावा चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार ज्योतिषपीठ की जमीन सुविधाएं स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती को नहीं दी तो मेले में उग्र आंदोलन करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पक्ष को जल्द ही कोर्ट से भी इंसाफ मिलेगा और ज्योतिषपीठ का फैसला भी उन्होंने अपने पक्ष में आने का दावा किया है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद ज्योतिष्पीठ पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ ही वासुदेवानंद सरस्वती भी दावा कर रहे हैं.

स्वामी वासुदेवानन्द की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से कहा गया कि पट्टाभिषेक पहले ही हो चुका है. यही वजह है कि जनवरी 2023 में शुरू होने वाला माघ मेला ज्योतिष पीठ पर दावे की वजह से दो संतो के बीच का अखाड़ा न बन सकता है. माघ मेला क्षेत्र में शिविर लगाने के लिए लंबे समय से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को ज्योतिष्पीठ की जमीन और सुविधाएं मिलती रही है, जो अब उनके ब्रह्मलीन होने के बाद उनके उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मांग रहे हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने पर ज्योतिषपीठ का पीठाधीश्वर घोषित किया गया है. लेकिन उनके पट्टाभिषेक की तैयारी के बीच ही स्वामी वासुदेवानन्द ने कोर्ट में अर्जी देकर पट्टाभिषेक होने से पहले ही उस पर कोर्ट से रोक लगवा दी थी. ऐसे हालात में अब माघ मेला में दोनों संतो के बीच ये विवाद खुलकर सामने आ सकता है और इस वजह से माघ मेला दो बड़े संतो के बीच जंग का अखाड़ा भी बन सकता है.

अब देखना ये होगा कि इस मामले पर मेला प्रशासन क्या फैसला लेता है. फिलहाल इस मसले पर बात करने के लिए मेला कार्यालय से जुड़े अफसर अभी बच रहे हैं. वर्तमान में मेला के कार्यकारी अधिकारी से फोन पर भी संपर्क नहीं हो सका है. आपको बता दें कि ज्योतिषपीठ की माघ मेले की जमीन और सुविधा को लेकर पहले भी स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के बीच विवाद होता रहा है. लेकिन अब शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद माघ मेले में एक बार फिर से इस विवाद के बढ़ने की संभावना तेज होती दिख रही है.

बता दें कि, गुरुवार को प्रयागराज पहुंचे सीएम योगी ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण की बैठक में साफ कहा है कि माघ मेला हो या कुम्भ मेला जमीन आवंटन में किसी तरह की गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसके बाद दो संतो के बीच अगर ये मामला बड़े विवाद के रूप में सामने आता है तो मेला प्रशासन के इसका समाधान निकालना आसान नहीं होगा.

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